कहीं मजदूरी करने पर मजबूर न हो जाएं आलू किसान
Virendra Shukla 9 March 2017 2:48 PM GMT
वीरेंद्र शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
बाराबंकी। जिले के किसान आलू के दिन-रात घटते दामों के कारण बेदम होता जा रहा है। स्थिति यहां तक आ गई है कि किसानों को अब अपना घाटा पूरा करने के लिए मजदूरी करना पड़ा रहा है।
सूरतगंज ब्लॉक के लालापुर गाँव के रहने वाले जनार्दन का कहना है, “आलू के दामों में अगर इसी तरह गिरावट होती रही तो 90 फीसदी किसान मजदूरी पर अपना जीवन-यापन करने पर विवश हो जाएंगे।”
खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
बाराबंकी जिले में 16 हजार हेक्टेअर में आलू की बोआई की गई थी और साढ़े चार लाख मीट्रिक टन आलू पैदा हुआ है। पिछले वर्ष 2016 में लगभग साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन आलू पैदा हुआ था।
जनार्दन आगे बताते हैं, “मेरे गाँव में लगभग 150 एकड़ आलू बोया जाता था, लेकिन आलू बोने के समय आलू की कीमत महंगी और आलू पैदा करने के बाद आलू की कीमत माटी मोल हो जाती है, जिसके चलते हमारे गाँव में लगभग 80 एकड़ ही आलू बोया गया। आलू के अच्छे दाम न मिलने की वजह से किसान के घर में चूल्हा न जलने की नौबत आ गई है। किसान अब मजदूरी करने पर विवश हो रहे हैं।”
टंडपुर निवाशी राम सवाले शुक्ला का कहना है, “आलू के दाम अच्छे न मिलने की वजह से अधिकतर किसानों का काफी नुकसान हुआ है। किसान मजदूरी करने पर मजबूर हैं।”
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories