2030 तक 35 मिलियन टन चीनी की होगी आवश्यकता
Ashwani Nigam | Jan 15, 2018, 21:16 IST
लखनऊ। देश में चीनी की मांग जिस तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुपात में प्रति हेक्टेयर गन्ने की जितनी उपज होनी चाहिए, नहीं हो रही है। ऐसे में गन्ना वैज्ञानिक गन्ने की ऐसी किस्मों को विकसित करने में लगे हैं, जिनसे अधिक से अधिक पैदावार हो सके।
उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी बताते हैं, “साल 2030 तक 35 मिलियन टन चीनी की आवश्यकता होगी। इसको पूरा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 100-110 टन प्रति हेक्टेयर गन्ना उपज की जरुरत होगी।“ वहीं, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एडी पाठक ने बताया, ''गन्ना अनुसंधान संस्थान उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के लिए अनुसंधान और विकास का काम कर रहा है। जिससे वहां पर चीनी परता, गन्ना उत्पादन और फसल विविधता में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन मांग के अनुसार यह अभी कम है।''
देश में गन्ना बीज उत्पादन कार्यक्रम की सफलता पर उन्होंने बताया, “इससे गन्ना उपज में 10 टन प्रति हेक्टेयर और चीनी परता में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की आय बढ़ी है।“ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक वाणिज्य फसल डॉ. आरके सिंह ने बताया, “राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की बढ़ रही मांग के अनुसार गन्ना की उपज को अधिक से अधिक कैसे बढ़ाया जाए, इस पर विचार करने की जरुरत है।“
देश में गन्ना और चीनी उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ना बीज ग्राम, किसान क्लब, नाली विधि से बुवाई के साथ ही सहफसली कार्यक्रम पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही गन्ने की अगेती किस्म कोलख 94184 बीरेन्द्र, 0238 करण-4, कोपीके 05191, कोशा 96268, मध्य देरी के लिए 0124, 05011, कोशा 96275 और कोपन्त 97222 की खेती किसान कर सके, इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है, जिससे उत्पादन बढ़ने साथ ही किसानों की आय भी बढ़ सके।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य सरकार के विभाग और एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रहा है। अखिल भारतीय समन्वित गन्ना अनुसंधान परियोजना एक केन्द्रीय प्लेटफार्म है, जो गन्ने के जनन द्रव्यों का अंतर क्षेत्रीय स्थानों पर परीक्षण कराकर उसका केन्द्रीय किस्म रिलीज करता है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार के तहत आने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत विश्व चीनी उत्पादन में लगभग 15 प्रतिशत की भागेदारी करता है। हाल के वर्षो में यहां उत्पादन 25 से 28 मिलियन टन रहा है।