किसान ने सब्जी बेचकर बेटे को बनाया वायुसेना अफसर, अब क्षेत्रवासियों को हो रहा गर्व

Jitendra Tiwari | Jan 29, 2018, 10:56 IST
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गोरखपुर। कहते हैं कि अगर हौंसले बुलंद हों तो उसे कोई पछाड़ नहीं सकता। इसी बात को चरितार्थ कर दिया है चरगावां ब्लॉक के रामप्रीत मौर्य (48 साल) ने। रामप्रीत ने खेती-किसानी के साथ सब्जी बेचकर अपने इकलौते बेटे आलोक कुमार मौर्य को एयरोनॉटिकल साइंस से एमटेक कराया।

वर्ष 2016 में होनहार आलोक की एमटेक की पढ़ाई पूरी हुई, इसी बीच तैयारी में जुटे आलोक का चयन भारतीय वायुसेना में एक अधिकारी के तौर पर हो गया, आलोक अब देश की सुरक्षा में अपना योगदान देंगे।

किसान रामप्रीत मौर्य। रामप्रीत ने कितने अभावों में अपने बच्चों को पढ़ाया होगा, इसकी बानगी इसी से समझा जा सकता है कि इनके पास मात्र एक बीघा जमीन है। वहीं, इनके परिवार में पत्नी गुलाबी देवी के अलावा दो बेटियां भी हैं। कुल पांच सदस्यों के परिवार में देखरेख की जिम्मेदारी रामप्रीत पर है, जो अब तक उसे बखूबी निभाते आ रहे हैं। दो बेटियों में बड़ी संजू को बीए तक पढ़ा कर शादी कर दी, वह अपने ससुराल में खुशहाल जीवन व्यतित कर रही है, वहीं छोटी बेटी को बीए प्रथम वर्ष का परीक्षा दे चुकी है।

आलोक की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई नंदानगर स्थित नीना थापा इंटर कालेज से हुई है। इसके बाद एमआईटी, चेन्नई में एयरोनॉटिकल साइंस से बीटेक में दाखिला लिया। इसके बाद आईआईटी मद्रास से एमटेक किया। होनहार आलोक, देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित हैं, क्योंकि डॉ. कलाम भी उसी इंस्टीट्यूट से बीटेक थे, जहां से आलोक ने किया है।

जैसा नाम वैसा ही स्वभाव

किसान रामप्रीत अपने स्वभाव से भी मिलनसार हैं। आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के बावजूद अपने बच्चों को शिक्षित कर योग्य बना दिया। हालांकि बेटे की पढ़ाई में ज्यादा रुपये खर्च होने से इन्हें छोटी बेटी अंजू मौर्य की कंप्यूटर साइंस (सीएस) की पढ़ाई एक साल बाद ही आर्थिक तंगी के कारण छुड़वानी पड़ी। इसमें डेढ़ लाख रुपये खर्च भी हो चुके थे।

बता दें कि अब अंजू एक महाविद्यालय से बीए की पढ़ाई कर रही है। भाई की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए कंप्यूटर साइंस (सीएस) की पढ़ाई एक साल करने के बाद छोड़ दी थी।

घर की परिस्थितियों को बखूबी समझते हैं आलोक

एमटेक करने व भारतीय वायु सेना में अफसर बन जाने के बाद भी आलोक आज भी अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को भूल नहीं पा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वह घर आकर अपने माता-पिता को पहले की तरह खेती-किसान और घर के अन्य कार्य में हाथ बंटा रहे हैं।

पिता रामप्रीत मौर्य और माता गुलाबी देवी को अपने लाल आलोक पर गर्व है, उनका कहना है कि बेटा हमेशा परिवार की मजबूरियों को समझता रहा है, परिवार की हालत को देखकर ही उसने पढ़ाई पर ध्यान लगाया, हम लोग तो बस एक माध्यम थे। माता-पिता के अलावा दोनों बहनों को भाई पर भरपूर भरोसा है कि अब उनकी गरीबी दूर हो जाएगी।

ग्राम प्रधान को गांव के होनहार पर है गर्व

ग्राम प्रधान रणविजय सिंह मुन्ना होनहार आलोक मार्य की तारीफ जमकर करते हैं। उन्होंने कहा, “ आलोक को हम लोगों ने बचपन से देखा है, वह काफी मेहनती है। पिता की दिक्कतों को समझते हुए उसने पढ़ाई में ध्यान लगाया, जिसका नतीता है कि वह एमटेक करने के बाद देश की सुरक्षा से जुड़ने जा रहा है।

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