By Hemant Kumar Pandey
साल 2008 में कोसी की बाढ़ ने बिहार के कई जिलों में भयंकर तबाही मचाई थी। इनमें सबसे अधिक प्रभावित होने वाले बुजुर्ग ही थे। लेकिन अब ये अपनी जरूरतों के लिए संतानों की ओर नहीं, बल्कि संतान इनकी ओर देख रहे हैं।
साल 2008 में कोसी की बाढ़ ने बिहार के कई जिलों में भयंकर तबाही मचाई थी। इनमें सबसे अधिक प्रभावित होने वाले बुजुर्ग ही थे। लेकिन अब ये अपनी जरूरतों के लिए संतानों की ओर नहीं, बल्कि संतान इनकी ओर देख रहे हैं।
By Hemant Kumar Pandey
लॉकडाउन की मार सहने के बाद बीते महीने ही कोसी तटबंध के भीतरी इलाके से बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन बड़े शहरों की तरफ हुआ था, लेकिन एक महीने के भीतर ही एक बार फिर ये अपने घर वापस लौटने को मजबूर हो गए हैं।
लॉकडाउन की मार सहने के बाद बीते महीने ही कोसी तटबंध के भीतरी इलाके से बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन बड़े शहरों की तरफ हुआ था, लेकिन एक महीने के भीतर ही एक बार फिर ये अपने घर वापस लौटने को मजबूर हो गए हैं।
By Hemant Kumar Pandey
बिहार: भले ही हर साल आने वाली बाढ़ के चलते तटबंध के भीतर की जमीन बाहर की तुलना में कुछ अधिक ऊंची हो गई हो, लेकिन यहां के लाखों लोगों के जीवन का स्तर नहीं उठ पाया है।
बिहार: भले ही हर साल आने वाली बाढ़ के चलते तटबंध के भीतर की जमीन बाहर की तुलना में कुछ अधिक ऊंची हो गई हो, लेकिन यहां के लाखों लोगों के जीवन का स्तर नहीं उठ पाया है।
By Hemant Kumar Pandey
तमाम एग्जिट पोल्स को धता बताते हुए बिहार में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला। इसके कारणों की पड़ताल गांव कनेक्शन से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार हेमंत कुमार पाण्डेय ने की है, जो पिछले कुछ महीनों से बिहार के अलग-अलग इलाकों खासकर सीमांचल व मिथिलांचल से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इन दोनों क्षेत्रों में द्वितीय और तृतीय चरण में चुनाव हुआ था, जहां पर एनडीए को निर्णायक बढ़त मिली है।
तमाम एग्जिट पोल्स को धता बताते हुए बिहार में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला। इसके कारणों की पड़ताल गांव कनेक्शन से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार हेमंत कुमार पाण्डेय ने की है, जो पिछले कुछ महीनों से बिहार के अलग-अलग इलाकों खासकर सीमांचल व मिथिलांचल से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इन दोनों क्षेत्रों में द्वितीय और तृतीय चरण में चुनाव हुआ था, जहां पर एनडीए को निर्णायक बढ़त मिली है।
By Hemant Kumar Pandey
आपने मधुबनी पेंटिंग का नाम शायद जरुर सुना होगा, इसी जिले में लाख की खास तरह की चूड़ियां भी बनती हैं, जिन्हें लहठी कहा जाता है। मधुबनी के अलावा दरंभगा,समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में भी इन चूड़ियों का काम होता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ये कारीगर मुश्किल में हैं, जानते हैं क्यों?
आपने मधुबनी पेंटिंग का नाम शायद जरुर सुना होगा, इसी जिले में लाख की खास तरह की चूड़ियां भी बनती हैं, जिन्हें लहठी कहा जाता है। मधुबनी के अलावा दरंभगा,समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में भी इन चूड़ियों का काम होता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ये कारीगर मुश्किल में हैं, जानते हैं क्यों?
By Hemant Kumar Pandey
दिल्ली की गलियों में आजकल आपको बच्चों को पढ़ाते, उनके साथ खेलते कुछ बच्चे नज़र आ सकते हैं । ये हैं ‘बैक पैक हीरोज’, जिन्होंने फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है।
दिल्ली की गलियों में आजकल आपको बच्चों को पढ़ाते, उनके साथ खेलते कुछ बच्चे नज़र आ सकते हैं । ये हैं ‘बैक पैक हीरोज’, जिन्होंने फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है।