खेत में लगाइए ये मशीन, फसल के आसपास भी नहीं आएंगे नीलगाय और छुट्टा जानवर
Divendra Singh | Dec 06, 2018, 07:26 IST
गदेला (लखनऊ)। अभी तक किसान नीलगाय से ही परेशान थे, लेकिन अब छुट्टा जानवरों के बढ़ने से किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो गया है। किसान कई उपाय अपनाते हैं जो पूरी तरह से कारगार नहीं साबित हो पाते हैं। ऐसे में किसान फसल सुरक्षा कवच से अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं।
मिर्जापुर जिले के त्रिलोकी द्विवेदी अब तक कई किसानों के खेत में फसल सुरक्षा कवच (सोलर फेंसिंग) लगा चुके हैं। वो बताते हैं, "आज के समय में किसानों की सबसे बड़ी समस्या छुट्टा पशु हैं, पहले तो नीलगाय ही थे, लेकिन अब तो छुट्टा जानवरों का भी आतंक बढ़ गया है। कुछ मिनटों में पशु पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं अगर फसल ही नहीं बचेगी तो किसानों की आय कैसे बढ़ेगी। इसे किसान अगर अपनी फसल को सोलर फेंसिंग से सुरक्षित कर दे तो निश्चित ही उसकी आय बढ़ेगी।"
इस मशीन से पशु और व्यक्ति घायल भी नहीं होते और खेत की सुरक्षा भी होती है। यह मशीन सोलर पैनल के जरिये चार्ज होती है। इस मशीन में डे नाईट मोड व ऑटोमेटिक मोड का भी ऑप्शन है। डे नाईट मोड के जरिए मशीन सिर्फ दो घंटे तारों में करेंट सप्लाई करेगी और अगर ऑटो मेटिक मोड़ पर है तो मशीन पूरे 24 घन्टे काम करेगी। यह मशीन खेत के चारों तरफ लगे तारों में नौ किलोवाट का करेंट दौड़ाती है।
त्रिलोकी द्विवेदी आगे कहते हैं, "यहां पर आप देख रहे हैं फसल सुरक्षा कवच जो जानवरों से आपकी फसल को बचाता है, इस टेक्निक को सोलर फेंसिंग भी कहते हैं, हम इस टेक्निक से उत्तर प्रदेश के किसानों को इससे परिचित करा रहे हैं। कई किसानों ने इस तकनीक का इस्तेमाल अपने खेत में किया है, उनकी फसल भी जानवरों से बच रही है। अगर किसान की फसल बची रहेगी तभी तो उसकी आय बढ़ेगी।"
लागत के बारे में त्रिलोकी द्विवेदी ने आगे बताया, "इसकी लागत बहुत ज्यादा नहीं आती है, एक एकड़ में लगाने में लगभग 23 हजार रुपए का खर्च आता है और पांच एकड़ में लगाते हैं तो लगभग 40 हजार में लग जाता है। अगर किसान के घर पर सोलर पैनल और बैटरी है तो पंद्रह हजार रुपए का खर्च आता है। बस तार इंसुनेटर का खर्च आता है।"
अगर आप भी सोलर फेंसिंग लगाना चाहते हैं तो यहां संपर्क कर सकते हैं...
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मिर्जापुर जिले के त्रिलोकी द्विवेदी अब तक कई किसानों के खेत में फसल सुरक्षा कवच (सोलर फेंसिंग) लगा चुके हैं। वो बताते हैं, "आज के समय में किसानों की सबसे बड़ी समस्या छुट्टा पशु हैं, पहले तो नीलगाय ही थे, लेकिन अब तो छुट्टा जानवरों का भी आतंक बढ़ गया है। कुछ मिनटों में पशु पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं अगर फसल ही नहीं बचेगी तो किसानों की आय कैसे बढ़ेगी। इसे किसान अगर अपनी फसल को सोलर फेंसिंग से सुरक्षित कर दे तो निश्चित ही उसकी आय बढ़ेगी।"
इस मशीन से पशु और व्यक्ति घायल भी नहीं होते और खेत की सुरक्षा भी होती है। यह मशीन सोलर पैनल के जरिये चार्ज होती है। इस मशीन में डे नाईट मोड व ऑटोमेटिक मोड का भी ऑप्शन है। डे नाईट मोड के जरिए मशीन सिर्फ दो घंटे तारों में करेंट सप्लाई करेगी और अगर ऑटो मेटिक मोड़ पर है तो मशीन पूरे 24 घन्टे काम करेगी। यह मशीन खेत के चारों तरफ लगे तारों में नौ किलोवाट का करेंट दौड़ाती है।
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त्रिलोकी द्विवेदी आगे कहते हैं, "यहां पर आप देख रहे हैं फसल सुरक्षा कवच जो जानवरों से आपकी फसल को बचाता है, इस टेक्निक को सोलर फेंसिंग भी कहते हैं, हम इस टेक्निक से उत्तर प्रदेश के किसानों को इससे परिचित करा रहे हैं। कई किसानों ने इस तकनीक का इस्तेमाल अपने खेत में किया है, उनकी फसल भी जानवरों से बच रही है। अगर किसान की फसल बची रहेगी तभी तो उसकी आय बढ़ेगी।"
नीलगाय और छुट्टा जानवरों से बचाव के लिए किसान कटीले तार का इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो उसी में बिजली का कनेक्शन दे देते हैं जो पशुओं के साथ ही इंसानों के खतरनाक होता है। लेकिन सोलर फेंसिंग से हल्का सा झटका लगता है।