अमरूद, पपीता और स्ट्रॉबेरी की खेती पर मिलेगी बिहार में सब्सिडी, जानें आवेदन की प्रक्रिया
Gaon Connection | Mar 18, 2025, 13:07 IST
बिहार सरकार की यह योजना राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके जरिए किसान अधिक उत्पादक बन सकते हैं और उनकी आय में वृद्धि हो सकती है।
बिहार सरकार अनाज उत्पादन के साथ-साथ, राज्य सरकार फल, फूल और सब्ज़ियों की खेती को भी बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। इसके तहत किसानों को आर्थिक सहयोग प्रदान करके उन्हें अधिक उत्पादक बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस प्रयास के हिस्से के रूप में बिहार में ‘क्लस्टर बागवानी योजना’ की शुरुआत की गई है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को फलों के पौधे और पेड़ लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है। योजना के तहत, अगर किसी गाँव में कम से कम 25 एकड़ भूमि पर बागवानी फसलें लगाई जाती हैं, तो सरकार उस पर सब्सिडी देगी।
'क्लस्टर बागवानी योजना' के तहत राज्य के किसानों को अमरूद, आंवला, लेमनग्रास, पपीता, नींबू और बेल जैसी फसलों की खेती करने पर प्रति एकड़ 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं, स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सरकार प्रति एकड़ 2 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो बागवानी की खेती में रुचि रखते हैं और इसे व्यावसायिक रूप से अपनाना चाहते हैं।
बिहार के किसान जो बागवानी या फलों की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए यह योजना एक बेहतर अवसर प्रदान करती है। इसके तहत वे अपने खेत में अमरूद, आंवला, लेमनग्रास, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, नींबू और बेल जैसी फसलों के पौधे लगा सकते हैं। इन सभी फलों की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को साल भर अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। मौजूदा समय में बागवानी एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र बन गया है और किसानों की आय में कई गुना बढ़ोतरी का जरिया बन सकता है। बिहार सरकार का यह प्रयास किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:
किसान अगर योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वे बिहार कृषि विभाग और बागवानी निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं। इसके अलावा, योजना से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान अपने जिले के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं।
बिहार सरकार की यह योजना राज्य के किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी आय में सीधी वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे। बागवानी फसलों की खेती से किसानों को सालभर मुनाफा मिल सकता है, क्योंकि फलों की मांग पूरे साल बनी रहती है। इसके अलावा, क्लस्टर में बागवानी योजना के जरिए राज्य में कृषि क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में विविधता आएगी।
यह योजना न सिर्फ किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें बेहतर खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। सरकार का उद्देश्य किसानों को मुख्यधारा की खेती से हटकर बागवानी और अन्य उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर आकर्षित करना है, जिससे उनकी आय में लगातार वृद्धि हो सके। इस योजना से किसानों को अपनी खेती की क्षमता को बढ़ाने का अवसर मिलेगा और वे राज्य के कृषि विकास में भी अहम योगदान दे सकेंगे।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को फलों के पौधे और पेड़ लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है। योजना के तहत, अगर किसी गाँव में कम से कम 25 एकड़ भूमि पर बागवानी फसलें लगाई जाती हैं, तो सरकार उस पर सब्सिडी देगी।
क्लस्टर बागवानी योजना के तहत सब्सिडी
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बागवानी से आय में वृद्धि
आवेदन प्रक्रिया
- हॉर्टिकल्चर वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले किसान राज्य सरकार की आधिकारिक हॉर्टिकल्चर वेबसाइट पर जाएं। यहां उन्हें योजना से संबंधित जानकारी मिलेगी।
- योजना का विकल्प चुनें: वेबसाइट के होम पेज पर पहुंचकर, योजना के विकल्प पर क्लिक करें और ‘क्लस्टर बागवानी योजना’ का चयन करें।
- आवेदन फॉर्म भरें: इसके बाद किसान बागवानी सब्सिडी के लिए आवेदन करें। यहां क्लिक करने के बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म सामने आएगा। फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारी ध्यानपूर्वक और सही-सही भरें।
- फॉर्म जमा करें: फॉर्म भरने के बाद उसे सबमिट कर दें। सभी आवश्यक जानकारी भरने के बाद आपका आवेदन सफलतापूर्वक जमा हो जाएगा।
जानकारी और सहायता
योजना का महत्व
यह योजना न सिर्फ किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि उन्हें बेहतर खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। सरकार का उद्देश्य किसानों को मुख्यधारा की खेती से हटकर बागवानी और अन्य उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर आकर्षित करना है, जिससे उनकी आय में लगातार वृद्धि हो सके। इस योजना से किसानों को अपनी खेती की क्षमता को बढ़ाने का अवसर मिलेगा और वे राज्य के कृषि विकास में भी अहम योगदान दे सकेंगे।