कंगाल हो रहे सेब उगाने वाले किसान

Ashwani NigamAshwani Nigam   30 Dec 2017 7:41 PM GMT

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कंगाल हो रहे सेब उगाने वाले किसानफोटो साभार: इंटरनेट

लखनऊ। मौसम की मार का असर कहें या सरकारी नीतियों की बदनसीबी। सेब उगाने वाले किसान कंगाल हो रहे हैं और सेब की खेती छोड़कर कोई और विकल्प तलाश रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में अब तक का सबसे कम उत्पादन

ऐसा पहली बार है जब ‘एप्पल स्टेट’ के नाम से प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच साल में सबसे कम सेब का उत्पादन हुआ है। हिमाचल सेब उत्पादक संघ के महासचिव डॉ. ओंकार शाद ने बताया, ''खत्म हुए इस बार के सेब सीजन में 2 करोड़ि, 2 लाख, 24 हजार 838 पेटी सेब पैदा हुआ है, जो बहुत ही कम है।''

लेकिन ऐसा हो नहीं पाया

डॉ. ओंकार बताते हैं, “हिमाचल प्रदेश में 4 लाख बागवान परिवार हैं, यहां सेब का सालाना कारोबार 3500 करोड़ रुपए का होता है। इस बार मौसम अनुकूल नहीं रहने, असमय बारिश और ओलावृष्टि से सेब उत्पादक पर असर पड़ा है। अनुमान था कि इस बार लगभग 2.80 करोड़ पेटी सेब पैदा होगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।“

दाम भी नहीं बढ़े, कीमत पिछले साल से भी कम

सेब का उत्पादन कम होने से इसके दाम बढ़ने की संभावना थी, लेकिन दाम बढ़ने के बजाए घट गए। राजधानी दिल्ली की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आजादपुर के थोक फल व्यवसायी मोहम्मद शहनवाज ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''इस बार 20 किलो सेब की पेटी का होलसेल रेट 1108 रुपए रहा, जबकि पिछले साल इसी पेटी कीमत 1455 रुपए प्रति पेटी थी।''

किसान कर्ज में डूब रहे हैं

कुल्लू जिले के किसान जगदीश शर्मा ने बताया, ''पिछले दो साल से हमारे क्षेत्र में मौसम गर्म रहने से सेब की उत्पादन घट रहा है। बागवानी के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे में हम कर्ज में डूब रहे हैं।''

सेब का स्वाद मीठा से खट्टा

हिमाचल के सेब बागानों पर जलवायु परिवर्तन का भी खतरा मंडरा रहा है। तापमान बढ़ने के कारण जहां सेब के बागान सूख रहे हैं, वहीं सेब का स्वाद मीठा से खट्टा हो रहा है। द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट और ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट ने अध्ययन रिपोर्ट केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंपा है। इसमें बताया गया है कि आने वाले समय में तापमान में 0.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने से वर्ष 2030 तक हिमालच के सेब बागानों में 10 फीसदी की कमी आ सकती है।

1600 घंटे की चाहिए ठंडक

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. एसके भारद्वाज ने बताया, ''समुद्रतल से 1500 से लेकर 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हिमाचल के सेब उत्पाद क्षेत्रों में 1000 से 1600 घंटे की ठंडक होनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। बढ़ते तापतान और जल्दी बर्फ पिघलने के कारण सेब का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।''

सेब की खेती का 101 साल पूरा

हिमाचल में सेब की खेती की जानकारी देते हुए वैज्ञानिक प्रो. एसके भारद्वाज ने बताया, “हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती का 101 साल पूरा हो चुका है। पिछले साल ही इसका शताब्दी महोत्सव मनाया गया था। प्रदेश में 6 नंवबर 1916 में सेब का पहला बगीचा लगाया गया था। अमेरिका से सेब का पौधा लाकर सत्यानंद स्टोक्स ने वैज्ञानिक तरीके से इसकी शुरुआत की थी।“

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