पूसा कृषि विज्ञान मेला में शामिल हुए कई राज्यों के किसान

तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेला इस बार प्राकृतिक खेती, हाइड्रोपोनिक, एरोपोनिक्स, संरक्षित व वर्टिकल खेती जैसी तकनीक के बारे में जानकारी दी गई। साथ किसानों को उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए गए।

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   11 March 2022 11:32 AM GMT

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पूसा कृषि विज्ञान मेला में शामिल हुए कई राज्यों के किसान

कृषि विज्ञान मेला में देश के अलग-अलग राज्यों के हजारों किसानों शामिल हुए। "तकनीकी ज्ञान से आत्म-निर्भर किसान" थीम पर आयोजित कृषि मेले में किसानों ने पूसा बीजों की खरीद भी की।

9 मार्च से 11 मार्च तक आयोजित कृषि मेले में तकनीक सत्र भी आयोजित हुए। इन तकनीकि सत्रों में किसानों को स्मार्ट कृषि, प्राकृतिक खेती, उच्च उत्पादकता के लिए हाइड्रोपोनिक और एरोपोनिक कृषि, और समृद्धि के लिए कृषि निर्यात के बारे में बताया गया।

मेले में किसानों को बासमती चावल की झुलसा व झोंका रोग रोधी तीन किस्में पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886 का बीज भी वितरित किए गए ताकि वे इन नवीन क़िस्मों का बीज निर्माण स्वयं भी कर सकें।


नई फसल किस्मों के लाइव प्रदर्शन, सब्जियों और फूलों की संरक्षित खेती के प्रदर्शन और आईसीएआर के संस्थानों व निजी कंपनियों द्वारा विकसित कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी और बिक्री पर अपनी रुचि दिखाई। इसी तरह से, किसान उन्नत किस्मों के बीज और पौधों की बिक्री से काफी खुश थे। इसके अलावा कृषि उत्पादों और कृषि रसायनों का प्रदर्शन और बिक्री, नवोन्मेषी किसानों द्वारा विकसित उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री ने भी जनसमूह को आकर्षित किया।

9 मार्च को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मेले का उद्घाटन किया था। इस मौके पर कैलाश चौधरी ने कहा, "सरकार ने न केवल एमएसपी को ज्यादा फसलों पर दर बढ़ाकर लागू किया बल्कि खऱीद भी बढ़ाई है। देश में 10 हजार नए एफपीओ 6,865 करोड़ रुपए खर्च करके बनाए जा रहे हैं। एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रा फंड से गांव-गांव सुविधाएं जुटाई जा रही है। कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए भी विशेष पैकेज दिए गए हैं।"


"किसानों की मेहनत व सरकार के प्रयासों से दलहन सहित खाद्यान्न उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि हुई है। ये सारे प्रयास दर्शाते है कि सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर देश को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई है, "कैलाश चौधरी ने आगे कहा।

मेले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 100 से अधिक संस्थान, कृषि विज्ञान केन्द्र और कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अन्य संस्थान उन्नत तकनीकियों का प्रदर्शन 225 स्टॉल के माध्यम से किया गया।

कृषि विज्ञान मेले में किसानों के बीच स्मार्ट/डिजिटल कृषि, एग्री स्टार्टअप एवं किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), जैविक तथा प्राकृतिक खेती, संरक्षित खेती/ हाइड्रोपोनिक/ एरोपोनिक/ वर्टिकल खेती, कृषि उत्पादों के निर्यात, प्रोत्साहन सलाह केंद्र अकार्षण का केंद्र रहे।


मेले में संस्थान द्वारा विकसित नवीन किस्मों की जानकारी दी गई, वहीं पूसा संस्थान की अन्य नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां, जैसे कि सौर उर्जा संचालित 'पूसा-फार्म सन फ्रिज; पूसा डीकंपोजर, पूसा संपूर्ण जैव-उर्वरक (नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम प्रदान करने वाला अनूठा तरल सूत्रीकरण) को भी प्रदर्शित किया गया है।

जो किसान मेले में नहीं पहुंच पाए थे, उनके लिए मेले का लाइव प्रसारण भी आयाेजित किया गया।

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