ग्वार की खेती से दूर भाग रहे किसान

अमित सिंहअमित सिंह   15 July 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। दाल की बुवाई और उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशों का असर ग्वार की खेती पर पड़ने लगा है। सरकार की ओर से दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी बढ़ाए जाने के बाद देश के किसान ग्वार की खेती से दूर होने लगे हैं।

मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,650 और 200 रुपए बोनस के बाद बढ़ाकर 4,900 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। लेकिन ग्वार सीड के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई भी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं तय किया गया है। ऐसे में ग्वार सीड उत्पादक इलाकों के किसान इस साल खरीफ सीजन में मूंग-मोठ का रकबा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

ग्वार की एमएसपी न होने से किसान निराश

ग्वार का कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होने के अलावा सरकार की ओर से इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसी भी तरह की पहल नहीं की जा रही है। अगर ग्वार सीड का उत्पादन नए सीजन में 50 फीसदी तक घटता है तो चार महीने बाद ग्वार सीड 4,500-5,000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच सकता है जबकि ग्वार गम में 9000-10000 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेज़ी आ सकती है। सरकार की ओर से इस साल ग्वार की बुवाई के लिए 3 लाख 60 हज़ार हेक्टेयर का रकबा तय किया गया है लेकिन बुवाई का सीज़न लगभग ख़त्म होने के बाद भी अभी तक सिर्फ़ 60 हजार हेक्टेयर में ही ग्वार की बुवाई हो पाई है।

श्रीगंगानगर ऑयल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कांदा के मुताबिक, “ग्वार के खेती से किसानों के दूर हटने की सबसे बड़ी वजह है मौसम। बेवक्त बारिश ने किसानों का बहुत नुकसान हुआ है। बारिश वक्त पर नहीं होने से भी बुवाई काफ़ी पिछड़ गई है। बीते साल राजस्थान में सिर्फ 40 फीसदी ही उत्पादन हुआ।’’

अभी तक राजस्थान के श्रीगंगानगर में पिछले साल के मुकाबले केवल एक तिहाई क्षेत्र में ही ग्वार की बुवाई हुई है। ग्वार की उपलब्धता में कमी आने से ग्वार के भाव तेज़ी से चढ़ने लगे हैं। क्रूड में रिकवरी से आगे इसकी कीमतों में और ज्यादा तेजी देखने को मिल सकती है। ग्वार का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कच्चे तेल की ड्रिलिंग के दौरान किया जाता है जहां ग्वार से निकाले गम का इस्तेमाल ड्रीलिंग मशीनों में किया जाता है। राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले किसान दलजिंदर सिंह (35 वर्ष) बताते हैं, “बीते तीन-चार वर्षों से किसानों को ग्वार की अच्छी कीमत नहीं मिल रही है। वजह बारिश है अभी तक राजस्थान में इतनी बारिश ही नहीं हुई कि किसान ग्वार की बुवाई कर सकें।’’

राजस्थान के राजसमंद ज़िले के किसान विवेक सिंह (38 साल) ने बताया, “अभी तक केवल एक तिहाई हिस्से में ही ग्वार की बुवाई हुई है।” ग्वार के भाव अच्छे नहीं मिल रहे हैं। राजस्थान के किसान अब अरहर और मूंग जैसी नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। एक एकड़ पर ग्वार उगाने का खर्चा तकरीबन 5,000 हजार रुपए है, लेकिन रिटर्न केवल 3,000 रुपए के आसपास ही मिल रहा है। इसलिए इस बार ख़रीफ सीजन में ग्वार की जगह दाल की फसल लगाएंगे।’’

श्रीगंगानगर ऑयल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कांदा बताते हैं, “क्रूड सस्ता होने से ग्वार की कीमतों में भी तेज़ी से गिरावट दर्ज़ की गई।’’

 

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