किसानों की आमदनी बढ़ाएंगी मूंगफली की नई किस्में

Divendra Singh | Feb 07, 2020, 08:23 IST
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मूंगफली की खेती करने वाले किसानों के लिए इन किस्मों की खेती करना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने मूंगफली की दो ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिनमें ओलिक एसिड 78 प्रतिशत से अधिक पाया जाता है।

ओलिक एसिड कई प्रकार के खाद्य पदार्थो में पाया जाता है और इसे अच्छा वसा अम्ल माना जाता है। जैतून के तेल में इसकी मात्रा 74 फीसदी तक होती है, इसलिए जैतून के तेल को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। मगर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले गुजरात के जूनागढ़ स्थित मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने मूंगफली की ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिसमें 78 से 80 फीसदी तक ओलिक एसिड पाया जाता है।

मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के निदेशक टी. राधाकृष्णन इन दोनों किस्मों के बारे में बताते हैं, "निदेशालय से मूंगफली की कई सारी किस्में विकसित की गईं हैं, लेकिन इन किस्मों से किसानों को फायदा हो सकता है, क्योंकि इनमें ओलिक एसिड की मात्रा दूसरी किस्मों से बहुत ज्यादा है। गिरनार 4 और गिरनार 5 किस्मों की गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडू जैसे प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्यों में की जा सकती है।"

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नई किस्मों में ओलिक एसिड 80 फीसदी, जबकि लिनोनिक एसिड दो फीसदी और पालमिटिक एसिड छह फीसदी है। इस लिहाज से जैतून के तेल से मूंगफली का तेल आने वाले दिनों में ज्यादा उपयोगी साबित होगा। मूंगफली की इन दोनों किस्मों को अभी सेंटर में उगाया जा रहा है। मूंगफली की इस नई किस्म में जैतून तेल से कहीं ज्यादा ओलिक एसिड पाया जाता है। इस समय बाजार में जैतून तेल की कीमत कम से कम 400 रुपए लीटर है जबकि मूंगफली का तेल 110 रुपए लीटर मिलता है।

देश में गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और तिलहनी फसलों में मूंगफली के महत्व को ध्यान में रखते हुए, मूंगफली-उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के मकसद से प्रदेश में 1979 में मूंगफली अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसे 2009 में मूंगफली अनुसंधान निदेशालय का दर्जा प्रदान किया गया।

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यह शोध कार्यक्रम गुजरात के मू्ंगफली का गढ़ माने जाने वलो गुजरात के जूनागढ़ में आईसीआरआईएसटी, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर), डायरेक्टरेट ऑफ ग्राउन्डनट रिसर्च (डीजीआर जूनागढ़), जूनागढ़ एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (जेएयू), तमिलननाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (टीएयू) और आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (एएनजीआरएयू) तिरुपति संस्थानों के साथ मिलकर चलाया जा रहा है।

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जूनागढ़ में आयोजित मीटिंग में टी राधाकृष्णन, डॉ मनीष पांडेय, डॉ वीपी चोवटिया, खुशवंत सिंह। डीजीआर, जूनागढ़

2017 में मूंगफली पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर कई जगह ओलिक एसिड वाली 16 प्रजातियों का उनके कृषि प्रदर्शन और बाजार की गुणवत्ता के लिए परीक्षण किया गया है। यह भारत में मूंगफली पर अपनी तरह का पहला और विशेष परीक्षण है। 2016 में देश के कई भागों में किए गए इस परीक्षण में सामने आया था कि मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में नई प्रजातियों ने सामान्य प्रजातियों के मुकाबले 5 से 84 प्रतिशत तक अधिक उपज दी और इनमें कुल फैटी एसिड का लगभग 80 प्रतिशत ओलिक एसिड पाया गया। हाल ही में एक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य कंपनी की सहभागिता में हुए एक परीक्षण में ये भी सामने आया कि इन मूंगफलियों में अभी तक कनफेक्शनरी उद्योग में इस्तेमाल होने वाली मूंगफलियों के बराबर ही ओलिक एसिड है और ये भी उतनी ही गुणकारी हैं।

क्या होता है ओलिक एसिड

ओलिक एसिड को ओमेगा - 9 फैटी एसिड के नाम से भी जाना जाता है। ओमेगा - 9 फैटी एसिड असंतृप्त वसा वाले परिवार से होता है और सब्ज़ियों व पशु में पाया जाता है। ये फैटी एसिड कैनोला तेल, सूरजमुखी के तेल, जैतून के तेल, सरसों के तेल, बादाम व मूंगफली के तेल आदि में पाया जाता है।

क्या है फायदा

ओलिक एसिड दिल और दिमाग के साथ ही लगभग पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके इस्तेमाल से हृदय रोग और स्ट्रोक का ख़तरा कम हो जाता है क्योंकि ये बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है। ये शरीर में ऊर्जा को बढ़ाता है, गुस्से को कम करता है और मूड अच्छा बनाता है, इसके साथ ही अल्ज़ाइमर बीमारी के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है।

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