जिस उम्र में दूसरों के सहारे की जरूरत होती है, उस उम्र में 71 साल के खींवराज बना रहे अनोखे रिकार्ड

Moinuddin ChishtyMoinuddin Chishty   3 Feb 2020 9:16 AM GMT

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जोधपुर (राजस्थान)। देशी-विदेशी सेलानियों के आकर्षण का केन्द्र बन चुके जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग की जयपोल के बाहर का बुर्ज, जिसकी ऊंचाई पहाड़ी सहित लगभग 600 फीट है और बुर्ज के ठीक किनारे पर साइकिल पर बैलेन्सिंग का दिल दहला देने वाला प्रदर्शन। 'सूर्यनगर' के 71 वर्षीय युवा खींवराज गुर्जर एक ऐसे ही जांबाज और बैलंन्सिंग कला के दक्ष खिलाड़ी हैं।

उनका नाम उन लोगों की फेहरिस्त में शुमार किया जाता है, जो खुद पहले अजीबो-गरीब कीर्तिमान बनाते हैं, जब कोई दूसरा उन्हें तोड़ नहीं पाता, तो वे खुद ही अपने बनाए कीर्तिमानों को तोड़ते हैं। खींवराज जिन्हें प्यार से लोग 'खींवजी' पुकारते हैं, एक नाम नहीं बल्कि एक नाम में समाई हुई एक संस्था हैं। वृद्धावस्था की दहलीज पर दस्तक दे चुके 'खींवजी' पर उम्र का असर दिखाई नहीं देता।


वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में इण्डियन टीम के कोच और साइक्लिंग के नेशनल चैम्पियन रहे खींवराज का यूं तो समूचा जीवन ही रोचकता से भरपूर है पर वे पुनः सुर्खियों में उस वक्त आए जब देश भर के हैरतअंगेज कारनामे करने वाले कलाकारों पर जीटीवी ने 'शाबास इण्डिया' नाम से कार्यक्रम की शुरूआत की। इन्होंने भी इसी प्रोग्राम के जरिए अपने अंदर दबे हुनर को बाहर निकाला। बीएमएक्स एक्सन बाइक (साइकिल) और बोन्गो बोर्ड पर तालमेल के प्रदर्शन का कार्यक्रम 'शाबास इण्डिया' ने 26 दिसम्बर, 2006 को प्रसारित किया। शायद आपको याद हो यह कारनामा... जब इन्होंने चौपासनी गांव की 120 फीट ऊंची पहाड़ी पर संतुलन का अजीबो-गरीब नजारा पेश किया था।

उबड़-खाबड़ चट्टान के किनारे जमीन से 120 फुट ऊपर खींवराज ने बिना किसी सहारे और स्टैण्ड के खड़ी साइकिल पर अपने आपको खड़ा किया। चट्टान के एक ओर खाई थी, लेकिन इन्होंने बुलंद हौंसलों के जरिए साइकिल के आगे के पहिए पर खड़े होकर विभिन्न मुद्राओं में बैलेंस का करिश्माई कारनामा अंजाम दिया।

स्पोर्टस साइकिल के आगे वाले हिस्से पर खड़े होकर कई प्रकार की योग आकृतियां बनाने वाले इस शख्स ने बोन्गो बोर्ड पर भी बैलेंस का हुनर दिखाया था। रोलर के ऊपर रखे बोर्ड पर इन्होंने बड़ी ही खूबसूरती के साथ खुद को स्थिर कर लिया था। बोर्ड के किनारों पर भी संतुलन बैठाकर इन्होंने साबित कर दिया कि उम्र के इस दौर में भी वे एक 'युवा' हैं और कला को जीवित रखने के लिए बुलंद इरादे रखते हैं। उनका उद्देश्य न सिर्फ कला को जीवन देने का है, बल्कि कला के जरिए खुद भी आसमां की बुलंदियां छूना है। इस योग की बदौलत उनके लिम्का बुक ऑफ इंडिया रिकार्ड्स में 9 रिकार्ड्स सहित विदेशों में भी कई कीर्तिमान बने हैं।

खींवराज बताते हैं, ''बीएमएक्स एक्शन बाइक के रूप में जग-प्रसिद्ध ये साइकिल जिस पर मैं बैलेंस करता हूं, ताइवान में बनी है और मैंने इसे दुबई से 6000 रूपए में खरीदा था। इसमें एक पहिए में 140 ताड़ियां हैं।''

साइकिल पर बैलेंस के साथ-साथ साइकिल पर योग करने के नए प्रयोग ने साइक्लिस्ट खींवराज को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। लोगों में योग के प्रति क्रेज को देखते इन्होंने साइकिल पर किए जा सकने वाले योग आसन बनाए हैं। योग, आसन व स्टंट ये 140 ताड़ियों वाली अपनी विदेशी बाइक पर दिखाते हैं। खींवजी बताते हैं,''योग तो स्वतः निर्मित है पर साइकिल पर योग करने का तरीका मैंने इजाद किया। योग और साइक्लिस्ट होने की कला को मिश्रित कर मैंने यह स्टेप्स् तैयार किए। मैंने खासकर ऐसे योग ढूंढ निकाले, जिनमें अपर बोडी काम में आती हो। इसके लिए मैंने कई विदेशी बुक्स भी काम में लीं हैं।''


साइकिल पर होते हैं 45 तरह के योग और स्ट्रेचिंग

साइकिल के जादूगर कहे जाने वाले 'खींवजी' साइकिल पर अजीबो-गरीब तरीके से योग प्रदर्शन करते हैं। साइकिल पर योग की बात पर वे कहते हैं,''जब सभी देश की धरोहरों को बचाने में जुटे हैं तो मैं भी इसमें योगदान देना चाहता हूं। योग भारत की अमूल्य निधि है और मैं इसे बचाने व लोकप्रिय बनाने के लिए अपनी तरह से प्रयासरत हूं। मैं अपनी विशेष किस्म की इस साइकिल पर जो योग पोज करता हूं, उन आसनों के नाम निम्न हैं- स्टार्ट ऑव बीएमएक्स (माउन्टेन), सन सेल्यूटेशन, सन सेल्यूटेशन बैक हेंड्स, स्पाइनल बैलेंस प्रथम, टॉटच हेमस्ट्रिंग स्ट्रेच, इगल पोज प्रथम, एयरो प्लेन पोज, कंगारू पोज, हैण्ड बिहाइन्ड बैक, हैडंस बिहाइन्ड नेक, चेस्ट स्ट्रेच, काफ स्ट्रेच, बैक स्ट्रेच, मिडिल डेलटोइडस स्ट्रेच, जम्प थ्रो, फ्रोग लीप, मेजिशियन्स पोज, क्राइस्ट पोज, हाफ मून, बारीयर पोज, सन-गॉड, सपाइनल, बैलेंस द्वितीय, बैलेंस चैयर, फॉरवर्ड फोल्ड, इगल पोज द्वितीय, ट्री पोज, बाइक साइड बैलेंस।

साइकिल चलाने में भी रचे हैं ऐतिहासिक कीर्तिमान

आज के इतने व्यस्त और भौतिकतावादी युग में भी बाइक या कार से परहेज करने वाले 'खींवजी' साइकिल को ही अपना पहला प्यार मानते हैं। ये एक ऐसे शख्स हैं जो इस उम्र में भी साइकिल पर ही हर जगह जाना पसंद करते हैं चाहे चिलचिलाती धूप ही क्यों ना हो? इन्होंने अब तक 1 लाख किलोमीटर से अधिक सफर साईकिल पर तय किया है। 300 किलोमीटर साइकिल एक ही बार में 'नॉनस्टोप' चला चुके बुलंद इरादों के धनी खींवराज 200-200 किमी तो कई बार साइकिल पर नाप चुके हैं। अब इस उम्र में भी वे नॉनस्टोप 100 किमी तक साइकिल चलाने की हिम्मत रखते हैं।

साइक्लिंग के राष्ट्रीय चैम्पियन रहे खींवराज ने इसी क्षेत्र में कई रिकार्ड भी अपने नाम कर रखे हैं, मसलन कि जोधपुर से मुम्बई की 1000 किलोमीटर की दूरी इन्होंने साइकिल पर तय की वह भी साइकिल को बगैर ब्रेक लगाए, चाहे रास्ते में कैसे भी विकट से विकट हालात रहे हों? माउन्ट आबू की घाटियों से इन्होंने बगैर ब्रेक लगाए अपनी सवारी को उतारा, वहीं पुष्कर की दुर्गम पहाड़ियों पर बगैर गियर के साइकिल चढ़ाई।

खींवराज ने न केवल सनसिटी से मुम्बई तक का सफर साइकिल पर तय किया बल्कि राजस्थान से गुजरात तक की सरहदें भी साइकिल से नाप डालीं। नेशनल चैम्पियनशिप माउन्टन बाईक (चण्डीगढ) में भी वर्ष 2000 में सहभागी रहे। 1973 से 1982 तक आप साइक्लिंग के चैम्पियन भी रहे। लखनऊ (उप्र) में 1972 में 200 किमी रेस (दौड़) में भी 'खींवजी' ने ब्रान्ज मैडल जीता। 1973 में जबलपुर में 50 किमी की रोडरेस में भी इन्होंने कांस्य पदक चटकाया।

वे न सिर्फ पूरा भारत घूम चुके हैं, बल्कि नेपाल, बैंकाक, सिंगापोर, हांगकांग, आस्ट्रेलिया, ताइवान, दुबई, यंगून, केअरो, अफ्रीका, मलेशिया 27 सहित देश घूम चुके हैं। सबसे बड़ी बात जो चौंकाने वाली है, यह कि इन सभी देशों में उन्होंने साइकिल चलाना नहीं छोड़ा। राजस्थान की सर्वप्रथम 'जिम' के निदेशक होने के नाते सभी देशों की जिमों में भी जाकर आपने अपने ज्ञान में बढ़ोतरी की। विदेशों में आयोजित बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं मे भी आपका हस्तक्षेप रहा।

मौत से भी डर नहीं लगता

'खींवजी' किसी छोटे बच्चे के कह देने भर से साइकिल पर चढ़कर करतब करना शुरू कर देते हैं। जब इस बारे में उनसे पूछा जाता है कि आपका गेम रिस्की है, आप ऐसा क्यों करते हैं? बदले में वे कहते कुछ नहीं बल्कि एक मीठी सी मुस्कान हंसकर बात टाल जाते हैं। ज्यादा जोर देने पर वे कहते हैं,''काहे का रिस्की, जान तो बार-बार जाने से रही, फिर आर्ट का गला क्यूं घोंटना और क्यूं घोंटे गला अपनी ख्वाहिशों का।''

    

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