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कृषि सलाह: बदलते मौसम में रोग और कीटों से कैसे बचाएं अपनी फसल

गाँव कनेक्शन | Jan 13, 2022, 08:26 IST
इस महीने कहीं पर बारिश तो कहीं कोहरे की वजह से तापमान में उतार चढ़ाव होता रहा है, जिसका असर फसलों पर भी होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।
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मौसम में बदलाव के साथ ही फसलों में कई तरह के रोग-कीट लगने की समस्या भी बढ़ जाती है, ऐसे में अगर किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं।

आईसीएआर -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए खेती-किसानी संबंधित कृषि सलाह जारी की है।

कोरोना (कोविड-19) के गंभीर संक्रमण को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई और अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना और एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।

मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानो को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें।

चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गये हों। "T" अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाए।

कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पॉलीहाउस में रखें।

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इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं।

इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है, इसलिए जिन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है और फसल 90-105 दिन की होने वाली है,वे जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में खुदाई करते समय अच्छी, लम्बी गाजर का चुनाव करें, जिनमे पत्ते कम हो। इन गाजरों के पत्तो को 4 इंच का छोड़ कर ऊपर से काट दें। गाजरों का भी ऊपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें। अब इन बीज वाली गाजरों को 45 सेमी. की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाए।

इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें। रोपाई वाले पौध छह सप्ताह से ज्यादा की नहीं होने चाहिए। पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें। रोपाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें। 20 किग्रा. नत्रजन, 60-70 किग्रा. फ़ॉस्फोरस और 80-100 किग्रा. पोटाश आखिरी जुताई में डालें। पौधों की रोपाई अधिक गहराई में ना करें और कतार से कतार की दूरी 15 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी. रखें।

गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं।

गेंदे की फसल में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45 @ 2 मिली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।

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