बारिश कम होने की वजह से इस बार रबी फसलों की पैदावार में आएगी गिरावट
vineet bajpai | Jan 27, 2018, 16:04 IST
पिछले दिनों देश में हुई बारिश ज्यादातर रबी फसलों के लिए अमृत की तरह काम किया है। गेहूं, सरसों, गन्ना और मसूर आदि फसलों को सिंचाई का फायदा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद इस बार रबी फसलों के उत्पादन में पिछले वर्ष के मुकाबले कमी देखने को मिल सकती है।
कृषि वैज्ञानिकों का मनना है कि यह बारिश गेहूं के लिए रामबाण के समान है। इससे न केवल गेहूं की फसल अच्छी होगी, बल्कि इससे बीमारी की आशंका भी समाप्त होगी।
डॉ. अनिल कुमार सिंह, प्रोफेसर, एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग, नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद
सर्दी के मौसम में बारिश ज़्यातर रबी फसलों के लिए सोने की तरह होती है। नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया, ''बारिश के मौसम में भी जुलाई के बाद अच्छी बारिश नहीं हुई जिसकी वजह से रबी फसलों के क्षेत्रफसल में भी कमी आई है।''
अनिल कुमार सिंह ने बताया, ''बारिश कम होने की वजह से जमीन में पर्याप्त नमी नहीं होने की वजह से गेहूं की फसल में भी पिछले वर्ष के मुकाबले व्यास नहीं हो पाया है, जिससे इसके उत्पादन में थोड़ा-बहुत फर्क देखने को मिलेगा।'' उन्होंने आगे बताया, ''इसी तरह अरहर की फसल में भी नमी कम होने की वजह से उसका फूल पहले झड़ गया था, लेकिन अब दोबारा उसमें फूल आ गया है।''
कृषि वैज्ञानिकों का मनना है कि यह बारिश गेहूं के लिए रामबाण के समान है। इससे न केवल गेहूं की फसल अच्छी होगी, बल्कि इससे बीमारी की आशंका भी समाप्त होगी।
डॉ. अनिल कुमार सिंह, प्रोफेसर, एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग, नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद
सर्दी के मौसम में बारिश ज़्यातर रबी फसलों के लिए सोने की तरह होती है। नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया, ''बारिश के मौसम में भी जुलाई के बाद अच्छी बारिश नहीं हुई जिसकी वजह से रबी फसलों के क्षेत्रफसल में भी कमी आई है।''
राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार 19 जनवरी, 2018 तक 617.79 लाख हेक्टेयर जमीन पर रबी की बुवाई की गई, जबकि पिछले वर्ष 2017 में इसी अवधि तक 620.99 लाख हेक्टेयर जमीन पर बुवाई की गई थी।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के हेड अविजीत सेन बताते हैं, ''इस बार बारिश बहुत कम हुई है, इसका असर सिंचित एरिया में तो कम लेकिन असिंचित एरिया में ज्यादा पड़ेगा।'' उन्होंने बताया, ''इसका असर रबी की ज्यादातर फसलों पर देखने को मिलेगा, गेहूं, चना, सरसों और दलहन के उत्पादन में कमी आ सकती है।''
अनिल कुमार सिंह ने बताया, ''बारिश कम होने की वजह से जमीन में पर्याप्त नमी नहीं होने की वजह से गेहूं की फसल में भी पिछले वर्ष के मुकाबले व्यास नहीं हो पाया है, जिससे इसके उत्पादन में थोड़ा-बहुत फर्क देखने को मिलेगा।'' उन्होंने आगे बताया, ''इसी तरह अरहर की फसल में भी नमी कम होने की वजह से उसका फूल पहले झड़ गया था, लेकिन अब दोबारा उसमें फूल आ गया है।''
पछेती सरसों की करें खास देखभाल
अनिल कुमार ने बताया कि जिन किसानों ने सरसों की बुवाई समय पर की थी उनके लिए तो कोई समस्या नहीं है लेकिन जिन किसानों ने पछेती सरसों की बुवाई की हो उनको खास देखभाल की ज़रूरत है। बारिश होने से सरसों के खेतों में नमी बढ़ गई है और साथ ही कोहरा भी पड़ने लगा है। इससे फसल में माहू लगने का ख़तरा रहता है। इस लिए जैसे ही फसल में माहू का प्रकोप दिखे तुरंत इंफेक्टीसाइड का छिड़काव करें।