मिलों की मांग बढ़ने से सरसों के दाम बढ़े
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:10 IST
नई दिल्ली।सरसों में ऑयल मिलों की मांग बढ़ने की वजह से हाजिर और वायदा बाजार में सरसों के भाव में जोरदार उठाव देखा जा रहा है। सोमवार को वायदा बाजार में सरसों का भाव करीब 10 हफ्ते के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया, कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर सरसों ने 4,110 रुपए प्रति कुंतल का ऊपरी स्तर छुआ जो जनवरी वायदा की एक्सपायरी के बाद सबसे ज्यादा भाव है। सिर्फ वायदा बाजार ही नहीं बल्कि हाजिर मंडियों में भी सरसों तेज है, सोमवार को राजस्थान की ज्यादातर मंडियों में सरसों के भाव में तेजी आई है।
राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है और राज्य की मंडियों में नई सरसों की आवक बढ़ना शुरू हो गई है। ऑयल मिले नई सरसों को हाथोंहाथ खरीद रही हैं, जिस वजह से कीमतों में तेजी देखी जा रही है। हालांकि जानकारों के मुताबिक अप्रैल के दौरान सरसों की आवक और बढ़ेगी, जिस वजह से इसके भाव पर दबाव भी आ सकता है।
इस साल देश में सरसों की पैदावार पिछले साल के मुकाबले तो ज्यादा होने का अनुमान है, लेकिन पिछले 5 सालों का औसत देखें तो पैदावार काफी कम है।
2010-11 से लेकर 2015-16 का औसत निकालें तो सालाना औसतन 74 लाख टन का उत्पादन का उत्पादन बैठता है, जबकि इस साल देश में 68.35 लाख टन सरसों पैदा होने का अनुमान है। साल 2014-15 के दौरान तो उत्पादन घटकर सिर्फ 62.82 लाख टन रह गया था। ऐसे में अप्रैल के दौरान आवक बढ़ने से सरसों के भाव पर कुछ दबाव तो आ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में भाव मजबूत बने रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है और राज्य की मंडियों में नई सरसों की आवक बढ़ना शुरू हो गई है। ऑयल मिले नई सरसों को हाथोंहाथ खरीद रही हैं, जिस वजह से कीमतों में तेजी देखी जा रही है। हालांकि जानकारों के मुताबिक अप्रैल के दौरान सरसों की आवक और बढ़ेगी, जिस वजह से इसके भाव पर दबाव भी आ सकता है।
इस साल देश में सरसों की पैदावार पिछले साल के मुकाबले तो ज्यादा होने का अनुमान है, लेकिन पिछले 5 सालों का औसत देखें तो पैदावार काफी कम है।
2010-11 से लेकर 2015-16 का औसत निकालें तो सालाना औसतन 74 लाख टन का उत्पादन का उत्पादन बैठता है, जबकि इस साल देश में 68.35 लाख टन सरसों पैदा होने का अनुमान है। साल 2014-15 के दौरान तो उत्पादन घटकर सिर्फ 62.82 लाख टन रह गया था। ऐसे में अप्रैल के दौरान आवक बढ़ने से सरसों के भाव पर कुछ दबाव तो आ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में भाव मजबूत बने रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।