बढ़िया उत्पादन के लिए, जुलाई की इस तारीख़ तक कर लें सोयाबीन की बुवाई

सोयाबीन की खेती करने वाले किसान शुरू से कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखकर अपनी लागत काम करने के साथ ही बढ़िया उत्पादन भी पा सकते हैं।

Dr Akshay TalukdarDr Akshay Talukdar   7 Jun 2023 7:28 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बढ़िया उत्पादन के लिए, जुलाई की इस तारीख़ तक कर लें सोयाबीन की बुवाई

देश के कई राज्यों में काफ़ी किसान सोयाबीन की ख़ेती से जुड़े हुए हैं। जून-जुलाई का महीना सोयाबीन की ख़ेती के लिए सही समय होता है। ऐसे में कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखा जाए तो उत्पादन और अच्छा हो सकता है।

भारत के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना हैं, जिनमें पहले नंबर पर मध्य प्रदेश और दूसरे पर महाराष्ट्र आता है। यहाँ सबसे अधिक सोयाबीन की ख़ेती और उत्पादन होता है।

सोयबीन की फ़सल की बुवाई में सबसे पहला काम होता है ज़मीन का चुनाव , यानि कौन सी मिट्टी में सोयाबीन की ख़ेती करनी चाहिए। रेतीली या दोमट जिस तरह की मिट्टी में जैविक कॉर्बन की खेती होती है, उस ज़मीन में सोयाबीन का बढ़िया उत्पादन मिलता है।

जिस ज़मीन में सोयाबीन की लगातार ख़ेती की जाती है, उस खेत में कम से कम दो-तीन साल में गहरी जुताई कर लेनी चाहिए।


सोयाबीन बोने से पहले खेत को कल्टीवेटर से मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए, कल्टीवेटर चलाते समय प्रति हेक्टेयर पाँच-दस टन गोबर की खाद या ढाई टन मुर्गी की खाद डाल देनी चाहिए।

उत्तर मैदानी क्षेत्र में सोयाबीन की किस्में जैसे पूसा 12, एनआरसी 130 अच्छी किस्म मानी जाती हैं। जबकि मध्य भारत जिसमें मध्य प्रदेश भी आता है वहाँ के लिए जेएस 2034, जेएस 116, जेएस 335, एनआरसी 128 जैसी किस्में उन्नत किस्में मानी जाती हैं।

सोयाबीन के बीजों का अंकुरण 70% से कम नहीं होना चाहिए। लेकिन अंकुरण दर कम है तो सोयाबीन का बीज़ दर भी उसी हिसाब से बढ़ा देना चाहिए।

बुवाई से पहले बीजों को थीरम या कार्बेन्डाजिम से बीजोपचार कर लेना चाहिए।

रिज या चौड़ी क्यारियों पर ये कतारों में करना चाहिए। एक कतार से दूसरी कतार की दूरी 35-45 सेमी, पौधों से पौधों की दूरी चार-पाँच सेमी और बीज़ लगभग तीन-चार सेमी गहराई में बोना चाहिए।

प्रति हेक्टेयर में 65-75 किलो तक बीज़ों का इस्तेमाल होता है, प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 56 किलो यूरिया, 450-625 किलो सुपर फॉस्फेट, 34-84 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल किया जाता है।

15 जून से पाँच जुलाई तक सोयाबीन की फ़सल बुवाई का सही समय होता है, वैसे तो सोयाबीन बारिश आधारित फ़सल होती है, लेकिन ज़्यादा दिनों तक बारिश नहीं होती है तो सिंचाई करना ज़रूरी हो जाता है। नवजात पौधा, फूल आना और दाना भरने पर सिंचाई ज़रूर करें।

(डॉ अक्षय तालुकदार, आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली के आनुवंशिकी संभाग में प्रधान वैज्ञानिक हैं।)


#soyabean #soyabean crop BaatPateKi KisaanConnection 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.