अमेरिका की नौकरी छोड़ गाँव में शुरू की केले की खेती, करोड़ों में करते हैं एक्सपोर्ट

अमेरिका में ढाई करोड़ पैकेज की सालाना नौकरी छोड़ जब अमोल ने केले की खेती शुरु की तब सभी ने मजाक उड़ाया। आज उनकी मदद से ही कई किसानों का मुनाफा बढ़ गया है।

Abdul Wasim AnsariAbdul Wasim Ansari   6 Feb 2024 8:34 AM GMT

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अमेरिका की नौकरी छोड़ गाँव में शुरू की केले की खेती, करोड़ों में करते हैं एक्सपोर्ट

कई साल तक अमेरिका में लाखों की नौकरी करने के बाद कोई अपने गाँव वापस आकर खेती करने की बात करे तो लोग उसे पागल ही कहेंगे, ऐसी ही कहानी अमोल महाजन की भी है।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले दापोरा गाँव के अमोल की पहचान एक सफल किसान के रूप में होती है, लेकिन अमेरिका की नौकरी छोड़ किसान बनने तक के पीछे एक रोचक कहानी है।

अमोल महाजन गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मैं 11 साल से अमेजॉन में प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में काम करता था, साल 2018 से ही मेरे दिमाग में ये चल रहा था कि मुझे अपने देश लौटना है और कुछ करना है, क्या करना है ये नहीं पता था।"

"लेकिन साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में मेरे पिताजी दुनिया को अलविदा कह गए, उसी दौरान ही मुझे अपने देश वापस लौटना पड़ा और मैंने यहाँ केले की खेती शुरु की; क्योंकि पिता जी को खेती करते हुए देखा था तो सोचा इसी में कुछ करता हूँ।"


अमोल ने महाराष्ट्र के जलगाँव में 50 लाख में 30 हज़ार एकड़ ज़मीन लीज पर लेकर केले के 30 हज़ार पौधे लगाए। उस समय को याद करके अमोल कहते हैं, "जब केले के पौधे लगाए तो आसपास के किसान मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे कि इतना पैसा लगाकर खेती कर रहे हो, पागल हो क्या? कौन केला खरीदेगा?"

तब अमोल ने इंटरनेट पर सर्च किया और यूट्यूब के वीडियो वगैरह देखे तब उन्हें पता चला कि हिंदुस्तान के केले अरब देशों में अधिक मात्रा में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। "तब मैंने एक्सपोर्ट के बारे में पढ़ा और सीखा और मन बना लिया था कि इसके साथ अब एक्सपोर्ट का व्यापार भी शुरू करूंगा; मैंने अपनी खुद की कंपनी सनरिया एग्रो रजिस्टर की और वहीं से ये सिलसिला शुरू हुआ। "अमोल ने आगे कहा।

भारत में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, यूपी, केरल, बिहार, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय और मध्य प्रदेश केले के मुख्य उत्पादक हैं। महाराष्ट्र में भुसावल, जलगाँव, मध्य प्रदेश के बुराहानपुर, बिहार के हाजीपुर और यूपी के बाराबंकी-बहराइच में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है।

देश में बुरहानपुर एक प्रमुख केला उगाने वाला जिला है, क्योंकि जिले में 1,03,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 16,000 हेक्टेयर केले की खेती की जाती है।


नवंबर, 2021 में अमोल ने पहला कंटेनर एक्सपोर्ट किया, अमोल बताते हैं, "मेरे केले की क्वालिटी इतनी अच्छी रही की मुझे और भी ऑर्डर आने लगे और दो साल में ही लगभग एक हज़ार कंटेनर एक्सपोर्ट कर चुका हूँ; शुरुआत के पाँच महीने में मेरा साढ़े 9 करोड़ का टर्नओवर हुआ, दूसरे साल में 32 करोड़ का टर्नओवर हुआ और इस साल 23-24 में हम 55 करोड़ के आसपास पहुँच जाएंगे और आने वाले समय में हमारा टर्नओवर सौ करोड़ के पार होगा। "

जुड़ गए हैं एक हज़ार किसान

मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के लगभग एक हज़ार किसान उनसे जुड़े हुए हैं जिनके वे केले एक्सपोर्ट करते हैं। अमोल बताते हैं, "शुरुआत में जिन किसानों ने मुझे ताने दिए थे वो ही आज मेरे साथ जुड़े हैं और कहते है की तू बहुत आगे तक जाएगा।"

शुरुआत में बुरहानपुर जिले के जो किसान उनसे जुड़े थे उस समय वे क्वालिटी पर कोई ध्यान नहीं देते थे, इसके लिए अमोल ने एक सेमिनार आयोजित किया, जिसमें किसानों ने भी रुचि दिखाई। सेमिनार में किसानों को क्वालिटी मेंटेन करने के तरीके बताए गए , जिसे फ्रूट केयर कहा जाता है। इसमें किसानों के खेतों में जाकर उनके केले के पेड़ पर वह प्रक्रिया अपनाते है, जो हर माह 50 से 70 खेतों में ट्रीट करते हैं।


मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के किसान जब से उनसे जुड़े है तबसे उनसे बिचौलियों द्वारा ली जाने वाली राशि उन्हीं के पास सुरक्षित हुई है, जो हिम्मली के नाम पर उनसे ले ली जाती थी। इससे किसान काफी परेशान थे। अमोल कहते हैं, "मुझसे जुड़ने के बाद अनुमानित एक किसान का एवरेज 20 हज़ार रुपये की बचत हुई है और हमारा रेट मार्केट से एक रुपए ज़्यादा ही होता है।"

"पिछले साल हमने बुरहानपुर जिले से 650 गाड़ियाँ पैक की है और बिचौलियों को दी जाने वाली राशि की बचत करवाई है और 300 किसानों की लगभग एक करोड़ 31 लाख रुपये की बचत करवाई है, उसका नतीजा ये है दूसरे किसान हमारे पीछे पड़े है और इस साल हमारा टारगेट है 3000 गाड़ियाँ पैक करेंगे, लेकिन उसमें फिर भी कुछ किसान रह जाएँगे। " अमोल ने आगे कहा।

बुरहानपुर जिले के तुरक गुराडा गाँव के किसान देवेश पाटिल 10 से 15 एकड़ में केले खेती करते हैं। देवेश बताते हैं, "अमोल महाजन जी के साथ जुड़ने के बाद फायदा ही फायदा हुआ है; पहले जो माल हमे लोकल में देना पड़ता था और यहाँ के व्यापारी हमें सही रेट नहीं देते थे, जिस क्वालिटी में उसकी हार्वेस्टिंग होनी चाहिए थी वैसी होती भी नहीं थी।"


"ये मान लीजिए हमारी एक गाड़ी पर 20 हज़ार रुपए जबरिया लेने के बावजूद भी जिस कंडीशन में केला पहुँचना चाहिए था,नहीं पहुँचता था, लेकिन अमोल महाजन के अमेरिका से इंडिया आने के बाद उन्होंने एक्सपोर्ट चालू किया और जो रेट पहले 10 का मिलता था, वह आज 20 से 25 के आसपास चला गया, किसानों की इनकम 40 प्रतिशत के आस पास बढ़ी है, क्योंकि वो किसानों को लॉस होने नहीं देते। " देवेश ने आगे बताया।

एक्सपोर्टर बदलने की आज़ादी

किसानों के जुड़ने के लिए कोई नियम या निर्देश नहीं है और न ही किसान उनसे बंधे हुए हैं वे स्वतंत्र है और अपना सामान किसी अन्य एक्सपोर्टर को भी दे सकते हैं। बस उन्हें क्वालिटी मेंटेन करना होता है,क्योंकि फ्रूट केयर किए हुए माल की सिर्फ विदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी अधिक माँग है। उनकी कंपनी किसानों की आय बढ़ाने का काम भी कर रही है।


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