एक बेड से की थी वर्मी कम्पोस्ट बनाने की शुरुआत, आज 15 हज़ार क्विंटल है उत्पादन

Ambika Tripathi | Jul 01, 2023, 12:18 IST
किसान नागेंद्र पांडेय ने लगभग 22 साल पहले वर्मी कम्पोस्ट का व्यवसाय शुरू किया, आज वो साल में लगभग 12 से 15 हज़ार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं।
KisaanConnection
पिछले कुछ वर्षों में जैविक और प्राकृतिक ख़ेती के साथ ही बागवानी में भी वर्मी कम्पोस्ट की माँग बढ़ी है, बहुत से किसान वर्मी कम्पोस्ट से बढ़िया कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं नागेंद्र पांडेय, जिन्होंने वर्मी कम्पोस्ट का न सिर्फ व्यवसाय शुरू किया, बल्कि बहुत सारे लोगों को रोज़गार भी दिया है।

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले के नंदना गाँव के किसान नागेंद्र पांडेय ने लगभग 22 साल पहले वर्मी कम्पोस्ट का व्यवसाय शुरू किया, आज वो साल में लगभग 12 से 15 हज़ार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं।

वर्मी कम्पोस्ट का कारोबार शुरू करने के पीछे बड़ी रोचक कहानी है। नागेंद्र पांडेय वर्मी कम्पोस्ट का व्यवसाय शुरू करने के बारे में गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मैंने खुद एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है, शुरुआत में भी बेहतर नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा। फिर मुझे वर्मी कम्पोस्ट के बारे में पता चला, तभी से मैंने इसे बनाने के बारे में सोचा और एक बेड के साथ खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की।"

366307-vermicompost-maharajganj-farmer-nagendra-pandey-organic-farming-1
366307-vermicompost-maharajganj-farmer-nagendra-pandey-organic-farming-1

वो आगे कहते हैं, "आज जिसकी माँग ग्लोबल लेवल तक है ये पढ़ाई के साथ ही समझ आ गया था, कि कृषि नहीं तो उसके संसाधन पर भी काम करना उतना ही ज़रुरी होता है। इसलिए मैंने खेती के न्यूट्रिएंट्स को चुना। जिस तरह ख़ेतों में तरह तरह के रसायनिक खाद डालने से ख़ेतों की उर्वरक क्षमता कम होने लगती है, ख़ेतों में केचुएँ मर जाते हैं उसका असर उत्पादन पर भी पड़ता है।"

जैविक ख़ेती का प्रयोग करने के बाद किसानों का मानना हैं कि खेतों में केचुएँ का होना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि केचुए खेत में जो करते हैं वो बाकी मशीनें नहीं कर सकती हैं और केचुएँ जो ख़ेतों में बदलाव लाते हैं वो पूरी तरह से प्राकृतिक होता है।

नागेंद्र पांडेय ने एक बेड से शुरुआत की थी और आज एक एकड़ में लगभग 450 बेड बनाए हैं। हर एक बेड 10 फीट का बनाया गया है, जिसके लिए आसपास के गाँव से गोबर आज जाता है। एक ट्राली गोबर की कीमत लगभग 1200 रुपए होती है, जिन्हें बेड में डालकर खाद बनाई जाती है। 60 दिनों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनकर तैयार हो जाता है।

366308-vermicompost-maharajganj-farmer-nagendra-pandey-organic-farming-2
366308-vermicompost-maharajganj-farmer-nagendra-pandey-organic-farming-2

उत्पादन के बारे में नागेद्र बताते हैं, "खाद बनने की प्रकिया लंबी होती है, हर महीने लगभग एक हज़ार से 1200 हज़ार क्विंटल खाद तैयार हो जाती है और साल में लगभग 10 से 15 हज़ार क्विंटल तक खाद का उत्पादन हो जाता है।" पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में नागेंद्र पांडेय वर्मी कम्पोस्ट सप्लाई करते हैं।

नागेंद्र के यहाँ लगभग 35 लोगों को काम मिला है, जिसमें से 25 महिलाएँ भी हैं। उन्हीं में से एक सरिता भी हैं जो 2010 से यहाँ काम कर रहीं हैं, सरिता हर दिन सुबह यूनिट पर आ जाती हैं, वो बताती हैं, "काफी समय से काम कर रहीं हूँ, पहले दो-चार लोग यहाँ काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोग बढ़ने लगे हैं। अब तो हम लोगों को दूसरे के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता।"

नागेंद्र के काम में उनकी पत्नी भी मदद करती हैं, उन्होंने भी कृषि की पढ़ाई की है। नागेंद्र बताते हैं, "मेरी पत्नी भी मेरा काम संभालती हैं, और मेरा बेटा एग्रीकल्चर में पीएचडी कर रहा हैं और बेटी भी यहीं पढ़ाई कर रही है। मेरा मानना हैं इस फार्म को आगे बढ़ाना है, तो आगे हमें और जानकारी हासिल करनी होगी।"

Tags:
  • KisaanConnection

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.