अब ‘कोमल’ बताएगी अच्छी नियत और बुरी नियतवालों से बचने के उपाय

गाँव कनेक्शन | Sep 19, 2017, 15:53 IST
महिला और बाल विकास मंत्रालय
सुनीता देवी , स्वयं कम्युनिटी जनर्लिस्ट

पीलीभीत। समाज में लगातार बाल यौन शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। कई बार यह देखने में आया है कि छोटे-छोटे बच्चे यौन शोषण के शिकार हो जाते हैं। जब तक इस बात का पता परिवार वालों को लगता है तब तक बात हाथ से निकल चुकी होती है। बाल यौन शोषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए नया तरीका अपनाया है। इसके अंतर्गत अब बच्चों को आधे घंटे की एनिमेशन फिल्म 'कोमल' दिखाई जाएगी। अज्ञानतावश या बच्चों में झिझक के कारण वह जान-पहचान वालों या परिवार के करीबियों की अपवित्र हरकतों को समझ नहीं पाते या फिर शर्म के कारण अपने परिवार वालों को बताने में हिचकिचाते हैं। अब 'कोमल' फिल्म के माध्यम से बच्चों को इन खतरों को भांपने के तरीके बताए जाएंगे।

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक सर्वे के अनुसार बाल यौन शोषण में सबसे ज्यादा उत्पीड़न करने वाले ऐसे लोग पाए जाते हैं जो या तो रिश्तेदार होते हैं या फिर परिवार के काफी नजदीकी माने जाने वाले लोग होते हैं। यही लोग बच्चों को प्यार करने के बहाने उनपर अपनी बुरी नियत रखते हैं और धीरे-धीरे वह इंसानियत की सभी सीमाएं पार कर जाते हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जारी फिल्म 'कोमल' में एक नौ वर्षीय छात्रा कोमल को नायिका के रूप में पेश किया गया है। जो पढ़ाई में मेधावी होने के साथ-साथ अपने स्कूल में अनेक पुरस्कार भी पाती है।

परिवार वाले यह खुशी अपने नए पड़ोसी बख्शी के साथ शेयर करते हैं। बस यहीं से शुरू होता है मिस्टर बक्शी का कोमल के साथ दोस्ती करने का सिलसिला। मिस्टर बख्शी कभी कोमल को स्कूल छोड़ने जाते हैं तो कभी आइसक्रीम, चॉकलेट खिलाते हैं और उनकी यह आदतें रोजमर्रा के कामों में शामिल हो जाती हैं। कोमल की मां ज़रा सख़्त स्वभाव की है इसलिए कोमल खुद बार-बार कहती है कि बख्शी अंकल ममा को यह सब मत बताना और कुछ दिन बाद वह दिन भी आ जाता है जब बक्शी हैवानियत पर उतर आता है।इसके बाद कोमल बेहद उदास होकर अपने घर पहुंचती है। उदासी का कारण मां द्वारा बार-बार पूछने पर व काफी समझाने के बाद कोमल अपने घरवालों को पूरी बात बता देती है।

कोमल के पिता इसकी जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन 1094 को देते हैं। चाइल्ड हेल्प लाइन की ओर से पूरी पूछताछ करने के बाद बख्शी के खिलाफ मामला दर्ज होता है और उसे जेल जाना पड़ता है।

फिल्म के दूसरे भाग में बच्चों को स्कूल की अध्यापिका द्वारा समझाया जाता है कि शरीर में चार स्थान निजी होते हैं। जो क्रमशः मुंह, सीना, जांघो के बीच, व पीछे कमर से नीचे हैं। इन स्थानों को सिर्फ मां ही छू सकती है या फिर मां-बाप की मौजूदगी में डॉक्टर जांच करते वक्त छू सकता है। इसके अलावा यदि कोई भी व्यक्ति इन स्थानों को छूता है तो तुरंत सतर्क हो जाइए और नहीं नहीं करते हुए वहां से भाग लें। तुरंत इस बात की जानकारी अपने मां-बाप या उस व्यक्ति को दें जिस पर आपको पूर्ण विश्वास हो। वह व्यक्ति चाइल्ड हेल्प लाइन की मदद लेकर गुनहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है।

इस फिल्म के माध्यम से बच्चों को यह भी समझाया गया है कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। बेहिचक पूर्ण साहस के साथ ऐसे व्यक्ति का विरोध करना चाहिए और तुरंत विश्वास पात्र व्यक्ति को बताना चाहिए।

इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने बताया, "बाल यौन शोषण के हुए मामलों में यह तथ्य सर्वे में सामने आया है कि ऐसा करने वाले प्रायः बच्चों के परिवार के करीबी व जान-पहचान वाले ही होते हैं, जिसकी वजह से परिवार वाले भी आसानी से इस खतरे को भांप नहीं पाते। अब बच्चों को जागरुक बनाने के लिए 'सत्यमेव जयते' के दर्शकों के सहयोग से मंत्रालय ने यह एनिमेशन फिल्म 'कोमल' तैयार कराई है। जिसे देखकर बच्चे आसानी से सजग हो सकें और किसी भी गंदी हरकत का पूर्ण विरोध कर सकें। यह फिल्म सभी विद्यालयों को उपलब्ध कराई जा रही है। इस फिल्म के माध्यम से छात्राओं का आत्मबल बढ़ेगा।"

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