इजरायल की मदद से आधुनिक फार्म में तब्दील होंगे भारत के पारंपरिक खेत
आधुनिक खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए भारत और इजराइल ने बनाई तीन साल की योजना। कृषि उत्पादकता और बागवानी उत्पादन की बेहतर होगी गुणवत्ता। बढ़ेगी किसानों की आय।
गाँव कनेक्शन 25 May 2021 1:42 PM GMT

इजराइल के साथ नए कृषि कार्यक्रम में पहले चल रहे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ाना और साथ ही नए केंद्रों की स्थापना करना, आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा सहयोग को प्रोत्साहित करना है। फोटो: पिक्साबे
कम पानी और आधुनिक तकनीक की मदद से खेती करने के लिए दुनिया भर में मशहूर इजरायल भारत में खेती को बढ़ावा देगा। इससे कृषि उत्पादकता और बागवानी उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमेशा भारत के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। भारत सरकार की कृषि नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र और किसानों के जीवन में एक निश्चित परिवर्तन आया है। किसानों की आय बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है।
भारत और इजरायल के बीच 1993 से कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध हैं। यह पांचवीं भारत-इजरायल कृषि कार्य योजना (आईआईएपी) है।
भारत और इजराइल ने कृषि में सहयोग के लिए तीन साल की कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) May 24, 2021
भारत-इजराइल उत्कृष्टता गांवों से कृषि क्षेत्र में एक आदर्श पारिस्थिति की तंत्र तैयार होगा।
वर्ष 2021-2023 की कार्य योजना से भारत-इजरायल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।https://t.co/hrIVrveHy5 pic.twitter.com/nWc48mnsJK
कृषि मंत्री ने आगे कहा, "अब तक हमने 4 कार्य योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह नयी कार्य योजना कृषि क्षेत्र में कृषक समुदाय के लाभ के लिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आपसी सहयोग को और मजबूत करेगी। इजरायली आधारित कार्य योजनाओं के तहत स्थापित ये उत्कृष्टता केंद्र किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत और इजरायल के बीच प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान से बागवानी की उत्पादकता और गुणवत्ता में काफी सुधार होगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।"
इजराइल के साथ नए कृषि कार्यक्रम में पहले चल रहे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ाना और साथ ही नए केंद्रों की स्थापना करना, आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा सहयोग को प्रोत्साहित करना है। इंडो-इजरायल विलेज ऑफ एक्सीलेंस एक नई संकल्पना है। जिसके जरिए 8 राज्यों के 75 गांव में 13 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के करीब कृषि में इकोसिस्टम विकसित किए जाएंगे। इससे परंपरागत खेत इंडो-इजराइल एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट के मानकों के आधार पर आधुनिक-सघन फार्मों में बदल जाएंगे। यह कार्यक्रम किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देगा और उनकी आजीविका को बेहतर करेगा, पारंपरिक खेती को आईआईएपी मानकों के आधार पर आधुनिक-प्रगतिशील कृषि क्षेत्र में बदल देगा।
भारत में इजरायल के राजदूत डॉ. रोन मलका ने कहा, "तीन साल की कार्य योजना (2021-2023) हमारी बढ़ती साझेदारी की शक्ति को प्रदर्शित करता है और उत्कृष्टत केंद्रों और उत्कृष्टत गांवों के माध्यम से स्थानीय किसानों को लाभान्वित करेगी।"
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि नए कार्यक्रम के दौरान हमारा ध्यान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आसपास के गांवों को विलेजिज ऑफ एक्सीलेंस में बदलने पर केंद्रित रहेगा। इजराइल रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ कृषि तकनीक में भी काफी आगे है। दोनों देशों में बहुत गहरे संबंध हैं।
इजराइल यहां आईआईएपी के अलावा इंडो-इजरायल विलेजिज ऑफ एक्सीलेंस प्रोग्राम भी चला रहा है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन और अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग के लिए इजरायल की एजेंसी 'मशाव' नेतृत्व कर रही है। भारत में खासतौर पर इजरायल की टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) पद्धति से किसानों को काफी फायदा हो रहा है। स्थानीय जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते इजरायल की कृषि-तकनीक से तैयार उन्नत-सघन कृषि फार्मों को कार्यान्वित करने के लिए भारत के 12 राज्यों में 29 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) काम कर रहे हैं।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस किसानों को सर्वोत्तम पद्धतियों के बारे में बताते हैं। यहां किसानों को ट्रेनिंग भी मिलती है। ये सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हर साल 25 मिलियन से अधिक गुणवत्ता युक्त सब्जी व 387 हजार से ज्यादा फल के पौधों का उत्पादन करते हैं। बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के बारे में हर साल 1.2 लाख से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग देते हैं।
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