कर्ज़माफी से नहीं आएगा क‍ृषि में सुधार, मुश्किलें और भी हैं...

गाँव कनेक्शन | Jun 29, 2017, 10:27 IST
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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कई राज्यों ने किसानों का कर्ज माफ कर दिया है, जबकि उत्तर प्रदेश के किसानों को इसका इंतजार है। लेकिन कर्जमाफी किसानों के लिए सिर्फ आंशिक राहत है, इससे देश की कृषि अर्थव्यवस्था की मुश्किलों को दूर नहीं किया जा सकता।

देश के सामने किसानों का लगभग 3.1 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ करने का बड़ा लक्ष्य है। यह राशि भारत के वर्ष 2016-17 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.6 फीसदी है। यह राशि वर्ष 2017 के ग्रामीण सड़कों के बजट का 16 गुना अधिक है या इस राशि से पिछले 60 वर्षों की उपलब्धियों की तुलना में 55 फीसदी अधिक भारत की सिंचाई क्षमता में बढ़ोत्तरी भी जा सकती है।

कर्जमाफी से देश के 3.28 करोड़ कर्जदार किसानों की सहायता जरूर हो सकती है, लेकिन इसके बारे में ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज कहते हैं, "सरकारों को किसानों को कर्ज से उबारने के लिए कर्जमाफी करनी चाहिए, लेकिन सिर्फ इसी से ही कृषि में सुधार नहीं आएगा। सरकार को किसानों के लिए सस्ते बीज, उर्वरक के साथ ही आसानी से लोन मिले इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।"

अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज

पिछले नौ वर्षों में केंद्रीय और राज्य सरकारों ने 4.86 करोड़ किसानों के 88,988 करोड़ रुपए का ऋण माफ किया है। यूपीए सरकार ने सिर्फ 2008 में देशभर में 52,000 करोड़ रुपए ऋण माफी की घोषणा की थी। इस बीच, ऋण माफी ने बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों में, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में वृद्धि की है। इसका राज्य और राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे पर बड़ा असर होने की संभावना है।


रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, महाराष्ट्र के छोटे और सीमांत किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपए की कृषि ऋण माफी राज्य की राजकोषीय घाटे को 2.71 फीसदी तक बढ़ाएगी। ये आंकड़े चालू वित्त वर्ष के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 1.53 फीसदी के बजट घाटे से तीन चौथाई (1.18 प्रतिशत अंक) अधिक है।

इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 36,359 करोड़ रुपये का कृषि ऋण अपने जीएसडीपी का 2.6 फीसदी है। 14वें वित्त आयोग के अनुसार राजकोषीय घाटा राज्य बजट के 3 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।

स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव कहते हैँ, "किसानों के संकट का दूरगामी समाधान 'किसानों को आय की गारंटी' है। क़र्ज़ माफ़ी तो फ़ौरी राहत है। सरकार 'किसान आय आयोग' बनाए और किसानों के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करे। कर्जामाफी शब्द से ऐसा लगता है मानो यह कोई दान-दक्षिणा हो या राजनैतिक नजराना हो। किसान को कर्जमाफ़ी नहीं, कर्ज मुक्ति चाहिए।"

कर्ज के अनौपचारिक स्रोतों पर भरोसा करते हैं किसान

माफी का मुख्य कारण किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं को रोकना है। किसानों द्वारा आत्महत्या का मुख्य कारण जाहिर तौर पर व्यापक ऋण होता है। हालांकि, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि आत्महत्या दरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि शायद औसतन32.5 फीसदी या भारत में 7.938 करोड़, छोटे और सीमांत किसान (1 से 2 हेक्टेयर से कम आकार वाले खेत वाले खेतों के साथ) कर्ज के अनौपचारिक स्रोतों पर भरोसा करते हैं।

पिछले ऋण माफी से नहीं रुक सकी थी कृषि आत्महत्याएं

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007 में 18 राज्यों के 3 करोड़ किसानों के लिए यूपीए सरकार की ओर से ऋण माफी से पहले 16,379 भारतीय किसानों ने आत्महत्या की थी। इनमें से एक चौथाई आत्महत्याएं (4,238) महाराष्ट्र में दर्ज की गई थीं। वर्ष 2009 में कर्ज-छूट की घोषणा के बाद भी राज्य सरकार ने 6208 करोड़ रुपये के अतिरिक्त छूट का वादा किया था। कहा गया कि इससे भारत के सबसे समृद्ध राज्य में किसानों की आत्महत्याओं में गिरावट आई थी। लेकिन वर्ष 2010 में आत्महत्या के मामलों में फिर वृद्धि हुई। वृद्धि के आंकड़े 6.2 फीसदी दर्ज हुए । वर्ष 2015 तक, केंद्र सरकार की जमानत राशि के सात साल बाद, महाराष्ट्र में 4,291 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो कि अब तक सबसे अधिक है। नवीनतम उपलब्ध एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक, ये आंकड़े देश भर में होने वाले ऐसी मौतों का 34 फीसदी है।

2.21 करोड़ छोटे किसानों को लाभ नहीं

भारत में करीब 85 फीसदी खेतों का आकार दो हेक्टेयर से कम है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, छोटे और सीमांत किसानों का एक तिहाई संस्थागत ऋण का उपयोग करता है। इसका मतलब है कि आठ राज्यों में लोन छूट के लिए मांग करने वाले 3.28 करोड़ किसानों में से 1.06 करोड़ से अधिक किसानों को ऋण माफी से लाभ मिल सकता है।

‘ऋण अदायगी के लिए कोई कार्रवाई न करें बैंक’

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को बैंक अधिकारियों से कहा कि वे फसल ऋण माफी योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को ऋण अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करें। योगी ने सभी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों की विशेष राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के साथ बैठक की।

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