लद्दाख में शुरू होगी सी बकथॉर्न बेरी की व्यावसायिक खेती

गाँव कनेक्शन | Nov 06, 2021, 10:12 IST
सीएसआईआर स्थानीय किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए नई कटाई मशीनरी भी विकसित करेगा, क्योंकि वर्तमान में इस वन्य उपज सी बकथॉर्न के फल के लिए काम में लाए जा रहे उपकरणों से केवल 10% ही बेरी निकाली जा रही है।
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लद्दाख में जल्द ही सी बकथॉर्न बेरी की व्यावसायिक खेती की शुरुआत होगी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की सरकार के सहयोग से इसकी खेती को बढ़ावा देगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर के साथ एक बैठक में यह जानकारी दी।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस कृषि उत्पाद के मूल्यवर्धन से नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य में क्रांति लाने की क्षमता है। इसके औषधीय गुणों का उल्लेख आठवीं शताब्दी ई. के तिब्बती साहित्य में भी मिलता है।

अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण इस पौधे के फल बहुत ऊंचाई पर तैनात सशस्त्र बल कर्मियों के लिए भी बहुत उपयोगी है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सरकार के सहयोग से आने वाले वसंत के मौसम से लद्दाख में सी बकथॉर्न के फल (बेरी) की व्यावसायिक खेती शुरू करेगा। सीएसआईआर स्थानीय किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए नई कटाई मशीनरी भी विकसित करेगा, क्योंकि वर्तमान में इस वन्य उपज सी बकथॉर्न के फल के लिए काम में लाए जा रहे उपकरणों से केवल 10% ही बेरी निकाली जा रही है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैम, जूस, हर्बल चाय, विटामिन सी सप्लीमेंट्स, स्वास्थ्यवर्धक पेय, क्रीम, तेल और साबुन जैसे सी बकथॉर्न के के लगभग 100 उत्पादों की पूरी तरह से जैविक तरीके से खेती, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से स्थानीय उद्यमियों को लाभकारी रोजगार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली यह प्राकृतिक बेरी न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपने औषधीय गुणों एवं महत्व के कारण बहुत लोकप्रिय हो रही है और इसकी मांग बढ़ रही है।

डॉ सिंह ने बताया कि लद्दाख की प्राचीन स्थानीय अमची चिकित्सा प्रणाली में भी सी बकथॉर्न के फल (बेरी) और इसके उपचारात्मक गुणों पर बहुत अधिक जोर दिया जाता रहा है ।

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