'किसानों की स्थिति सुधारने के लिए देश को पीली क्रांति की जरूरत'

Mithilesh Dhar | Oct 01, 2018, 04:04 IST
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छिंदवाड़ा। " जिस तरह से देश में सफ़ेद क्रांति लायी गयी, नीली क्रांति की अगुवाई देश कर रहा है, अब उसी तरह देश को पीली क्रांति की आवश्यता है। पीली क्रांति से देश के किसानों की स्थिति में सार्थक बदलाव आ सकता है।" मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आयोजित कॉर्न फेस्टिवल में आये वैज्ञानिकों ने एक सुर में ये बात कही।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आयोजित देश का पहला मक्का महोत्सव रविवार को समाप्त हो गया। कार्यक्रम के आखिरी दिन देशभर से आये वैज्ञानिकों ने मक्के की विभिन्न पहलुओं पर बात की और पीली क्रांति का नारा दिया. दूसरे दिन रविवार को जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से आये कृषि वैज्ञानिक `डॉ धीरेन्द्र खरे ने कहा कि मध्य प्रदेश में मक्के पर अच्छा काम चल रहा है। हम और ज्यादा पैदावार बढ़ाने की और काम कर रहे हैं। छिंदवाड़ा इसमें सबसे आगे है। अगर यहाँ ऐसे ही मक्के का उत्पादन होता रहा तो ये जिला एक दिन जरूर कॉर्न सिटी के नाम से जाना जायेगा। अब देश को पीली क्रांति की जरुरत है।



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ग्लोबल फूड टेक इंदौर के डॉ।रामनाथ सूर्यवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि मक्के में व्यापार में अपार संभानाएं हैं। लेकिन पहले हमको ये जान लेना चाहिए कि मक्के का इस्तेमाल रोटी, कॉर्न फ्लेक्स और पॉप कॉर्न अलावा भी होता है। किसान व्यापार को ध्यान में रखकर मक्के का उत्पादन बढ़ाएं। प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर किसानों की आमदनी बिल्कुल बढ़ाई जा सकती है। इसके आलावा कार्यक्रम को इंटरप्रयोन्योरशिप डेवलेपमेंट नागपुर के एक्सपर्ट शरद खंडेलवाल और आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव छिन्दवाड़ा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार पराडकर ने भी संबोधित किया।



दूसरे दिन पहले सत्र को टाटा ट्रस्ट गुजरात द्वारा बिग इंडस्ट्रीज, हरियाणा के चौहान द्वारा कॉटेज इंडस्ट्रीज, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान पूसा परिसर नई दिल्ली के डॉ. चिकप्पा जी करजगी द्वारा मक्का उत्पादन के मूल्य संवर्धन, स्वयंसेवी संस्थान मैजी कर्नाटका द्वारा संस्थान की गतिविधियों, कृषि कालेज नागपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. जीबी देशमुख द्वारा मक्का के भोजन व घास के रूप में उपयोग, जबलपुर के पंकज सिंह द्वारा मक्का संग्रहण, एफसीआई भोपाल के डॉ. सतीश द्वारा सीड टेक्नालाजी और धोली बिहार के प्रमुख अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर और तिरहुत कृषि कालेज के प्रमुख डॉ. अनिल पांडे द्वारा बिहार में रबी सीजन में मक्का उत्पादन पर जानकारी दी गयी।

इसके बाद दूसरे सत्र में आनंद कृषि विश्वविद्यालय गोदरा गुजरात के मुख्य मक्का अनुसंधान केन्द्र के मक्का ब्रीडर डॉ. डी एच पटेल ने गुजरात में मक्का उत्पादन और पूर्व मक्का ब्रीडर डॉ. एस एन खानोरकर ने बीज उत्पादन (कम्पोजिट्स), जैन इरीगेशन ने मक्का में सिंचाई, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. डी शोभा ने बेबी कॉर्न व्यंजन, धोली बिहार के तिरहुत कृषि कालेज के एग्रोनॉमिस्ट और इंचार्ज डॉ मृत्यंजय कुमार ने उच्च तकनीकी से मक्का उत्पादन, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलुपर के डॉ. एसएस शुक्ला ने मक्का प्रोसेसिंग के संबंध में चर्चा की। इसके बाद किसानों को आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव का भ्रमण भी कराया गया।



कॉर्न फेस्टिवल में देशभर से आये विभिन्न उद्यमियों ने अपने उत्पाद, नवाचार, नवीन तकनीक आदि का प्रदर्शन विभिन्न स्टॉलों में किया गया। उद्यमियों ने किसानों को विस्तार से अपने उत्पादों और उन्नत तकनीकी की जानकारी दी जिसका किसानों ने लाभ लिया। कलेक्टर वेद प्रकाश ने प्रत्येक स्टॉल पर जाकर किसानों के लिए लाभकारी उत्पाद, नवाचार, नवीन तकनीक आदि के बारे में जानकारी दी।

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