बढ़ते तापमान और तेज हवाओं ने बढ़ाई किसानों की चिंता, कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं किसान
गाँव कनेक्शन | Feb 27, 2021, 07:32 IST
फरवरी के आखिरी सप्ताह में तेज हवाओं और बढ़ते तापमान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।
पिछले कुछ दिनों में बढ़े तापमान और तेज हवाओं ने गेहूं, जौ की खेती करने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है, अगर लगातार ऐसा ही मौसम रहा तो उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए किसान अभी से कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के वही फर्रुखाबाद के कमालगंज ब्लॉक के किसान राम प्रसाद सिंह (50 वर्ष) ने दो हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है। राम प्रसाद गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "हमारे क्षेत्र में अक्टूबर से लेकर 15 जनवरी तक गेहूं की बुवाई की जाती है, अक्टूबर वाली फसल में तो खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन दिसंबर और जनवरी में बोई गई फसल को पछुआ हवा नुकसान पहुंचा रही है, जिससे उत्पादन भी असर जरूर पड़ेगा।"
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस रबी सत्र में 325.35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है, जबकि पिछले सत्र में 313.95 लाख हेक्टेयर गेहूं की बुवाई हुई थी। इस बार मध्य प्रदेश में (10.32 लाख हेक्टेयर), बिहार (2.33 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (1.59 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (2.87 लाख हेक्टेयर) और उत्तर प्रदेश (2.1 लाख हेक्टेयर) में गेहूं की बुवाई हुई है।
उन्नाव के बीघापुर विकासखंड के टेढा गाँव के प्रगतिशील किसान 32 वर्षीय इंद्रराज पटेल अबकी बार छुट्टा जानवरों से परेशान होकर सिर्फ एक हेक्टेयर में ही गेहूं की खेती कर रहे हैं। इंद्रराज पटेल गेहूं की फसल पर बदले मौसम के असर को लेकर गाँव कनेक्शन बताते हैं, "इस समय गेंहू की फसल लगभग 80-85 दिन की हो गयी है, इस समय गेंहू में फूल निकल कर दाना बनने का समय होता है ऐसे में अचानक से चल पड़ी तेज पछुआ हवा बड़ा नुकसान कर सकती है। गेंहू में इस समय पानी की आवश्यकता होती हैं लेकिन तेज हवा के चलते पानी नही लगाया जा सकता। वर्ना फसल गिर सकती है या फिर तेज हवा चलने से जड़ हिल जाती हैं और पेड़ कमजोर हो जाता है जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है।"
इस समय कई प्रदेशों में दिन का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा बना हुआ है, अधिकतम तापमान औसत से पांच-सात डिग्री ऊपर तक जा रहा है। इसका असर फसल पर पड़ सकता है, इससे बचने के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "इस समय कई राज्यों में तेज हवाएं चल रहीं हैं, जिसका असर गेहूं की फसल पर पड़ सकता है, क्योंकि शुष्क हवाओं से फसल सूखने लगती है। इसलिए इस समय गेहूं की फसल को खास ध्यान देना चाहिए, इस समय सिंचाई बहुत जरूरी होती है। लेकिन मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार ही सिंचाई करें, कई बार किसान सिंचाई कर देते हैं और फिर बारिश भी हो जाती है। इसलिए फसल न सूखने दें, पानी देते रहें। अगर पूरी फसल सूख गई तो पानी देने का कोई फायदा नहीं होता है।"
हरियाणा के करनाल जिले के संवत गाँव के किसान धर्मपाल ने 12 एकड़ के गेहूं की बुवाई की है। धर्मपाल सिंह कहते हैं, "हमारे यहां भी पिछले कुछ दिनों से मौसम में बदलाव आया है, तेज हवाएं भी चल रहीं हैं। अगर ऐसा ही रहा तो नुकसान हो सकता है। ऐसे मौसम में क्या खाद उर्वरक डालना सही होता है।"
उन्नाव जिले सदर तहसील क्षेत्र के दुर्जन खेड़ा गाँव के शिवराम यादव बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती करते हैं। बेमौसम चल रही हवाओं को लेकर कहते हैं कि गेहूं में फूल आ रहा है तेज हवाओं से फूल गिर जाता है साथ ही खेतों की नमी भी बहुत तेज खत्म हो रही हैं,ऐसे में अगर पानी लगाया गया तो गेंहू गिर सकता है।हर साल होली के आस-पास चलने वाली हवाएं इस बार फरवरी के महीने में चल रही है, किसानों के लिए यह बेहद नुकसान दायक हैं, अचानक से बढ़ी गर्मी भी गेंहू की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है।लगातार पिछले साल से किसान मौसम की मार झेल रहा है।गेहू कटने के समय बारिश से नुकसान हुआ था, फिर धान के समय बारिश न होने से, और अब बेमौसम हवाओं ने किसान की चिंता बढ़ा दी है।"
"अगर तेज हवाएं चल रहीं और दिन का तापमान ज्यादा है तो किसी तरह का उर्वरक या कीटनाशक नहीं डालना चाहिए। इससे फायदे के बजाए नुकसान ही हो सकता है। इसलिए किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं, अच्छा उत्पादन होगा, "प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी ने आगे बताया।
मध्य प्रदेश के सतना जिले में तो जौ की फसल कटने भी लगी है, कैमा गाँव की किसान शोभा चौधरी की जौ की फसल 15 दिन पहले ही पक गई, इसलिए फसल काटने भी लगी हैं, शोभा ने करीब एक एकड़ में जौ की बुवाई की थी। सतना जिले के किसान किसान महेश कुशवाहा (49 वर्ष) कहते हैं कि गर्म हवा चलने के कारण जौ की फसल पकी दिख रही है लेकिन वह सूख चुकी है। हवा चलती रही तो 10-15 दिन में गेहूं की फसल भी सूख जाएगी। महेश ने 25 एकड़ की जमीन 70 हज़ार रुपये ठेके में ली है जिसमें दो एकड़ में जौ, पांच एकड़ में गेहूं, एक एकड़ में मसूर, कुछ में चना और सब्जी लगा रखी है।
इनपुट: उत्तर प्रदेश से वीरेंद्र सिंह, रामजी मिश्रा, मोहित शुक्ला और मध्य प्रदेश से सचिन त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के वही फर्रुखाबाद के कमालगंज ब्लॉक के किसान राम प्रसाद सिंह (50 वर्ष) ने दो हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है। राम प्रसाद गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "हमारे क्षेत्र में अक्टूबर से लेकर 15 जनवरी तक गेहूं की बुवाई की जाती है, अक्टूबर वाली फसल में तो खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन दिसंबर और जनवरी में बोई गई फसल को पछुआ हवा नुकसान पहुंचा रही है, जिससे उत्पादन भी असर जरूर पड़ेगा।"
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कृषि मंत्रालय के अनुसार इस रबी सत्र में 325.35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है, जबकि पिछले सत्र में 313.95 लाख हेक्टेयर गेहूं की बुवाई हुई थी। इस बार मध्य प्रदेश में (10.32 लाख हेक्टेयर), बिहार (2.33 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (1.59 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (2.87 लाख हेक्टेयर) और उत्तर प्रदेश (2.1 लाख हेक्टेयर) में गेहूं की बुवाई हुई है।
उन्नाव के बीघापुर विकासखंड के टेढा गाँव के प्रगतिशील किसान 32 वर्षीय इंद्रराज पटेल अबकी बार छुट्टा जानवरों से परेशान होकर सिर्फ एक हेक्टेयर में ही गेहूं की खेती कर रहे हैं। इंद्रराज पटेल गेहूं की फसल पर बदले मौसम के असर को लेकर गाँव कनेक्शन बताते हैं, "इस समय गेंहू की फसल लगभग 80-85 दिन की हो गयी है, इस समय गेंहू में फूल निकल कर दाना बनने का समय होता है ऐसे में अचानक से चल पड़ी तेज पछुआ हवा बड़ा नुकसान कर सकती है। गेंहू में इस समय पानी की आवश्यकता होती हैं लेकिन तेज हवा के चलते पानी नही लगाया जा सकता। वर्ना फसल गिर सकती है या फिर तेज हवा चलने से जड़ हिल जाती हैं और पेड़ कमजोर हो जाता है जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है।"
इस समय कई प्रदेशों में दिन का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा बना हुआ है, अधिकतम तापमान औसत से पांच-सात डिग्री ऊपर तक जा रहा है। इसका असर फसल पर पड़ सकता है, इससे बचने के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "इस समय कई राज्यों में तेज हवाएं चल रहीं हैं, जिसका असर गेहूं की फसल पर पड़ सकता है, क्योंकि शुष्क हवाओं से फसल सूखने लगती है। इसलिए इस समय गेहूं की फसल को खास ध्यान देना चाहिए, इस समय सिंचाई बहुत जरूरी होती है। लेकिन मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार ही सिंचाई करें, कई बार किसान सिंचाई कर देते हैं और फिर बारिश भी हो जाती है। इसलिए फसल न सूखने दें, पानी देते रहें। अगर पूरी फसल सूख गई तो पानी देने का कोई फायदा नहीं होता है।"
हरियाणा के करनाल जिले के संवत गाँव के किसान धर्मपाल ने 12 एकड़ के गेहूं की बुवाई की है। धर्मपाल सिंह कहते हैं, "हमारे यहां भी पिछले कुछ दिनों से मौसम में बदलाव आया है, तेज हवाएं भी चल रहीं हैं। अगर ऐसा ही रहा तो नुकसान हो सकता है। ऐसे मौसम में क्या खाद उर्वरक डालना सही होता है।"
उत्तर भारत में सामान्य से अधिक चल रहे तापमान से गेहूं में अभी बालिया शुरू हुई है, आने वाले दिनों में भी मैदानी राज्यो में बारिश की संभावना नहीं है, गर्मी के चलते फसल जल्दी पकाव पर आएगी,गेहूं के उत्पादन पर कितना असर होगा ज्यादातर किसानों के यही सवाल है। #RecordWarm ☀️ #Spring
— Weatherman Navdeep Dahiya (@navdeepdahiya55) February 25, 2021
"अगर तेज हवाएं चल रहीं और दिन का तापमान ज्यादा है तो किसी तरह का उर्वरक या कीटनाशक नहीं डालना चाहिए। इससे फायदे के बजाए नुकसान ही हो सकता है। इसलिए किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं, अच्छा उत्पादन होगा, "प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी ने आगे बताया।
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मध्य प्रदेश के सतना जिले में तो जौ की फसल कटने भी लगी है, कैमा गाँव की किसान शोभा चौधरी की जौ की फसल 15 दिन पहले ही पक गई, इसलिए फसल काटने भी लगी हैं, शोभा ने करीब एक एकड़ में जौ की बुवाई की थी। सतना जिले के किसान किसान महेश कुशवाहा (49 वर्ष) कहते हैं कि गर्म हवा चलने के कारण जौ की फसल पकी दिख रही है लेकिन वह सूख चुकी है। हवा चलती रही तो 10-15 दिन में गेहूं की फसल भी सूख जाएगी। महेश ने 25 एकड़ की जमीन 70 हज़ार रुपये ठेके में ली है जिसमें दो एकड़ में जौ, पांच एकड़ में गेहूं, एक एकड़ में मसूर, कुछ में चना और सब्जी लगा रखी है।
इनपुट: उत्तर प्रदेश से वीरेंद्र सिंह, रामजी मिश्रा, मोहित शुक्ला और मध्य प्रदेश से सचिन त्रिपाठी