फलों की रानी लीची की पैदावार बढ़ाने में मदद करती हैं उसकी ये ख़ास दोस्त

Gaon Connection | Mar 09, 2024, 10:22 IST

इस समय बिहार और दूसरे कई राज्यों में लीची में फूल आ गए हैं; इस समय अगर जरा सी भी लापरवाही हुई तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है।

कभी लीची के बाग़ से गुजरते समय आपने मीठी सी गुनगुनाहट सुनी है ? सुनी है ना ? ये आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि उसके अपने दोस्तों की होती है। जी हाँ, ये लीची की वो पक्की दोस्त हैं जो बसंत का मौसम आते ही अपने दोस्त को मीठे मीठे फलों से भरने के लिए पूरे दिन मेहनत करती हैं।

इस समय कोई भी होशियार बागवान इनके काम में किसी भी प्रकार का कोई छेड़छाड़ नहीं करता है, क्योंकि वह जानता है की अगर छेड़छाड़ करेंगे तो ये मधुमक्खियाँ जो अपने काम में व्यस्त हैं, नाराज़ हो जाएँगी और बाग से चली जाएँगी।

इसकी वजह से परागण का काम बीच में ही छूट जाएगा और इस तरह से अपूर्ण परागण होने की वजह से फूल और फल झड़ जाएँगे।

होशियार और चौकन्ना बागवान इन मधुमक्खियों का बाग में स्वागत करने के लिए लीची के बाग में 20 से 25 मधुमक्खियों के बक्से प्रति हेक्टेयर की दर से रखता है। मधुमक्खी के बॉक्स रखने से दो फायदे हैं; पहला बाग में बहुत अच्छे से परागण होता है दूसरा उच्च कोटि की शहद भी मिलती है; जिससे बागवान को अतिरिक्त लाभ मिल जाता है।

जब फूल खिले हो उस समय किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन खासकर कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए; क्योंकि इससे फायदा तो नहीं होगा बल्कि भारी नुकसान होगा। लीची के फूल के कोमल हिस्से रसायनों के इस्तेमाल से घायल हो सकते हैं और मेहमान मधुमक्खी बाग छोड़ कर चली जाएँगी।

लीची के फूलों के बारे में भी जान लीजिए

आइए आपको लीची के फूलों की दुनिया से भी परिचय कराते हैं। लीची एक सदाबहार फलदार पेड़ है जो सुगंधित और आकर्षक फूल पैदा करता है। लीची के फूल छोटे, नाजुक और हल्की सुगंध वाले होते हैं।

वे आमतौर पर सफेद या पीले-सफेद रंग के होते हैं और उनका व्यास लगभग 5-6 मिमी होता है। लीची के पेड़ आमतौर पर वसंत में खिलते हैं, आमतौर पर जलवायु के आधार पर मार्च और मई के बीच। लीची के फूलों को लगभग 300-500 फूलों के बड़े गुच्छों या समूहों में व्यवस्थित किया जाता है। पुष्पगुच्छ आमतौर पर 20-30 सेमी लंबे होते हैं और शाखाओं से नीचे लटकते हैं।

लीची के फूलों में पाँच पालियों वाला बाह्यदलपुंज, पाँच पंखुड़ियां, दस पुंकेसर और एक स्त्रीकेसर होता है। पंखुड़ियाँ थोड़ी मुड़ी हुई होती हैं और एक दूसरे को ओवरलैप करती हैं, जिससे कप का आकार बनता है। पुंकेसर में सफेद तंतु और पीले परागकोष होते हैं, और स्त्रीकेसर को घेरे रहते हैं।

लीची के फूलों का परागण कीटों, मुख्यतः मधुमक्खियों द्वारा होता है। फूल अपनी सुगंध और अमृत के कारण मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं। परागण के बाद, लीची के फूल एक फल के रूप में विकसित हो जाते हैं। फल एक छोटा, गोल या अंडाकार रूप होता है, जो खुरदरी, लाल-गुलाबी त्वचा से ढका होता है। फल में एक मीठा, सफेद, पारभासी गूदा और एक भूरे रंग का बीज होता है।

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