गाँव से ग्लोबल मार्केट तक: कैसे मिलेगी किसान संपदा योजना को नई रफ्तार
Gaon Connection | Jul 31, 2025, 16:10 IST
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) को नई ऊर्जा देने के लिए 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान ₹6520 करोड़ के कुल बजट को मंजूरी दी है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। सरकार ने इस योजना के लिए ₹6,520 करोड़ के कुल बजट को मंजूरी दी है, जिसमें से ₹1,920 करोड़ की अतिरिक्त राशि शामिल है। यह निवेश 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के दौरान किया जाएगा।
क्या है प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)?
PMKSY केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देना, ग्रामीण रोजगार सृजित करना, कृषि अपव्यय को कम करना और किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना है। यह योजना कृषि उत्पादों की वैल्यू चेन को मजबूत करने का काम करती है।
नई कैबिनेट मंजूरी में क्या-क्या शामिल है?
इस बार जो ₹6,520 करोड़ की मंजूरी दी गई है, उसमें दो मुख्य क्षेत्र शामिल हैं:
50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रेडिएशन यूनिट्स की स्थापना के लिए ₹1,000 करोड़। ये यूनिट्स खाद्य वस्तुओं को रेडिएशन की मदद से सुरक्षित और लंबे समय तक टिकाऊ बनाएंगी। इससे हर साल लगभग 20 से 30 लाख मीट्रिक टन (LMT) तक की खाद्य भंडारण क्षमता तैयार होगी।
100 फूड टेस्टिंग लैब्स (FTLs) को निजी क्षेत्र में स्थापित करने के लिए ₹920 करोड़ की मंजूरी। ये सभी लैब्स NABL (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज) से प्रमाणित होंगी। इनका उद्देश्य खाद्य गुणवत्ता की निगरानी करना और खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना है।
योजना कैसे काम करेगी?
यह योजना डिमांड ड्रिवन है, यानी जिन क्षेत्रों से ज़्यादा जरूरत होगी वहीं प्राथमिकता दी जाएगी।
सरकार Expression of Interest (EOI) जारी करेगी, जिसके ज़रिए देशभर के योग्य संस्थानों, कंपनियों और संगठनों से प्रस्ताव मंगवाए जाएंगे।
प्रस्तावों की समीक्षा योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाएगी और उचित परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी।
क्यों है यह योजना खास?
किसानों को फायदा: उनकी उपज खराब नहीं होगी और उन्हें सही मूल्य मिलेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती: स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
निर्यात को बढ़ावा: बेहतर गुणवत्ता और पैकेजिंग से भारत के खाद्य उत्पाद वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
खाद्य सुरक्षा: उपभोक्ताओं को सुरक्षित और मानक के अनुरूप खाद्य सामग्री मिलेगी।
महिला उद्यमिता और स्टार्टअप्स को भी मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत मिलने वाला यह अतिरिक्त बजट ग्रामीण महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और कृषि आधारित स्टार्टअप्स के लिए भी एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। सरकार की योजना है कि इन इकाइयों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और पूंजी उपलब्ध करवाई जाए। इससे न केवल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण मिलेगा, बल्कि पारंपरिक कृषि से आगे बढ़कर वे उद्योग के क्षेत्र में भी भागीदारी निभा सकेंगी।
तकनीक का इस्तेमाल और पारदर्शिता
इस योजना के तहत सभी प्रक्रियाओं को डिजिटली ट्रैक किया जाएगा। परियोजनाओं के आवेदन, स्वीकृति, निगरानी और मूल्यांकन सब कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके और समय पर सहायता दी जा सके। इस पारदर्शिता से योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों और उद्यमियों तक पहुंचेगा।
लॉजिस्टिक्स और निर्यात में भी सुधार की उम्मीद
मल्टी-प्रोडक्ट इर्रेडिएशन यूनिट्स की स्थापना से खाद्य भंडारण और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को एक बड़ी मजबूती मिलेगी। इससे भारत के फ्रूट्स, सब्ज़ियों, मीट और डेयरी उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी, जो घरेलू बाज़ार के साथ-साथ निर्यात को भी गति देगा। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘एक्सपोर्ट हब भारत’ जैसे विज़नों को भी सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना में यह बजट वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार कृषि क्षेत्र को उद्योग से जोड़ने, किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह निर्णय निश्चित रूप से भारत के खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को एक नई दिशा देगा।
क्या है प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)?
PMKSY केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देना, ग्रामीण रोजगार सृजित करना, कृषि अपव्यय को कम करना और किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना है। यह योजना कृषि उत्पादों की वैल्यू चेन को मजबूत करने का काम करती है।
नई कैबिनेट मंजूरी में क्या-क्या शामिल है?
इस बार जो ₹6,520 करोड़ की मंजूरी दी गई है, उसमें दो मुख्य क्षेत्र शामिल हैं:
50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रेडिएशन यूनिट्स की स्थापना के लिए ₹1,000 करोड़। ये यूनिट्स खाद्य वस्तुओं को रेडिएशन की मदद से सुरक्षित और लंबे समय तक टिकाऊ बनाएंगी। इससे हर साल लगभग 20 से 30 लाख मीट्रिक टन (LMT) तक की खाद्य भंडारण क्षमता तैयार होगी।
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योजना कैसे काम करेगी?
यह योजना डिमांड ड्रिवन है, यानी जिन क्षेत्रों से ज़्यादा जरूरत होगी वहीं प्राथमिकता दी जाएगी।
सरकार Expression of Interest (EOI) जारी करेगी, जिसके ज़रिए देशभर के योग्य संस्थानों, कंपनियों और संगठनों से प्रस्ताव मंगवाए जाएंगे।
प्रस्तावों की समीक्षा योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाएगी और उचित परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी।
क्यों है यह योजना खास?
किसानों को फायदा: उनकी उपज खराब नहीं होगी और उन्हें सही मूल्य मिलेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती: स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
निर्यात को बढ़ावा: बेहतर गुणवत्ता और पैकेजिंग से भारत के खाद्य उत्पाद वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
खाद्य सुरक्षा: उपभोक्ताओं को सुरक्षित और मानक के अनुरूप खाद्य सामग्री मिलेगी।
महिला उद्यमिता और स्टार्टअप्स को भी मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत मिलने वाला यह अतिरिक्त बजट ग्रामीण महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और कृषि आधारित स्टार्टअप्स के लिए भी एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। सरकार की योजना है कि इन इकाइयों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और पूंजी उपलब्ध करवाई जाए। इससे न केवल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण मिलेगा, बल्कि पारंपरिक कृषि से आगे बढ़कर वे उद्योग के क्षेत्र में भी भागीदारी निभा सकेंगी।
तकनीक का इस्तेमाल और पारदर्शिता
इस योजना के तहत सभी प्रक्रियाओं को डिजिटली ट्रैक किया जाएगा। परियोजनाओं के आवेदन, स्वीकृति, निगरानी और मूल्यांकन सब कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके और समय पर सहायता दी जा सके। इस पारदर्शिता से योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों और उद्यमियों तक पहुंचेगा।
लॉजिस्टिक्स और निर्यात में भी सुधार की उम्मीद
मल्टी-प्रोडक्ट इर्रेडिएशन यूनिट्स की स्थापना से खाद्य भंडारण और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को एक बड़ी मजबूती मिलेगी। इससे भारत के फ्रूट्स, सब्ज़ियों, मीट और डेयरी उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी, जो घरेलू बाज़ार के साथ-साथ निर्यात को भी गति देगा। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘एक्सपोर्ट हब भारत’ जैसे विज़नों को भी सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना में यह बजट वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार कृषि क्षेत्र को उद्योग से जोड़ने, किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह निर्णय निश्चित रूप से भारत के खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को एक नई दिशा देगा।