छत्तीसगढ़ से कोस्टा रिका तक पहुँचा ‘पोषण का चावल’: भारत ने किया फोर्टिफाइड चावल का पहला निर्यात

Gaon Connection | Nov 04, 2025, 15:10 IST
भारत ने वैश्विक पोषण मिशन की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाई है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की पहल पर छत्तीसगढ़ से कोस्टा रिका को फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (FRK) की पहली खेप भेजी गई है। यह कदम “कुपोषण मुक्त भारत” को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।
APEDA Facilitates First Export of Fortified Rice Kernel from Chhattisgarh to Costa Rica
भारत के कृषि निर्यात क्षेत्र ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने छत्तीसगढ़ से कोस्टा रिका को 12 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (Fortified Rice Kernel - FRK) की पहली खेप रवाना करवाई है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “कुपोषण मुक्त भारत” के दृष्टिकोण और पोषण अभियान के लक्ष्यों से सीधा जुड़ी हुई है।

फोर्टिफाइड चावल यानी ऐसा चावल जिसमें आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व — जैसे आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 — मिलाए जाते हैं। यह प्रक्रिया चावल के आटे को इन पोषक तत्वों के साथ मिलाकर दानों का आकार देने से पूरी होती है। बाद में इन्हें सामान्य चावल में निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है ताकि हर व्यक्ति को खाने के साथ पोषण भी मिले। भारत में यह कदम न केवल कुपोषण से लड़ने का माध्यम है, बल्कि अब यह तकनीक और गुणवत्ता विदेशों तक पहुँच रही है।

भारत की ‘पोषण से निर्यात’ की नई कहानी

एपीडा ने बताया कि यह निर्यात भारत के घरेलू पोषण मिशन को वैश्विक बाजारों से जोड़ने का प्रतीक है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) देश में पहले से ही फोर्टिफाइड चावल का वितरण कर रहा है, ताकि गरीब और कमजोर वर्गों तक पौष्टिक अनाज पहुँच सके। अब इस पहल का अंतरराष्ट्रीय विस्तार भारत की खाद्य प्रौद्योगिकी क्षमता और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला का प्रमाण है।

छत्तीसगढ़ ने इस दिशा में विशेष भूमिका निभाई है। राज्य सरकार और स्थानीय निर्यातकों के निरंतर प्रयासों से अब वहाँ के चावल मिल मालिक और किसान वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना रहे हैं। यह केवल एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश के कृषि निर्यात को सशक्त करने वाली उपलब्धि है।

एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने इस अवसर पर कहा कि “भारत से फोर्टिफाइड चावल का निर्यात न सिर्फ़ हमारे कृषि निर्यात पोर्टफोलियो को मजबूत करता है, बल्कि यह विज्ञान-आधारित, टिकाऊ और पोषण-समृद्ध खाद्य समाधानों की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि एपीडा निर्यातकों को नए बाजारों में प्रवेश के लिए लगातार सहयोग देगा, खासकर उन उत्पादों के लिए जिनमें मूल्यवर्धन और पोषण दोनों हैं।

छत्तीसगढ़ बना पोषण का नया निर्यात केंद्र

छत्तीसगढ़ चावल निर्यातक संघ (TREA-CG) के अध्यक्ष मुकेश जैन ने एपीडा को इस सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाले महीनों में फोर्टिफाइड राइस कर्नेल के और भी देशों को निर्यात की योजना बनाई जा रही है। उनका कहना है कि “यह सिर्फ़ एक खेप नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है — जिससे छत्तीसगढ़ का चावल दुनिया के पोषण मानचित्र पर अपनी पहचान बनाएगा।”


यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारत का कृषि क्षेत्र अब सिर्फ़ मात्रा नहीं, बल्कि गुणवत्ता और नवाचार पर भी केंद्रित हो रहा है। फोर्टिफाइड चावल के माध्यम से भारत वैश्विक फूड सिक्योरिटी (Food Security) और न्यूट्रिशन मिशन में अहम भूमिका निभा सकता है।

फोर्टिफाइड चावल की अहमियत

भारत जैसे देश में, जहाँ अब भी कई हिस्सों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी (Micronutrient Deficiency) एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है, वहाँ फोर्टिफिकेशन नीति ने बड़ा बदलाव लाया है। विशेषज्ञों के अनुसार, फोर्टिफाइड चावल के नियमित सेवन से एनीमिया, बच्चों में विकास रुकने की समस्या और विटामिन की कमी जैसी समस्याओं में कमी आती है।

अब जब यही फोर्टिफाइड चावल विदेश जा रहा है, तो यह न केवल भारत की खाद्य प्रौद्योगिकी क्षमता को साबित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत “वैश्विक पोषण सहयोगी” के रूप में उभर रहा है।

वैश्विक बाज़ारों में भारत की पहचान

एपीडा, छत्तीसगढ़ सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों से यह संभव हुआ कि भारत अब पौष्टिक और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। यह निर्यात न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सॉफ्ट पावर — यानी स्वास्थ्य, पोषण और सतत विकास के क्षेत्र में नेतृत्व — को भी सुदृढ़ करता है।

भारत अब सिर्फ़ चावल का निर्यातक नहीं, बल्कि “स्वस्थ चावल” का दूत बन रहा है। कोस्टा रिका को भेजी गई यह खेप आने वाले समय में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य देशों के लिए भी नए रास्ते खोलेगी।

भारत से दुनिया तक, एक दाना पोषण का

छत्तीसगढ़ से फोर्टिफाइड राइस कर्नेल का पहला निर्यात सिर्फ़ एक व्यापारिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उस सोच की सफलता है जो हर थाली में पोषण पहुँचाने का सपना देखती है। यह पहल भारत को उस दिशा में आगे बढ़ा रही है जहाँ “कृषि उत्पादन” और “जन स्वास्थ्य” एक साथ कदम बढ़ा रहे हैं।

भविष्य में अगर भारत इस गति को बनाए रखता है, तो न केवल घरेलू स्तर पर कुपोषण से जंग जीतेगा, बल्कि दुनिया को भी दिखाएगा कि कैसे नवाचार, विज्ञान और नीति मिलकर एक भूखे और अपोषित विश्व को स्वस्थ बना सकते हैं।

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