किसानों के लिए मददगार है प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना, 31 जुलाई से पहले करा लें रजिस्ट्रेशन

किसान अभी खरीफ़ फ़सलों की बुवाई कर रहे हैं तो कुछ बुवाई कर भी चुके हैं, ऐसे में किसान बीमा योजना का लाभ लेकर ख़राब मौसम में फ़सल के बर्बाद होने पर भी आप कैसे बड़े आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं इसी से जुड़ी है ये जानकारी।

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किसानों के लिए मददगार है प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना, 31 जुलाई से पहले करा लें रजिस्ट्रेशन

फ़सल बर्बाद होने से किसान आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान होते हैं। बारिश या ओलावृष्टि के कारण जब एक किसान की फ़सल ख़राब होती है तो उन पर सबसे ज़्यादा प्रभाव उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। बड़े किसान तो जैसै तैसे करके अपना ख़र्चा निकाल लेते हैं, लेकिन जिन किसानों के पास सीमित संसाधन होते हैं और उनकी फ़सल ख़राब हो जाती, उन्हें ख़ुद से ही पूरा आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है। फ़सलों के ख़राब होने का असर केवल किसान पर ही नहीं होता बल्कि पूरा इको सिस्टम और ग्रामीण अर्थव्यवस्था इससे प्रभावित होती है।

बुंदेलखंड जैसे इलाके में जहाँ ख़ेती में अनियमितता ज़्यादा और गंभीर हैं वहाँ इसका असर और ज़्यादा होता है। यह इलाका पहले भी किसानों की आत्महत्याओं को लेकर चर्चा में रहा है।

ऐसे में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना यहाँ के किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आयी है। बुंदेलखंड के तहत आने वाले हमीरपुर ज़िले में साल 2022 के खरीफ के सीज़न के लिए 44608 किसानों ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का लाभ लिया। वहीं हमीरपुर के पड़ोसी ज़िले महोबा में साल 2022 के खरीफ के सीजन के लिए 64592 किसानों से फ़सल बीमा योजना का लाभ उठाया।

बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले झाँसी ज़िले में 120986 किसानों ने और ललितपुर जिले के 124483 किसानों ने फ़सल बीमा योजना का लाभ लिया। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के लिए चयनित उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में ललितपुर पहले स्थान पर और झाँसी दूसरे स्थान पर है, जहाँ किसानों ने सबसे ज़्यादा अपनी फ़सलों का बीमा का कराया।


बुंदेलखंड के इलाके में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के बारे में धमना गाँव के किसान मूरत सिंह राजपूत बताते हैं, "यह एक अच्छी योजना है, जिसमें किसान अपनी फ़सल का बीमा कराकर निश्चिंत हो जाता है।"

लेकिन मूरत सिंह को ऐसी योजनाओं से कुछ शिकायतें भी हैं, वो कहते हैं, " सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कभी-कभार बीमा कंपनियों का क्लेम मिलने में देरी होती है, इसको सुधारने की ज़रुरत है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसानों तक लाभ पहुँच सके।

प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना सरकारी योजना होने के बाद भी इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इसमें किसानों को अपनी फ़सल का बीमा कराने के लिए दो दर्ज़न से ज़्यादा बीमा कंपनियों के ऑप्शन मिलते हैं, वे जिससे चाहें अपनी फ़सल का बीमा करा सकते हैं। इनमें सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्र की कंपनियाँ शामिल की गई हैं।

इस योजना में ऐसे किसानों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने कृषि ऋण (कर्ज़) भी ले रखा है। यह किसानों के लिए बड़ी राहत की बात है। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि जिन किसानों ने बैंक से संस्थागत ऋण लिया होता है उन्हें तमाम सरकारी योजनाओं से दूर करने का प्रयास किया जाता है। इसलिए किसान भी इससे आने वाली परेशानियों से बचने के लिए संस्थागत ऋण लेने की बजाए महाजन से महँगी दरों पर कर्ज़ लेना पसंद करते हैं, जो बाद में उनके लिए जी का जंजाल बन जाता है। बुंदेलखंड के इलाके में किसान आत्महत्याओं का बड़ा कारण यह भी देखने में आता है।

18 फरवरी, 2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 17 करोड़ किसान इस योजना का लाभ ले चुके हैं, जिन्हें देश भर में कुल 26000 हज़ार करोड़ के प्रीमियम पर एक लाख बत्तीस हज़ार करोड़ रुपये का प्रीमियम बाँटा जा चुका है। किसान की बीमित फ़सल का यह प्रीमियम बीमा कंपनी द्वारा किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाता है। इससे किसानों को कई झंझटों से मुक्ति मिलती है।

इस योजना के तहत किसानों को डिजिटली भी सक्षम बनाया गया है। इसके ज़रिए वे एक फोन कॉल के माध्यम से इस योजना से जुड़ी तमाम सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

इस योजना के तहत उपज के पूरे मूल्य का बीमा किया जाता है, इसके तहत बीमित मूल्य कम नहीं किया जा सकता है। इसमें फ़सल की बुआई से पहले खेत में खड़ी फ़सल और कटी फ़सल का जोखिम के आधार पर बीमा किया जाता है। इसके तहत किसी भी प्रकार की फ़सल के लिए बीमा प्रीमियम पाँच प्रतिशत से ज़्यादा नहीं लिया जा सकता। बीमा प्रीमियम का मूल्य इससे ज़्यादा होने पर बकाया राशि का भुगतान सरकार करेगी।

इस योजना के तहत हुए किसी भी प्रकार के नुकसान का आकलन खेतवार किया जाएगा, जोकि किसान के लिए लाभकारी स्थिति है, इससे उन्हें नुकसान का वास्तविक मूल्य प्राप्त होता है। नुकसान का मुआवजा न तो कम किया जा सकता है और न किसी प्रकार से घटाया जा सकता है।

पंजीकरण करवा के ले सकते हैं लाभ

अपनी फ़सल के बीमा कवरेज के लिए किसानों को पंजीकरण कराना ज़रूरी है ताकि अलग अलग आपदाओं से फ़सलों की सुरक्षा हो सके और संभावित हानियों से बचाया जा सके। देश के विभिन्न राज्यों में बीमा के लिए पंजीकरण की आख़िरी तारीख 31 जुलाई तय की गयी है।

देश के कुछ राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड आदि में पंजीकरण की अंतिम तारीख अलग-अलग है। संबंधित प्रदेश के किसान अपने यहाँ के कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर योजना की आख़िरी तारीख से पहले पंजीकरण करवा के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ ले सकते हैं।

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