आसमान में बादलों ने किसानों की बढ़ाई धडक़नें

गाँव कनेक्शन | Apr 08, 2017, 10:50 IST
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राजीव त्रिपाठी, स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। आसमान पर छाए बादलों ने किसानों की धुकधुकी बढ़ा दी है। खेतों में तैयार खड़ी फसल को सकुशल सुरक्षित करने की चिंता में किसान खपे जा रहे है। लम्बे समय से फसल पकने का इंतजार करने के बाद अब अन्नदाता देवी देवताआें से मन्नते मांग रहे है।

मालूम हो कि गेहूं की अच्छी पैदावार के अनुमान लगाये जा रहे थे। लेकिन फसल कटाई का समय नजदीक आते ही व्याधियों ने किसानों को परेशान कर रखा है। अब जिले के विभिन्न स्थानों पर हुए अग्निकांडों में सैकड़ों बीघा फसल नष्ट हो चुकी है। जिससे कई किसानों की उम्मीदों के चिराग बुझ चुके है। बीते दिन से आसमान पर छाये बादलों ने किसानों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी। जानकारों की माने तो इस समय यदि बारिश होती है तो किसानों की कमर टूट जाएगी।

यद्यपि हलकी फुलकी बारिश से खेतों में पकी खड़ी फसल प्रभावित नहीं होगी लेकिन जो फसल खेतों में कटी पड़ी है और थ्रेसरिंग का इंतजार हो रहा है। उसमें बड़ा नुकसान किसानों को हो सकता है। इस मौसम में बारिश होने पर आेलावृष्टि की संभावना अधिक रहती है। यदि एेसा होता है तो किसान तबाह हो जाएगा। पचोड्डा गांव में रहने वाले किसान बिन्दू ने बताया कि खेतों में फसल तैयार खड़ी है। फसल काटने के लिए मजदूरों से बात भी हो चुकी है। लेकिन बादल देख कर डर लगा रहा है। पंद्रह बीस दिन और रूक जाए फिर जितना बरसना हो बरसे।

हैबतपुर गांव के रहने वाले किसान नीरज ने बताया कि उनकी भी फसल खेतों में कटी पड़ी है। वह भी ईश्वर से यही प्रार्थना करते नजर आये कि अभी पानी न बरसे। मद्दूखेड़ा के रहने वाले अशोक बताते है कि एेसे में पानी बरस गया तो किसान तबाह हो जाएगा। सरोसी निवासी किसान श्याम अवस्थी ने बताया कि इस समय बारिश हुई तो इंसान से लेकर मवेशियों तक के लिए खाद्यान्न संकट खड़ा हो जाएगा। बारिश में भींगने से जहां गेहूं का दाना खराब होगा वहीं मवेशियों के लिए भूसा की समस्या खड़ी हो जाएगी।

कुल मिलाकर इन दिनों सभी अन्नदाता भगवान से बारिश को फिलहाल थामे रखने की ही प्रार्थना करते नजर आ रहे है। क्योंकि महीनों की मेहनत और लागत का प्रतिफल पाने की प्रक्रिया का एक महतवपूर्ण व बड़ा हिस्सा अभी बाकी है। फसल कटने से लेकर थ्रेसिंग सुरक्षित गेहूं का भंडार भूसे की भरान जैसे काम को करने में सामान्य तौर पर पंद्रह से बीस दिन का समय चाहिए। वो भी तब जब कटाई के लिए मजदूर और थ्रेसिंग के लिए थ्रेसर आदि की व्यवस्था हो।

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