बुंदेलखंड के किसानों ने कहा, ‘जुग-जुग जियो योगी जी’

Arvind Singh ParmarArvind Singh Parmar   5 April 2017 8:27 PM GMT

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बुंदेलखंड के किसानों ने कहा, ‘जुग-जुग जियो योगी जी’कर्जमाफी से किसानों के खिल उठे चेहरे।

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

ललितपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मंगलवार को किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्ज माफ करने के फैसले से बुंदेलखंड के किसान बेहद खुश हैं। कर्जमाफी की सीमा प्रति किसान एक लाख रुपए है। योगी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में सरकार ने छोटे किसानों के एक लाख रुपए तक के फसल कर्ज माफ करने का एलान कर दिया। कर्जमाफी की सूचना मिलते की किसानों के चेहरे खिल उठे। कर्जा माफ होने पर सभी ने योगी की जमकर तारीफ की।

ललितपुर जनपद से 35 किमी महरौनी तहसील अंर्तगत पूर्व दक्षिण दिशा मे भवानी सिंह (उम्र 62)वर्ष योगी सरकार की कर्ज माफी पर खुशी जाहिर करते हुए बताते हैं, "पांच सदस्यो का परिवार है। तीन एकड़ जमीन पर पचास हजार का केसीसी 2010 मैं बनवाया था। लगातार सूखा ने आर्थिक कमर तोड़ दी। पिछले साल तो खाने के लाले पडे़ रहे। योगी सरकार ने कर्जा माफ कर दिया, मानो हमारी जान में जान आ गयी।' भवानी सिंह हंसते हुए बताते हैं," सपा सरकार ने कर्जा माफ कि बात की थी, लेकिन कर्जा माफ नहीं किया था, भाजपा ने वादा के हिसाब से कर्जा माफ कर दिया। अब हमारे अच्छे दिन आ गये, क्योंकि कर्जा माफ हो गया।'

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खिरिया लटकन जू गाँव के पप्पू कुशवाहा (48 वर्ष) हाथ जोड़ कर बताते हैं, " पिता सीताराम के नाम चार एकड़ पर तीन साल पहले एक लाख पचास हजार रुपए का बैंक से कर्ज लिया था। पिता जी का स्वर्गवास हो गया। खेती में लगातार नुकसान हुआ। बैक का कर्जा नहीं भर पाया।' खुशी जाहिर करते हुऐ बताया, योगी ने किसानों को बहुत खुशी दी। खुशी का इजहार करते हुए कहा,' जुग जुग जीओ योगी जी।' वहीं बम्होरी घाट के खलक सिंह (48 वर्ष) ने कहा" सवा दो एकड़ पर अस्सी हजार का कर्जा दो साल से नहीं भर पाया। सूखा ने बेकारी पैदा कर दी थी। भाजपा ने बुंदेलखंड के किसानों को कर्जा माफ कर आर्थिक सौगात दी।'

दिगवार गाँव के दुर्जनलाल अहिरवार (उम्र 50 वर्ष) बताते हैं, " मेरी साढे चार एकड़ जमीन है। 12 लोगों का परिवार है। 6-7 साल पहले 85 हजार का बैंक से कर्जा तो ले लिया, लेकिन बार बार सूखा, बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि से फसल चौपट होती रही। ऐसे में कर्जा भरना तो दूर की बात दो वक्त की रोजी रोटी की जुगत में परिवार सहित पलायन कर दिल्ली में मजदूरी करके बुरे दिन काटे। अब रोजी रोटी के लिए पलायन नही करना पड़ेगा। मैं और मेरा परिवार काफी खुश है। कम से कम गरीब के हित मै अच्छा फैसला लिया गया। "

          

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