सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए शुरू किया थैला और बर्तन बैंक
Pushpendra Vaidya 13 Dec 2019 12:26 PM GMT
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)। छिंदवाड़ा नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए अनूठी पहल शुरू की है। नगर निगम ने थैला और बर्तन बैंक शुरु किए हैं। यहां कम कीमत में कपड़े और कागज के थैले और कम किराए में बर्तन दिए जाते हैं।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग न करने की अपील की है। उनकी अपील का बड़ा असर देखने को मिल रहा है। पूरे देश भर में अलग-अलग तरीकों से प्लास्टिक को बंद किया जा रहा है। छिंदवाड़ा में भी नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए थैला और बर्तन बैंक शुरू किया है। जिससे आसानी से कम कीमत में थैला मिल सके। साथ ही सिंगल यूज डिस्पोजल से कम कीमत में किराए से बर्तन मिल सके। थैला और बर्तन बैंक से एक थाली चम्मच और ग्लास के सेट किराए से लेने पर मात्र दो रुपए का भुगतान करना होता है। बैंक को स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित किया जाता हैं।
छिंदवाड़ा नगर निगम सीमा के भीतर कुल 48 वार्डों में इस तरह के बर्तन बैंक खोले गए है। जिन्हें महिला स्वयं सहायता समूह चलाते हैं। वहीं बाजार में भी निगम से दो कैफे खोले हैं, जहां से लोग सीधे बर्तन किराए से ले सके। महिलाओं का स्थानीय स्तर पर जुड़ाव अधिक होता है इसलिए स्वयं सहायता समूह को जोड़ा गया है जिससे की स्वयं सहायता समूह को भी रोजगार मिल सके।
सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने की घोषणा के बाद शहर में खुले थैला और बर्तन बैंक लोगों को सिर्फ जागरूक ही नहीं बल्कि उन्हें सस्ते में बर्तन भी उपलब्ध करा रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में प्रतिदिन लगभग 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसमें महज 20 फीसदी ही रिसाइकिल हो पाता है। वहीं 39 फीसदी प्लास्टिक कचरे को जमीन के अंदर दबाकर नष्ट करने की कोशिश होती है जबकि 15 फीसदी को जला दिया जाता है।
क्या होता है 'सिंगल यूज प्लास्टिक'?
चालीस माइक्रोमीटर (माइक्रॉन) या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं। प्लास्टिक के थैले (पॉलीथीन), स्ट्रॉ, पानी की बोतल और भोजन का सुरक्षित रखने वाले पैकेट सिंगल यूज प्लास्टिक के ही बने होते हैं। यह ना आसानी से नष्ट होता है और ना ही इसे रिसाइकिल किया जा सकता है। इसलिए इसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं। विडंबना यह है कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में सबसे ज्यादा प्रयोग सिंगल यूज प्लास्टिक का ही होता है।
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