सादे कागज पर लिखकर अब पांच साल के लिए कर सकेंगे बटाई पर खेती

भूमि स्वामी और बटाईदार के हितों को सुरक्षित रखने के साथ भूमि संसाधन का अधिकतम और लाभप्रद उपयोग हो, इसके लिए भूमि को बटाई पर दिए जाने की व्यवस्था को कानून के तहत किया गया है।

Kushal MishraKushal Mishra   15 May 2018 10:57 AM GMT

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सादे कागज पर लिखकर अब पांच साल के लिए कर सकेंगे बटाई पर खेती

मौखिक रूप से नहीं, बल्कि अब भूमि स्वामी को लिखित अनुबंध पर बटाईदारों को खेती की जमीन देनी होगी। मध्य प्रदेश विधानसभा में पारित किए गए इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब पूरे प्रदेश में कानून के रूप में यह प्रभावशाली हो चुका है।
अब तक भूमि स्वामी मौखिक रूप से ही बटाई पर भूमि देते थे और लिखित में देने से हिचकते थे। भूमि हर साल बटाईदारों को बदल भी देते थे ताकि कोई भी बटाईदार भूमि का अधिकार प्राप्त न कर पाए।
ऐसे में भूमि स्वामी और बटाईदार दोनों के हितों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ भूमि संसाधन का अधिकतम और लाभप्रद उपयोग हो, इसके लिए भूमि को बटाई पर दिए जाने की व्यवस्था को कानून के तहत कर दिया गया है।
अनुबंध की होगी तीन प्रतियां
कानून के अनुसार, एक सादे कागज पर निर्धारित प्रारूप के अनुसार भूमि स्वामी और बटाईदार के बीच यह अनुबंध लिखित रूप से होगा। इसकी तीन प्रतियां होंगी, इनमें एक-एक भूमि स्वामी और बटाईदार के पास, जबकि तीसरी प्रति तहसीलदार के पास दी जाएगी। यह अनुबंध अधिकतक पांच साल के लिए किया जा सकेगा।


नहीं कर सकेगा बटाईदार भूमि पर कब्जा
कानून में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि अनुबंध के तहत बटाईदार का भूमि स्वामी की भूमि पर कोई अधिकार नहीं रहेगा और भूमि पर किसी भी अधिकार या लाभ के लिए न्यायालय में आवेदन या याचिका प्रस्तुत नहीं कर सकेगा। बटाईदार को उस भूमि पर कृषि कार्य करने का अधिकार होगा। वहीं अनुबंध का पालन न करने पर कानून में जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत तहसीलदार 10,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुर्माना वसूल सकेगा।
अनुबंध में लाभ प्रतिशत का होगा उल्लेख
कानून के तहत अनुबंध में यह भी विवरण दिया जाएगा कि प्राकृतिक आपदा के समय सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि में कितने प्रतिशत दोनों को मिलेगा। अनुबंध की अवधि पूरी होने के बाद भूमि पर भूमि स्वामी का कब्जा हो जाएगा।
इस बारे में भोपाल के राज्य भूमि सुधार आयोग के सचिव अशोक गुप्ता ने पत्रकारों को बताया, "भूमि स्वामी और बटाईदार के बीच यह अनुबंध करना कानून के तहत अनिवार्य नहीं है। मगर बटाई की भूमि पर स्वामित्व के अधिकार और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लाभ जैसे विवादों को दूर करने के लिए यह कानून बनाया गया है।"
वहीं मध्य प्रदेश में कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी दशरथ नंदन पाण्डेय गाँव कनेक्शन से फोन पर बताते हैं, "निश्चित रूप से इस कानून से बटाईदारों को लाभ मिलेगा। अब तक प्राकृतिक आपदा से या फिर फसल नुकसान से, जो भी सरकारी सहायता मिलती थी वो किसान को ही मिल पाती थी, लेकिन इस कानून के आने के बाद बटाईदार को अनुबंध के अनुसार सरकारी सहायता मिल सकेगी। यह एक अच्छा कानून है और इसे दूसरे प्रदेशों में भी लागू किया जाना चाहिए।"

     

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