बिना सचिव चल रहा एसएनए, कर्मचारियों को नहीं मिल रहा वेतन

Basant Kumar | Jun 14, 2017, 16:24 IST

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक आकदमी (एसएनए) पिछले दो महीने से बिना सचिव के चल रहा है। सचिव नहीं होने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है।

राजधानी स्थित अकादमी के भवन में सेना के रिटायर्ड जवान सुरक्षाकर्मी का काम करते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर सुरक्षाकर्मी बताते हैं, ‘मुझे पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली है। चार महीने से आज देंगे, कल देंगे बोला जा रहा है। कब तक मिलेगी अभी कोई उम्मीद भी नहीं है। अकादमी में मेरे जैसे तीन सुरक्षा कर्मी, तीन सफाई कर्मी और भी अलग-अलग विभाग के दस से ज्यादा लोगों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल पा रहा है।’

एसएनए प्रदेश राज्य सरकार के अंतर्गत संस्कृति विभाग की प्रमुख शाखा है। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी कला व साहित्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले को अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

अकादमी में काम करने वाले और कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेश चन्द्र बताते हैं, “ सचिव के नहीं होने से कर्मचारियों को कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। जो स्थायी कर्मचारी है उनको तो वेतन मिल जा रहा, लेकिन जो अस्थायी कर्मचारी है, उनमें से किसी को चार महीने से तो किसी को दो महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर हम कई बार मांग कर चुके हैं।”

एसएनए में सफाई का काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं, “ पिछले तीन महीने से हमें वेतन नहीं मिला था। अभी चार दिन पहले ही एक महीने का पैसा मिला है। कोई दूसरा काम नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण हमें यह काम करना पड़ता है। ”

2008 के बाद से नहीं बंटा एसएनए अवार्ड

एसएनए के कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि हमें बजट कम मिलता है। वर्ष 2016-17 में हमें 1 करोड़ 35 लाख रुपए मिले। इसमें हमें लगभग 24 लाख रुपए बिजली पर खर्च करना पड़ता है, हाउस टैक्स और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने के अलावा कार्यक्रम भी कराना होता है। अकादमी के पास अवार्ड देने तक के पैसे नहीं होते है। 2003 से लेकर 2008 तक का अवार्ड पिछले साल दिया गया। 2009 से अब तक का अवार्ड तक भी नहीं दिया गया था। अकादमी के पास अवार्ड देने तक के पैसे नहीं है।’

मशहूर रंगकर्मी राजेश कुमार एसएनए की हालत पर बताते हैं, “सरकार चाहे किसी की भी हो उसकी प्राथमिकता में कला शामिल ही नहीं है। पिछली सरकार में काभी मांग करने के बाद पांच साल का अवार्ड एक साथ दिया था। इस सरकार के आने के बाद उम्मीद थी कि यह सरकार कला और संकृति को लेकर काम करेगी लेकिन इस सरकार की प्राथमिकता में कला तो है ही नहीं। सिर्फ एसएनए ही नहीं भरतेंदु नाट्य अकादमी में भी निदेशक नहीं है। लखनऊ के पेक्षागृहों की स्थिति बेहद खराब है। सरकार चाहे जो भी हो वो काम वोट देखकर करते हैं।”

Tags:
  • सचिव
  • सैलरी
  • हिंदी समाचार
  • उत्तर प्रदेश समाचार
  • लखनऊ समाचार
  • उत्तर प्रदेश संगीत नाटक आकदमी
  • एसएनए
  • Uttar Pradesh Sangeet Natak Akademi