योगी सरकार के कर्जमाफी के फैसले ने तमिलनाडु के किसानों की मांग को दी हवा

Sudha PalSudha Pal   21 April 2017 1:36 PM GMT

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योगी सरकार के कर्जमाफी के फैसले ने तमिलनाडु के किसानों की मांग को दी हवासाड़ी में किया प्रदर्शन।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से किसानों का कर्जा माफ किया है तब से देश में इसी तरह की मांग बाकी राज्य के किसान भी उठा रहें हैं। जहां तमिलनाडु के किसान लंबे समय से सरकार से कर्जा माफ करने और सूखे के लिए मुआवजे की मांग कर रहे थे वहीं अब यूपी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कर्जमाफी के फैसले ने उन्हें और बढ़ावा दे दिया है।

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कहीं साड़ी और मंगलसूत्र पहनकर, कहीं मानव खोपड़ी लेकर तो कहीं निर्वस्त्र होकर तमिलनाडु किसान विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं। राज्य में इस समय सूखे की भयावह स्थिति बनी हुई है। यहां के किसानों को योगी सरकार के कर्जमाफी के फैसले ने और भी ज्यादा प्रभावित किया है। अब तनिलनाडु किसान भी यूपी के किसानों की तरह ही सरकार से मुआवजा और कर्जमाफी चाहते हैं। दक्षिण-पश्चिमी मानसून और पूर्वोत्तर मानसून की लगभग 60 फीसदी तक की कमी की वजह से सूखे की समस्या गंभीर हो चुकी है। ऐसे में कर्ज का बोझ उनकी जिंदगी को और कठिन बना रहा है। किसानों ने राज्य में हो रही किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। अब वे इसके लिए सरकार से कर्ज माफी और राहत पैकेज की भी मांग कर रहें हैं।

मानव खोपड़ी के साथ किसानों का प्रदर्शन।

दक्षिण-पश्चिम मानसून और मानसून के बाद के समय (30 सितंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक) में भारत की कुल वर्षा 8.2% कम थी वहीं तमिलनाडु में यह 43.7% कम रही। किसान अनियमित बारिश और पानी की कमी की वजह से अपनी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहें हैं। इससे उनकी खेती पर भारी असर पड़ा रहा। कई किसान तो इस भारी संकट की स्थिति में आकर आत्महत्या भी कर रहें हैं। किसानों के लिए तो अब फसल बीमा भी धोखा साबित हो चुकी है।जब फसल खराब होने लगती है, तो फसल नुकसान के मूल्यांकन का मुआवजा भी समय पर किसानों को नहीं मिल पाता है।

‘तमिलनाडु रेन शैडो एरिया’ में स्थित है जहां वार्षिक वर्षा 1100 से 1200 मिमी होती है जबकि सालाना वाष्पीकरण 2190 से 2930 मिमी तक होता है जो सीजन पर सूरज की रोशनी के घंटे पर निर्भर करता है। जबकि डेल्टा क्षेत्र में बारिश काफी ज्यादा होती है। इस क्षेत्र की लगभग 65 फीसदी भूमि की ही सिंचाई हो पाती है।

प्राकृतिक आपदा के साथ ऋण भी आत्महत्या की बड़ी वजह

‘नेश्नल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्युरो’ के मुताबिक ज्यादातर किसान की आत्महत्या की वजह प्राकृतिक आपदा के साथ ऋण भी रही है। ब्याज दर भी 25 फीसदी से शुरू होकर 60 फीसदी तक ऊंची होती जा रही है। कई किसानों की आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह मानसून का फेल होना होता है, इसके बाद ऋण का बोझ, निजी मामले और पारिवारिक समस्याएं शामिल होती हैं।

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