भारत से पशुपालन और डेयरी की तकनीकी सीखना चाहता है नामीबिया
गाँव कनेक्शन 27 July 2017 7:32 PM GMT
नई दिल्ली। नामीबिया भारत से पशु पालन और उससे कमाई के तरीके सीखना चहता है। भारत भ्रमण पर आए नामीबिया गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति हाइफिपुन्ने पोहम्बा ने करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निरीक्षण के दौरान ये इच्छा जताई।
पूर्व राष्ट्रपति 9 सदस्यीय दल के साथ भारत दौरे पर हैं। यहां उन्होंने एनडीआरआई द्वारा विकसित की जा रही तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने डेरी शिक्षा के क्षेत्र में नामीबिया के साथ सहभागिता का प्रस्ताव रखा। दल ने संस्थान के कैटल यार्ड, कृत्रिम प्रजनन अनुसंधान केंद्र, बीपीडी यूनिट, एनीमल बायोटेक्नोलोजी रिसर्च सेंटर तथा नेशनल रेफरल लैब का निरीक्षण किया तथा संस्थान द्वारा तैयार किए गए लजीज खाद्य पदार्थो का स्वाद भी चखा।
नामीबिया के पूर्व राष्ट्रपति हाइफिपुन्ने पोहम्बा ने कहा, “हिन्दुस्तान नामाबिया का मित्र देश है। यहां 1.25 करोड़ लोगों का पेट भरना अपने आप में कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भता को दर्शाता है। इसके अलावा दूध उत्पादन में नंबर वन स्थान पर बने रहना भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।”
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उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों को नामाबिया में जाकर डेरी की शिक्षा देने तथा नामाबिया के विद्यार्थियों को एनडीआरआई में प्रवेश देने की इच्छा जाहिर की, ताकि वहां के किसान भी भारतीय तकनीकों को अपना कर कृषि एवं डेरी के क्षेत्र में आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा, “नामाबिया में पशुओं की संख्या अधिक है, इसलिए एनडीआरआई उनके लिए प्ररेणादायक साबित होगी। अंत में उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई तकनीकों की प्रशंसा की।”
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. आरआरबी सिंह ने संस्थान की प्रगति रिपार्ट पेश की और भविष्य में किस प्रकार की योजना बनाई जा रही है, इस बात से भी जानकारी दी। उन्होंने बताया, “ एनडीआरआई में साहीवाल, थारपारकर, गिर जैसी देशी नस्ल की गायों को रखा हुआ है और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए शोध कार्य किया जा रहा है। एनडीआरआई डेरी के क्षेत्र में एशिया का नंबर वन डेरी संस्थान हैं, जहां विद्यार्थियों को प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग तथा मैनेजमेंट की शिक्षा दी जाती है।”
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सयुंक्त निदेशक अनुसंधान डा. बिमलेश मान ने बताया कि एनडीआरआई में भारत के साथ-साथ विदेशों से भी करीब 1000 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। संस्थान में लगभग दो हजार पशु हैं, जोकि रोजाना 4000 लीटर दूध देते हैं। यहां के वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार की तकनीके विकसित कर देश की प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। दल में विशेषरूप से मिस्टर एवररिस्टस, प्रो. लाजरस हंगुला मौजूद रहे।
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