जीआई टैग मिलने से दुनिया भर में उत्तराखंड के मंडुवा, गहत जैसे उत्पादों को मिलेगी पहचान

गाँव कनेक्शन | Dec 04, 2023, 13:10 IST

आप उत्तराखंड से हैं और बचपन से मंडुवा, गहत, झंगोरा, लाल चावल आपकी थाली में रहा है तो आपके लिए ख़ुशख़बरी है, आपके खेत और रसोई से निकलकर अब इसे दुनिया भर में पहचान मिलेगी।

मंडुवा, झंगोरा, लाल चावल, गहत जैसे उत्पादों को भी अब दुनिया भर में पहचान मिलेगी, क्योंकि उत्तराखंड के 15 से उत्पादों को जीआई टैग मिल गया है।

उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में किसान मंडुआ, झंगोरा जैसे मोटे अनाज, गहत दाल और लाल चावल की खेती करते आ रहे हैं। इनके साथ ही काला भट्ट, माल्टा, रामदाना, बुराँश कर रस, पहाड़ी तूर दाल, लकड़ी की नक्काशी, नैनीताल मोमबत्ती, कुमाऊं की पिछोड़ा, रामनगर नैनीताल की लीची, रामगढ़ नैनीताल के आड़ू, चमोली के रम्मन मुखौटे, अल्मोड़ा की लाखोरी मिर्ची को जीआई टैग मिला है।

लंबे समय से इन उत्पादों को जीआई टैग प्रमाणीकरण की प्रक्रिया चल रही थी। इन्हें मिला कर अब प्रदेश के 27 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। जीआई टैग मिलने से न तो कोई इनकी नकल कर सकेगा और न ही अपना ब्रांड होने का दावा कर सकेगा। साथ ही वैश्विक स्तर पर उत्पादों को अलग पहचान मिलेगी।

उत्तराखंड के इन उत्पादों को जीआई टैग मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। लंबे समय से इन उत्पादों को जीआई टैग प्रमाणीकरण की प्रक्रिया चल रही थी।

क्या होता है जीआई टैग

जीआई टैग किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उसे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद को दुनिया भर में पहचान दिलाने और नकल रोकने के लिए एक ख़ास टैग दिया जाता है। उसे प्रमाणित करने की प्रक्रिया को जीआई टैग यानी जिओग्राफिकल इंडिकेटर टैग कहते हैं। किसी भी उत्पाद को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन करना होता है।

Tags:
  • millet processing