जैविक खेती से भारतीय किसान कमा रहे हैं मोटा मुनाफ़ा

अमित सिंहअमित सिंह   21 May 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। इस बात से हर कोई वाकिफ़ है कि देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में एग्री सेक्टर का बेहद अहम योगदान है। पैदावार बढ़ाने के लिए किसान बड़े पैमाने पर कीटनाशकों और उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे कुछ वक्त के लिए पैदावार में इज़ाफ़ा तो होता है लेकिन खेत की गुणवत्ता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। सिर्फ़ इतना ही नहीं कम जोत वाले किसानों के लिए खेती की लागत भी बढ़ जाती है। कीटनाशकों के इस्तेमाल की वजह से पानी, ज़मीन, हवा, वातावरण के साथ-साथ खाद्य पदार्थ भी ज़हरीले हो रहे हैं। इन तमाम परेशानियों का एक ही हल है और वो है जैविक खेती।

2004-05 में पहली बार खेती पर राष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत की गई सन 2004-05 में जैविक खेती को करीब 42 हजार हेक्टेयर में अपनाया गया जिसका रकबा मार्च 2010 तक बढ़ कर करीब 11 लाख हेक्टेयर हो गया। इसके अलावा 34 लाख हेक्टेयर जंगलों से फसल मिलती है। इस तरह कुल 45 लाख हेक्टेयर में जैविक उत्पाद पैदा किये जा रहे हैं। भारत दुनिया में कपास का सबसे बड़ा जैविक उत्पादक है। पूरी दुनिया का जैविक कपास का 50% उत्पादन भारत में किया जाता है। 920 उत्पादक समूहों के अंतर्गत आने वाले करीब 6 लाख किसान 56.40 करोड़ रुपए कीमत के 18 लाख टन विभिन्न जैविक उत्पाद पैदा करते हैं 18 लाख टन जैविक उत्पादों में से करीब 561 करोड़ रुपये कीमत के 54 हज़ार टन जैविक उत्पादों का निर्यात किया जाता है।

जैविक खेती के फायदे

जैविक खेती किसान और पर्यावरण के लिए बेहद फायदे का सौदा है। जैविक खेती से किसानों को कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाली फसलें मिलती हैं। 

1. जैविक खेती से भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है। रासायनिक खादों के उपयोग से भूमि बंजरपन की ओर बढ़ रही है। जैविक खादों से उसमें जिन तत्वों की कमी होती है वो पूर्ण हो जाती है और उसकी गुणवत्ता में शानदार इज़ाफ़ा होता है। 

2. जैविक खादों एवं जैविक कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की उपजाऊपन में बढ़ोतरी होती है।

3. जैविक खेती में सिंचाई की कम लागत आती है क्योंकि जैविक खाद जमीन में लम्बे समय तक नमी बनाये रखती है जिससे सिंचाई की आवश्यकता रासायनिक खेती की अपेक्षा काम पड़ती है।

4. रासायनिक खादों के उपयोग से ज़मीन के अंदर फसल की उत्पादकता बढ़ाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं जिस कारण फसल की उत्पादकता कम हो जाती जैविक खाद का इस्तेमाल कर दोबारा उस उत्पादकता को पाया जा सकता है।

5. जैविक खेती से भूमि की जल धारण शक्ति में इज़ाफ़ा होता है। रासायनिक खाद भूमि के अंदर के पानी को जल्दी सोख लेते हैं जबकि जैविक खाद जमीन की ऊपरी सतह में नमी बना कर रखते हैं जिससे जमीन की जल धारण शक्ति बढ़ती है।

6. किसान की खेती की लागत रासायनिक खेती की तुलना में करीब 80% कम हो जाती है। इन दिनों रासायनिक खादों की कीमतें आसमान छू रही हैं जैविक खाद बहुत ही सस्ते दामों में तैयार हो जाता है।

7. जैविक खेती से प्रदूषण में कमी आती है रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। खेतों के आसपास का वातावरण जहरीला हो जाता है जिससे वहां के वनस्पति, जानवर और पशु पक्षी मरने लगते हैं। जैविक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग से वातावरण शुद्ध होता है।

8. जैविक खेती से उत्पादों की गुणवत्ता रासायनिक खेती की तुलना में कई गुना बेहतर होती है और ऊंचे दामों में बाजार में बिकते हैं।

9. स्वास्थ्य की दृष्टि से जैविक उत्पाद सर्वश्रेष्ठ होते हैं इनके उपयोग से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है।

10. जैविक उत्पादों की कीमतें रासायनिक उत्पादों से कई गुना ज्यादा होती है। जिससे किसानों की औसत आय में इज़ाफ़ा होता है। 

 

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