गाय प्रेमी योगी की सरकार में गायों के आएंगे अच्छे दिन ?

Diti Bajpai | Mar 19, 2017, 21:16 IST
Yogi Adityanath
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश के 32वें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गौरक्षकों की भी उम्मीदें बढ़ गई हैं, क्योंकि आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कई बार गौ हत्या रोकने की बात कही थी। अपने भाषणों में उन्होंने यहां तक कहा था कि सत्ता में आते ही वे गौ हत्या को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देंगे।

समर्पण गौशाला के अध्यक्ष राजीव शर्मा बताते हैं, “देश के सभी गौरक्षकों को योगी से काफी उम्मीदें हैं। लाखों की संख्या में प्रदेश में अवैध कत्लखाने चल रहे हैं, जिन पर धड़ल्ले से गौवंश को भी काटा जा रहा है। प्रदेश में गौशालाओं के लिए कोई बजट भी नहीं है। ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं। उम्मीद है मुख्यमंत्री योगी गायों के अच्छे दिन लाऐंगे।” मथुरा जिले के गौवर्धन तहसील में पिछले पांच वर्षों से समर्पण गौशाला चल रही है। इस गौशाला में 500 से ज्यादा गाय-बैल हैं। यहां गोमूत्र इकट्ठा करके खेती के लिए कीटनाशक बनाया जाता है।

19वीं पशुगणना के अनुसार देश के 51 करोड़ मवेशियों में से गोवंश की संख्या 19 करोड़ है। वहीं उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 95 लाख गोवंश हैं। सरकार को सुझाव देने के बारे में राजीव आगे बताते हैं, “देश से लेकर विदेशों तक गोमूत्र की मांग बढ़ी है। सरकार को चाहिए कि वो हर जिले में गोमूत्र सेंटर खोले और फिल्टर कर के उन्हें बेचे। इससे जो लोग दूध न देने पर गायों को छुट्टा छोड़ देते हैं, वो नहीं छोड़ेंगे। गोमूत्र बेचने पर पशुपालक को न्यूनतम मानदेय भी दिया जाए। साथ गायों का गोबर जो बर्बाद होता है उसके लिए गोबर गैस प्लांट भी लगवाए जाएं।”

क्योंकि कम नहीं है खर्चा

उत्तर प्रदेश मंडी परिषद की आय का एक प्रतिशत गौसेवा आयोग को दिया जाता है। यही धनराशि गौसेवा आयोग के माध्यम से गौशालाओं में रहने वाली गायों का पालन-पोषण के लिए दी जाती है। लखनऊ जिले के जीवाश्रय गौशाला के सचिव यतींद्र त्रिवेदी बताते हैं, “गौशालाओं में सरकार द्वारा प्रति पशु 50 रुपए दिए जाते हैं, जबकि एक पशु पर 75-80 रुपए का खर्चा आता है। अगर गौशाला में पशु बढ़ गए तो उनको खुद से खिलाना पड़ता है क्योंकि गोशालाओं की क्षमता बहुत ही सीमित होती है।”

गौशालाओं में सरकार द्वारा प्रति पशु 50 रुपए दिए जाते हैं, जबकि एक पशु पर 75-80 रुपए का खर्चा आता है।

आज प्रदेश में सिर्फ 450 गौशालाएं

उत्तर प्रदेश में 1967 में जहां 65 गोशालाएं पंजीकृत थीं, वहीं 2015 में इनकी संख्या बढ़कर 390 हो गई। वर्तमान समय में इनकी संख्या 450 है। यतीन्द्र आगे बताते हैं, “सरकार द्वारा गौशालाओं की संख्या को बढ़ाया जाए। ताकि सड़कों पर जो आवारा गाय घूमती हैं, उनको सहारा मिल सके और उनके गोमूत्र और गोबर से गौशाला को खुद चलाया जाए।”

समस्या सिर्फ एक नहीं

शाहजहांपुर जिले के भावलखेड़ा ब्लॉक के जमुका गाँव में रहने वाले किशन कुमार (35 वर्ष) प्रगतिशील किसान हैं। किशन बताते हैं, “किसानों के लिए छुट्टा गाय सबसे बड़ी समस्या है। हर जिले में इनकी वजह से फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में गायों के लिए सरकार कुछ कर सके तो सबसे ज्यादा प्रदेश के किसानों को लाभ होगा।” पशुप्रेमी मयंक अग्रवाल बताते हैं, “जो गोचर जमीन है, उन पर या तो घर बन गए या खेती हो रही है। सरकार द्वारा इनको हटाना चाहिए। अवैध बूचड़खाने और जो पशु तस्करी के दौरान पकड़े जाते है उनके लिए कड़े कानून बने और उन्हें सजा हो।”

उत्तर प्रदेश में 1967 में जहां 65 गोशालाएं पंजीकृत थीं, वहीं 2015 में इनकी संख्या बढ़कर 390 हो गई। वर्तमान समय में इनकी संख्या 450 है।

राजस्थान में देश का पहला गौमूत्र रिफाइनरी प्लांट

राजस्थान के जालोर जिले के सांचौर में गोधाम पथमेड़ा की ओर से देश का पहला गौमूत्र रिफाइनरी प्लांट लगा है। इस प्लांट में गोवंश के गोबर से गत्ते बनाने का भी काम बड़े पैमाने पर शुरू किया गया। इस गौशाला द्वारा गोबर को दो रूपए किलो में खरीदा जाता है और गौमूत्र को पांच रुपए लीटर में खरीदा जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आमदनी भी हो रही है।

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