चीनी पर सब्सिडी के कारण ऑस्ट्रेलिया के 4000 गन्ना किसानों को घाटा, डब्ल्यूटीओ में भारत की शिकायत

आस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत कृषि सब्सिडी के मामले में डब्ल्यूटीओ की सीमाओं का उल्लंघन कर रहा है। एबीसी न्यूज की शुक्रवार की एक खबर के मुताबिक भारत के साथ सीधे इस मुद्दे को कई बार उठाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने यह कार्रवाई की है।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   17 Nov 2018 8:15 AM GMT

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Sugar, Australia, WTO, subsidies, Simon Birminghamindian sugar cane subsidy (Photo by Gaonconnection)

लखनऊ। ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ चीनी पर सब्सिडी को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है। उसका मानना है कि भारत सरकार की सब्सिडी नीति से दुनियाभर में चीनी की कीमतों में भारी गिरावट आयी है जिसका नुकसान ऑस्ट्रेलियाई उत्पादकों को हुआ है। ऑस्ट्रेलिया का आरोप है कि इसी सब्सिडी के चलते इस साल भारत में चीनी का उत्पादन बढ़ कर 3.5 करोड़ टन तक पहुंच गया है जबकि इसका औसत उत्पादन 2 करोड़ टन सालाना है।

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी मिलें अगले पेराई सत्र (अक्तूबर-अप्रैल 2018-19) के दौरान एक लाख करोड़ के गन्ने की खरीद कर सकती है। चीनी उत्पादन भी बढ़कर 3.55 करोड़ टन तक पहुंच सकता है जो चालू वर्ष में 3.25 करोड़ टन है। चालू पेराई सत्र में चीनी मिलों ने 92,000 करोड़ रुपए के गन्नों की खरीद की है।

आस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत कृषि सब्सिडी के मामले में डब्ल्यूटीओ की सीमाओं का उल्लंघन कर रहा है। एबीसी न्यूज की शुक्रवार की एक खबर के मुताबिक भारत के साथ सीधे इस मुद्दे को कई बार उठाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने यह कार्रवाई की है। इसका मतलब यह है कि शुरुआत में यह मुद्दा डब्ल्यूटीओ की कृषि समिति की इस महीने होने वाली बैठक में उठाया जाएगा।

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दुनिया के कुल चीनी उत्पादन में भारत का हिस्सा 17.1% फीसदी है। भारत ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में उत्तर प्रदेश (36.1%), महाराष्ट्र (34.3%) और कनार्टक (11.7%), तीन सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य हैं। चित्र 1 से पता चलता है कि 2015-16 में भारत में चीनी उत्पादन 24.8 मिलियन टन हुआ था।

Indian sugar cane farmer (Photo by Gaonconnection)

ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री सिमॉन बीरमिंघम ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। चीनी पर अपनी नीतियों के माध्यम से वैश्विक बाजार को बिगाड़ने की जिम्मेदारी उसी की है। बीरमिंघम ने कहा "हमने हमारे उद्योग की चिंताओं को भारत सरकार के वरष्ठि अधिकारियों के स्तर पर कई बार उठाया है। लेकिन उनका समाधान नहीं होने से हमें निराशा हुई। अब हमारे सामने खुद के गन्ना किसानों और चीनी मिलों के हितों की रक्षा के लिए खड़ा होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने कहा कि अब वह इस मसले पर भारत और डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ आधिकारिक बातचीत करेंगे। वह इस मुद्दे को इस महीने होने वाली डब्ल्यूटीओ की कृषि समिति की बैठक में उठाएंगे।

आस्ट्रेलियाई न्यूज पोर्टल फार्म की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 सितंबर को जब भारत में घरेलू उद्योग की सहायता के लिए एक बिलियन डाॅलर सब्सिडी योजना की घोषणा की गई तो ऑस्ट्रेलिया के चीनी उद्योग को दो बिलियन आस्ट्रलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। इस बड़े घाटे का सामना कर रहे लोगो में आस्ट्रेलिया के 4000 गन्ना किसान और 24 चीनी मिल शामिल हैं।

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भारत सरकार ने पहले ही वर्ष 2017-18 के लिए न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के तहत तय 20 लाख टन चीनी निर्यात की समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया है ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के इस कदम के बाद निर्यात को भी झटका लग सकता है।

ऑस्ट्रेलिया की इस शिकायत के बाद इस विषय पर जिनेवा में 26 नवंबर को कृषि समिति द्वारा चर्चा हो सकती है। भारत और आस्ट्रलिया के बीच 21 अरब डॉलर का व्यापार होता है। जिसके अंतर्गत भारत में 77 फीसदी और आस्ट्रेलिया में 23 फीसदी आयात शामिल है।

पिछले पांच वर्षों में चीनी उत्पादन और खुदरा दरें

साल

उत्पादन (मिलियन टन)

खुदरा दरें (प्रति किलो, दिल्ली के हिसाब से )

2014-15

28.3

30-32

2015-16

25.1

30-32

2016-17

20.3

40-42

2017-18

32.5

42-43

2018-19

31.5 से 32 (अनुमानित)

36-38 (नवंबर तक)


          

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