आम की 'सदाबहार' किस्म, जिसमें साल के बारह महीने लगते हैं फल

राजस्थान के किसान श्रीकिशन सुमन ने आम की सदाबहार किस्म विकसित की है, जिसमें साल के बारह महीने फल लगते रहते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   7 April 2021 11:40 AM GMT

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आम की सदाबहार किस्म, जिसमें साल के बारह महीने लगते हैं फल

पंद्रह साल में किसान श्रीकिशन सुमन ने आम की सदाबहार किस्म को विकसित किया है। फोटो: By Arrangement

अभी तक आम के लिए साल भर इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि आम की ज्यादातर किस्मों में साल में एक बार ही फल लगते हैं। लेकिन 'सदाबहार' नाम की आम की किस्म में साल भर फल लगते हैं, जिसे एक किसान ने विकसित किया है।

राजस्थान के कोटा जिले के गिरधरपुरा गाँव के किसान श्रीकिशन सुमन (53 वर्ष) ने आम की 'सदाबहार' किस्म को विकसित किया है। श्रीकिशन ने ग्यारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और अपने पिता के साथ खेती करने लगे। श्रीकिशन आम की नई किस्म विकसित करने की पीछे की कहानी बताते हैं, "घर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए पढ़ाई छोड़कर खेती करने लगा था, पहले धान गेहूं जैसी फसलों की खेती की लेकिन उसमें फायदा न होने के कारण फूलों की खेती शुरू की और आम के भी पेड़ लगा दिए।"

परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए गुलाब जैसे फूलों की खेती के साथ बागवानी भी शुरू कर दी। जहां पर साल 2000 में उन्होंने आम की देसी किस्म के पेड़ पर साल भर बौर आते थे। वो कहते हैं, "आम के बाग में देसी किस्म का पेड़ था, जिसमें साल भर बौर आते थे, उसी पेड़ से पांच कलमें तैयार कर लीं, जिसके बाद सदाबहार को विकसित करने में 15 साल का समय लग गया, सदाबहार किस्म में दूसरे ही साल फल भी लगने लगते हैं।"

बौनी किस्म के होने के कारण इसे कहीं भी लगा सकते हैं।

सदाबहार किस्म के फल का स्वाद लगड़ा किस्म की तरह ही होता है और बौनी किस्म होने के कारण इसे कहीं भी आसानी से लगा सकते हैं। कई लोगों ने तो इसे गमलों में भी लगाया है। इस किस्म में साल में तीन बार जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितम्बर-अक्टूबर में फल आते हैं।

श्रीकृष्ण सुमन को 2017 से 2020 तक देश भर से और अन्य देशों से भी सदाबहार आम के पौधों के 8000 से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं। वह 2018 से 2020 तक आंध्रप्रदेश, गोवा, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और चंडीगढ़ को 6000 से ज्यादा पौधों की आपूर्ति कर चुके हैं।

राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में साल भर आम लगने के बारे में वो कहते हैं, "कई राज्यों में तो यहां से अच्छा रिजल्ट मिला है, वहां पर और जल्दी पौधे तैयार हो जाते हैं, जहां पर पेड़ भेज चुके हैं, सब जगह अच्छे फल लग रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डेन में सदाबहार किस्म लगी हुई है।"

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी आम की इस किस्म की तारीफ की थी।

500 से ज्यादा पौधे राजस्थान और मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों में वे खुद लगा चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों को भी 400 से ज्याद कलमें भेज चुके हैं।

इस नई किस्म को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) ने भी मान्यता दी। एनआईएफ ने आईसीएआर- राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बैंगलौर को भी इस किस्म के मूल्यांकन करने की सुविधा दी। इसके अलावा राजस्थान के जयपुर के एसकेएन एग्रीकल्चर्ल यूनिवर्सिटी ने इसकी फील्ड टेस्टिंग भी की।

अब इस किस्म का, पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम तथा आईसीएआर- नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनवीपीजीआर) नई दिल्ली के तहत पंजीकरण कराने की प्रक्रिया चल रही है। इस सदाबहार किस्म के आम का विकास करने के लिए श्रीकृष्ण सुमन को एनआईएफ का नौवां राष्ट्रीय तृणमूल नवप्रवर्तन और विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार (नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन एंड ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड) दिया गया है और इसे कई अन्य मंचों पर भी मान्यता दी गई है।

संपर्क: आम की'सदाबहार' किस्म के पौधे प्राप्त करने के लिए श्रीकृशन सुमन से उनके फोन नंबर +91-9829142509 पर संपर्क किया जा सकता है। पताः- गाँव- गिरधरपुरा, वार्ड-1, तालुका लाडपुरा, जिला कोटा, राजस्थान

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