गेहूं की नई किस्म 'करण वंदना' में नहीं लगेंगी कई बीमरियां, मिलेगा अधिक उत्पादन

Divendra SinghDivendra Singh   26 Aug 2019 10:06 AM GMT

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गेहूं की नई किस्म करण वंदना में नहीं लगेंगी कई बीमरियां, मिलेगा अधिक उत्पादन

गेहूं की इस नई किस्म की बुवाई करने पर किसानों को अधिक पैदावार तो मिलेगी ही, साथ ही इस किस्म में ब्लास्ट और पीला रतुआ जैसी बीमारियों का भी खतरा कम रहेगा।

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म 'करण वंदना' DBW-187 विकसित की है, यह किस्म यह किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता रखने के साथ-साथ अधिक उपज देने वाली भी है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की यह किस्म उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त है। वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित 'करन वन्दना' अधिक पैदावार देने के साथ गेहूं 'ब्लास्ट' नामक बीमारी से भी लड़ने में सक्षम है।

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं, "गेहूं की इस नई किस्म ('करन वन्दना'-डीबीडब्ल्यू 187) में रोग से लड़ने की कहीं अधिक क्षमता है। साथ ही इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता, लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं जो आज पोषण आवश्यकताओं की जरुरत के लिहाज से इसे बेहद उपयुक्त बनाता है।"

ये किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे उत्तर पूर्वी क्षेत्रों की कृषि भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायू में खेती के लिए उपयुक्त है। सामान्यता गेहूं में प्रोटीन कंटेंट 10 से 12 प्रतिशत और आयरन कंटेंट 30 से 40 प्रतिशत होता है, लेकिन इस किस्म में 12 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन 42 प्रतिशत से ज्यादा आयरन कंटेंट पाया गया है। DBW-187 किस्म की बुवाई से लगभग 7.5 टन का उत्पादन होता है, जबकि दूसरी किस्मों से 6.5 टन का उत्पादन मिलता है।

'ब्लास्ट' रोग से लड़ने में सक्षम

सामान्य तौर पर धान में 'ब्लास्ट' नामक एक बीमारी देखी जाती थी लेकिन पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में और अभी हाल ही में बांग्लादेश में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था और तभी से इस चुनौती के मद्देनजर विशेषकर उत्तर पूर्वी भारत की स्थितियों के अनुरूप गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप 'करन वन्दना' अस्तित्व में आया। इसमें इस किस्म में इस रोग के साथ कई रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है।

120 दिनों में तैयार हो जाती है फसल

इस नई किस्म के गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती है और कुल 120 दिनों में यह पूरी तरह से तैयार हो जाता है।

यूपी के गोरखपुर में महिला किसानों ने किया सफल परीक्षण


इस किस्म को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान संस्थान ने महायोगी गोरखपुर कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के साथ मिलकर 16 नवंबर, 2018 को गोरखपुर जिले के गेहूं किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक किसान शामिल थे। इस कार्यक्रम में शामिल किसानों को 'करण वंदना' बीज की 2.5 किलो किट भी दी गई थी।

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ राजेंद्र सिंह बताते हैं, "गेहूं की इस किस्म को गोरखपुर की कई महिला किसानों ने बुवाई की थी, उन्हीं में एक महिला किसान कोइला देवी भी थी, किट पाने के बाद उन्होंने नवंबर के तीसरे सप्ताह में ही इस किस्म की बुवाई कर दी थी, उतने बीज में उन्ळें 220 किलो गेहूं का उत्पादन मिला।

ये भी पढ़ें : गेहूं की फसल के लिए खतरा बन रहा नए तरह का रतुआ रोग

     

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