गेहूं पर लग सकता आयात शुल्क

Sanjay Srivastava | Mar 23, 2017, 16:57 IST
New Delhi
नई दिल्ली (भाषा)। सरकार गेहूं पर आयात शुल्क फिर से लगाने पर विचार कर रही है ताकि देश में फसल के बम्पर उत्पादन के बाद किसानों के हितों की सुरक्षा की जा सके।

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज राज्यसभा में किसानों की हालत पर सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने पर कहा कि वर्ष 2006 से 2015 के दौरान गेहूं पर आयात शुल्क शून्य था। वर्ष 2015 में गेहूं पर 25 फीसदी सीमा शुल्क लगाया गया, जिसे बाद में घटा कर 10 फीसदी किया गया और पिछले साल दिसंबर में इसे पूरी तरह हटा दिया गया।



केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान। पासवान ने शून्यकाल में बताया कि यह शुल्क इसलिए हटाया गया क्योंकि ओलावृष्टि की वजह से फसल खराब हो गई थी और गेहूं के दाम बढ़ने की आशंका थी। उन्होंने कहा कि इस साल करीब 966 लाख टन फसल की पैदावार हुई है और 65 लाख टन का भंडार भी हमारे पास है।

सरकार ने ऐहतियात बरता और फिर से आयात शुल्क लगाने की जल्दबाजी नहीं की क्योंकि यह डर था कि ओलावृष्टि या बेमौसब बारिश से फसल खराब न हो जाए और फिर से संकट न पैदा हो जाए।
रामविलास पासवान मंत्री खाद्य एवं उपभोक्ता मामलें

पासवान ने कहा ‘‘सरकार आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है और इस बारे में जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा।'' इससे पहले यह मुद्दा उठाते हुए सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि गेहूं की खरीद शुरू हो गई है और गुजरात तथा मध्यप्रदेश में किसान अपनी उपज को तय न्यूनतम समर्थन मूल्य।,625 रुपये प्रति क्विंटल से कम में बेचने के लिए मजबूर हैं और इसका कारण यह है कि सरकार गेहूं पर से शून्य आयात शुल्क हटाने पर कोई कदम नहीं उठा रही है।

उन्होंने कहा कि किसानों को गेहूं की उत्पादन लागत ।,900 रुपए प्रति क्विंटल पडती है और वह न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम दाम पर अपनी उपज बेचने के लिए बाध्य हैं। इस तरह उन्हें वर्तमान न्यूनतम समर्थन पर करीब 300 रुपए का घाटा हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा, किसानों की परेशानी कम नहीं होगी।

दिग्विजय सिंह। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि गेहूं की शुरुआती उपज आते ही राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद होनी चाहिए।

इसी पार्टी के प्रमोद तिवारी ने कहा कि 119 किसानों ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की है सिर्फ इसलिए क्योंकि आयात शुल्क शून्य होने के कारण और फसल का सही मूल्य न मिल पाने की वजह से वह बुरी तरह परेशान हो गए। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने जानना चाहा कि आयात शुल्क 25 फीसदी से शून्य क्यों किया गया।

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