किसानों को धीमी मौत मार रहे कीटनाशक, यवतमाल में 9 किसानों की मौत के बाद उठे गंभीर सवाल

Ashwani NigamAshwani Nigam   28 Sep 2017 8:30 PM GMT

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किसानों को धीमी मौत मार रहे कीटनाशक, यवतमाल में 9 किसानों की मौत के बाद उठे गंभीर सवालखेत में कीटनाशक का छिड़काव करता किसान।

लखनऊ। महाराष्ट्र के यवतमाल में फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करते समय कीटनाशकों के जहरीले प्रभाव की चपेट में आने से 9 किसानों की मौत हो गई। यह देश का पहला मामला नहीं है बल्कि हर साल कीटनाशकों के छिड़काव संबधी सुरक्षा किट्स और जागरूकता के अभाव में हजारों किसानों की जान जा रही है लेकिन इसके बाद भी कृषि विभाग और संबंधित सरकारी विभागों की तरफ से किसानों के लिए जानलेवा बन रहे कीटनाशकों से बचाव के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहे हैं।

राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि राज्यमंत्री ने संसद को बताया था कि पिछले तीन सालों में खेत में कीटनाशकों को छिड़काव करते समय 5114 किसानों की मौत हुई है।

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कीटनाशकों का फसलों व जीवों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इसपर लंबे समय से अध्ययन कर रहे केवीके सीतापुर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया श्रीवास्तव ने बताया '' कीटनाशकों को लेकर लापरवाही का आलम यह है कि इनको बेचने के लिए जिन लोगों को लाइसेंस दिया गया है उन्हें ही न हीं पता है कि कौनसा कीटनाशक कितना घातक है। कीटनाशकों को छिड़काव करते समय किसानों को क्या सुरक्षा उपाय करना चाहिए। ऐसे में जागरूकता के अभाव में हर साल किसान कीटनाशकों के प्रभाव से मर रहे हैं। ''


कीटनाशकों के आयात, उत्पादन, परिवहन, बिक्री, बंटवारे व इस्तेमाल को काबू करने और गड़बड़ियों पर नकेल कसने के लिए देश में कीटनाशक अधिनियम साल 1968 में बनाया गया था। इस के तहत गड़बड़ी साबित होने पर लाइसेंस रद्द करने के साथ-साथ 2 साल कैद और जुर्माने का भी नियम है, लेकिन ज्यादातर किसान शिकायत नहीं करते और अगर करते भी हैं, तो मामले अपील में छूट जाते हैं। साल 2000 में इस कानून में सुधार व बदलाव हुए, लेकिन किसानों को इस से कोई खास राहत नहीं मिली।


फसलों को विभिन्न बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए किसान बिना जरूरी सुरक्षा उपाय किए खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं और इसकी चपेट में आने से मरते हैं। किसानों को कीटनाशकों को छिड़काव करते समय जो सुरक्षा उपाय और किट्स चाहिए होती है उसके बारे में अधिकतर किसानों को जानकारी ही नहीं होती है।


इसी साल देश के अलग-अलग जगहों पर कई किसान कीटनाशकों के प्रभाव में आकर दम तोड़ दिए हैं। दो दिन पहले की हरियाणा के हिसार जिले के गोरखपुरगांव में खेत में कीटनाशकों का छिड़काव करते समय कीटनाशक के प्रभाव में आने से 30 साल के किसान मुनीम की मृत्यु हो गई। इस बारे में जानकारी देते हुए किसान के चचेरे भाई रणवीर सिंह ने बताया उनका भाई सुबह खेत में कीटनाशक छिड़कने गया था लेकिन कीटनाशकों की जद में आने के कारण उसकी मौत हो गई।

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इसी तरह 17 अगस्त को राजस्थान के सांडवा ब्लाक के लिखमणसर गांव के नारायण सिंह की मौत हो गई। इस बारे में जानकारी देते हुए उस किसान के बेटे नरपत सिंह राजपूत ने बताया '' मेरे पिता 17 अगस्त को मूंग की फसल पर छिड़काव कर रहे थे, उसके बाद कीटनाशकों के प्रभाव में आकर उनकी तबीयत खराब हो गई। असस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। '' किसानों के लिए जानलेवा बनते कीटनाशकों पर रोग लगाने के लिए पर्यावरविद लंबे समय से मांग कर रहे हैं।


देश में कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है, कीटनाशकों को लेकर किसानों के बीच जागरूकता की कमी है लेकिन इसको दूर करने को लेकर जो प्रयास होने चाहिए नहीं हो रहे हैं। स्थिति यह है कि कीटनाशकों को बेचने वाली कंपनियां भी सेंट्रल इंसेक्टीसाइड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी के गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा रही हैं।


देश में हानिकारक कीटनाशकों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग करने के लिए अभियान चलाने वाले देश के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने बताया '' अपनी मेहतन की कमाई फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव करता है लेकिन यही कीटनाशक किसानों के लिए जानलेवा बन रहे हैं। हमारी सरकार से मांग है कि किसी भी कीटनाश को मंजूरी देने से पहले सरकार इस बात की जांच कराएं कि यह कीटनाशक मनुष्य के लिए हानिकारक न हो इसके साथ ही किसानों को इसकेा लेकर जागरूक किया जाए। ''


कीटनाशकों को छिड़काव करते समय किसान इन बातों को ध्यान रखें:

फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए काम रहे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ने किसानों को कीटनाशकों को छिड़कात करते समय अपनी सुरक्षा कैसे करें इसके लिए एक गाइडलाइंस जारी की है, जिसके मुताबिक कीटनाशक मुनष्य के शरीर में हवा और भोजन के जरिए प्रवेश करते हैं। ऐसे में इससे बचने के लिए किसानों को केवल उन रसायनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें जो सरकार से मान्यताप्राप्त हैं।


किसान जब छिड़काव करें तो एक एप्रन पहने जो शरीर को पूरी तरह से ढकता हो, साथ ही आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा, ऊंचे जूते और दस्तानों का प्रयोग करें। कोशिक करें कि शरीर पूरा ढंका हुआ हो।


कीटनाशका का घोल तैयार करते समय इसके सीधे संपर्क में न आएं। जिस उपकरण में कीटनाशक के घोल को भर रहे हैं उसमें सुनिश्चित करें कि उपकरण और नोजल ठीक से काम करते हैं और इनमें कोई लीक नहीं है। छिड़काव से पहले खेत में प्राथमिक चिकित्सा किट को भी रखें। हवा की दिशा में ही कीटनाशका छिड़काव करें। जमीन के नजदीक छिड़काव करें ताकि कीटनाशक के अधिक उपर न उड़ सकें। छिड़काव के तुरंत बाद साबुन से अपने शरीर को अच्छी तरह से साफ करें। अगर कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद चक्कर या उल्टी लगता है तो तुरंत चिकित्स के पास जाएं।

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