ये यंत्र बताएगा कब करनी है खेत की सिंचाई, इसकी मदद से कम होगी खेती की लागत
Divendra Singh | Dec 05, 2018, 07:05 IST
गदेला (लखनऊ)। किस फसल की कब सिंचाई करनी चाहिए, किसान नहीं समझ पाते हैं। अगर किसानों को पता चल जाए की किस समय किस फसल की सिंचाई करनी चाहिए तो खेती की लागत तो कम होगी ही, उत्पादन में वृद्धि होगी।
गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा यंत्र बनाया है, जिसकी सहायता से पता चल जाएगा कि फसल को कब पानी की जरूरत है। मृदा नमी सूचक (Soil Moisture Indicator) एक ऐसा ही यंत्र है।
इस यंत्र के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र, के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, ""इसकी सहायता से ये पता चलता है कि कब आपकी फसल को पानी की जरूरत है और कितनी सिंचाई की जरूरत होगी सब पता चल जाएगा। इसकी सहायता से आपकी लागत में भी कमी आ सकती है।"
सबसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत धान, केला और गन्ना की फसल को होती है, ऐसे में अगर किसान इसका इस्तेमाल करता है तो पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। भारत में जितनी खेती होती है, उनमें से 60 प्रतिशत खेती ऐसे क्षेत्र में की जाती है जहां पानी की बेहद किल्लत है। इनमें से 30 प्रतिशत जगहों पर पर्याप्त बारिश नहीं होती है। भारत में खेती मुख्य रूप से बारिश पर निर्भर है। देश में 60 प्रतिशत खेती बारिश के पानी पर निर्भर है और इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 1150 मिलीमीटर से भी कम होती है।
ये भी पढ़ें : दुनिया के इन देशों में होती है पानी की खेती, कोहरे से करते हैं सिंचाई
डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव आगे बताते हैं, "मृदा नमी सूचक यंत्र एक बहुत ही साधारण यंत्र है, जिसमें चार रंगों की एलईडी बल्ब के द्वारा खेत में पानी की कमी को दिखाया जाता है। इसे किसी भी फसल में इस्तेमाल करते हैं, इसे मिट्टी में लगाने पर इसमें कई रंग की लाइट लगी होती है, अगर नीला बटन जलेगा तो समझिए की अभी बिल्कुल भी सिंचाई की जरूरत नहीं है, और अगर हरा बटन जले तो समझिए की अभी सही नमी है। लेकिन अगर पीला बटन जले तो सिंचाई करने की जरूरत है। अगर लाल बटन जले तो तुरंत सिंचाई की जरूरत है, नहीं तो आप की फसल बर्बाद हो जाएगी।"
किसान अच्छी खेती करने का प्रयास तो करते हैं। ऐसे में यह पता चल जाए कि सिंचाई कब और कितनी करनी है तो फसलों का उचित प्रबंधन किया जा सकता है।
कोयम्बटूर - 641007
गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा यंत्र बनाया है, जिसकी सहायता से पता चल जाएगा कि फसल को कब पानी की जरूरत है। मृदा नमी सूचक (Soil Moisture Indicator) एक ऐसा ही यंत्र है।
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इस यंत्र के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र, के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, ""इसकी सहायता से ये पता चलता है कि कब आपकी फसल को पानी की जरूरत है और कितनी सिंचाई की जरूरत होगी सब पता चल जाएगा। इसकी सहायता से आपकी लागत में भी कमी आ सकती है।"
सबसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत धान, केला और गन्ना की फसल को होती है, ऐसे में अगर किसान इसका इस्तेमाल करता है तो पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। भारत में जितनी खेती होती है, उनमें से 60 प्रतिशत खेती ऐसे क्षेत्र में की जाती है जहां पानी की बेहद किल्लत है। इनमें से 30 प्रतिशत जगहों पर पर्याप्त बारिश नहीं होती है। भारत में खेती मुख्य रूप से बारिश पर निर्भर है। देश में 60 प्रतिशत खेती बारिश के पानी पर निर्भर है और इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 1150 मिलीमीटर से भी कम होती है।
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डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव आगे बताते हैं, "मृदा नमी सूचक यंत्र एक बहुत ही साधारण यंत्र है, जिसमें चार रंगों की एलईडी बल्ब के द्वारा खेत में पानी की कमी को दिखाया जाता है। इसे किसी भी फसल में इस्तेमाल करते हैं, इसे मिट्टी में लगाने पर इसमें कई रंग की लाइट लगी होती है, अगर नीला बटन जलेगा तो समझिए की अभी बिल्कुल भी सिंचाई की जरूरत नहीं है, और अगर हरा बटन जले तो समझिए की अभी सही नमी है। लेकिन अगर पीला बटन जले तो सिंचाई करने की जरूरत है। अगर लाल बटन जले तो तुरंत सिंचाई की जरूरत है, नहीं तो आप की फसल बर्बाद हो जाएगी।"
किसान अच्छी खेती करने का प्रयास तो करते हैं। ऐसे में यह पता चल जाए कि सिंचाई कब और कितनी करनी है तो फसलों का उचित प्रबंधन किया जा सकता है।
एलईडी लाइट का रंग | मिट्टी में नमी की स्थिति | अनुमान |
| नीला | पर्याप्त नमी | सिंचाई की जरूरत नहीं है |
| हरा | पर्याप्त नमी | तुरंत सिंचाई की जरूरत नहीं है |
| पीला | नमी की कमी | सिंचाई कर सकते हैं |
| लाल | बिल्कुल नमी नहीं | तुरंत सिंचाई करें |