0

पान के साथ मिर्च की सहफसली खेती करता है किसान

Kirti Shukla | Sep 18, 2019, 11:59 IST
पान की खेती के साथ मिर्च की खेती : युवा किसान राम गोपाल शर्मा अब न केवल पान की खेती भी करने लगे हैं, बल्कि पान की खेती से अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
#betel cultivation
सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। केला की खेती करने वाले युवा किसान राम गोपाल शर्मा अब न केवल पान की खेती भी करने लगे हैं, बल्कि पान की खेती से अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के बेहटा ब्लॉक के भवानी पुर गाँव के युवा किसान राम गोपाल शर्मा बताते हैं, "साल 2010 में खेती शुरू की थी, जिसके बाद खेती में कई उतार चढ़ाव आए। काफी काफी घाटा भी हुआ। खेती की नई जानकारी लेने के लिए मैंने जब किसान कॉल सेंटर पर कॉल की की तो मुझे कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया के बारे में पता चला।"

कटिया पहुंच कर राम गोपाल ने कृषि फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव से जानकारी ली। इसके बाद से राम गोपाल ने करीब पांच एकड़ में केला की खेती की। केला की खेती में फायदा होने के बाद राम गोपाल वर्मा ने पान की खेती शुरू की। पान की खेती के बारे में वो बताते हैं, "महीने में नौ हजार से 10 हजार तक का पान घर बैठे ही बेच लेता हूं। इसके साथ-साथ पान में ही मिर्च की सहफसली खेती कर लेता हूं।

वो आगे कहते हैं, "पान की खेती के लिए सरकार की तरफ से अनुदान भी मिलता है, एक बीघा खेती में लगभग 50 हजार की लागत आती है और एक से डेढ़ लाख की आमदनी हो जाती है।"

पान की खेती के लिए बरेजा सबसे ज्यादा जरूरी होता है। (बांस की लकड़ी से बना हुआ एक बड़ा सा ढांचा जिसे चारों तरफ से बंद किया जाता है और उसके अन्दर पान की बेलें पनपती हैं)। प्रदेश में पान की खेती मुख्य रूप से महोबा, प्रतापगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, रायबरेली, बनारस और सीतापुर जिले में की जाती है।

340173-mcdbu9zu0p4wgywrsjybjhr2hwguwtaz
340173-mcdbu9zu0p4wgywrsjybjhr2hwguwtaz


इस महीने किया जाता है पान का रोपण

पान के पौधों की रोपाई का काम फरवरी-मार्च में किया जाता है, जोकि तीन वर्ष तक फसल देता है। पान की अच्छी फसल के लिए उसकी सिंचाई का काम सबसे महत्वपूर्ण होता है। पान उत्पादन मिट्टी के मटके को अपने कंधो पर रखकर एक-एक पौधों की बारी-बारी से दूसरे हाथ की मदद के फव्वारा की शक्ल में प्रति दिन एक दिन में दो से तीन बार सिंचाई करते हैं। पान रोपाई के एक माह बाद फसल देना प्रारंभ कर देता है जो लगातार पांच माह तक तोड़ा जा सकता है। पान के पत्तों की तुड़ाई 15 से 20 दिन के अंतराल पर की जाती है। दो बिस्वा के प्लाट में एक बार पान पत्ते की तुड़ाई में लगभग पांच सौ ढोली पान प्राप्त होता है।

इतनी आती है लागत इतना होता है मुनाफ़ा

पान की खेती में एक बीघा खेती करने में तकरीबन पचास हजार रुपये लागत आती है। वहीं हर महीने लगभग नौ हजार से दस हजार के बीच प्रतिमाह आदनी होती है। यह पान प्रति ढोली के हिसाब से देखा जाए तो साढ़े चार सौ रुपये में बिकता है।

340174-bc0b8abe-6906-48b5-86ba-47418a6d6252
340174-bc0b8abe-6906-48b5-86ba-47418a6d6252


उद्यान विभाग देता है पान की खेती के लिए अनुदान

सीतापुर के जिला उद्यान अधिकारी राम नरेश वर्मा बताते हैं, "जनपद में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा 500 प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से 25524 रुपये का अनुदान बरेजा और इसके साथ पान की पौध को रोपित करने के लिए दिया जाता है।

पान की यह हैं सब से बेहतरीन किस्में

बनारसी, सोंफिया, बंगला, देशावरी, मीठा, सांची, कलकतिया, कपूरी, बंगला, मघई आदि पान की सब से अच्छी किस्में मानी जाती हैं। जोकि अधिक उत्पादन देती हैं।

पान के लिए जलवायु

पान एक उष्ण कटिबंधीय पौधा है।इसकी पैदावार के लिए अनुकूल वातावरण होना चाहिए। इसकी बढ़वार नम, ठंडे व छायादार वातावरण में अच्छी होती है। इसे कृत्रिम मंडप के अंदर उगाया जाता है जिसे बोलचाल की भाषा में बरेजा या बरेठा कहते हैं। पान की खेती शुष्क उत्तरी-पश्चिमी भाग को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में की जाती है।



Tags:
  • betel cultivation
  • sitaput
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.