अब सोयाबीन की बीमारी और कीट पहचान बताएगा AI, किसानों के हाथ में आया स्मार्ट ऐप
Divendra Singh | Dec 13, 2025, 13:30 IST
सोयाबीन की फसल में रोग और कीट पहचान अब किसानों के लिए आसान होने वाली है। इंदौर स्थित राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने AI-आधारित मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो फोटो के जरिए तुरंत समाधान बताएगा।
सोयाबीन किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अक्सर यही होती है कि खेत में दिख रही समस्या आखिर है क्या कौन-सी बीमारी लगी है, कौन-सा कीट नुकसान कर रहा है और उसका सही इलाज क्या हो। गाँवों में हर समय कृषि विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होते, और तब तक नुकसान बढ़ चुका होता है। लेकिन अब यह समस्या तकनीक के सहारे काफी हद तक हल होने जा रही है।
राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक खास मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर आधारित है। इस ऐप का नाम है ‘सोयाबीन ज्ञान’, और इसका उद्देश्य है किसानों को समय पर, सटीक और वैज्ञानिक जानकारी देकर फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करना।
फोटो डालिए, बीमारी पहचानिए
संस्थान की प्रधान वैज्ञानिक (कंप्यूटर एप्लीकेशन) डॉ. सविता कोलहे बताती हैं कि यह ऐप पूरी तरह से AI तकनीक पर काम करता है। किसान जब अपनी सोयाबीन की फसल की पत्तियों, तनों या फलियों की फोटो इस ऐप पर अपलोड करते हैं, तो ऐप कुछ ही सेकंड में पहचान लेता है कि फसल में कोई बीमारी है या कीट का प्रकोप।
डॉ. कोलहे के अनुसार, “ऐप सिर्फ यह नहीं बताता कि बीमारी या कीट कौन-सा है, बल्कि यह भी बताता है कि उसका वैज्ञानिक समाधान क्या है। यानी किसान को समस्या की पहचान और इलाज—दोनों एक ही जगह मिल जाते हैं।”
मौसम देखकर पहले ही चेतावनी
इस ऐप की एक बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ मौजूदा समस्या तक सीमित नहीं है। ‘सोयाबीन ज्ञान’ ऐप में मौसम आधारित भविष्यवाणी प्रणाली भी शामिल की गई है। यह स्थानीय मौसम के आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाता है कि आने वाले दिनों में किस बीमारी या कीट का खतरा बढ़ सकता है।
इसका फायदा यह है कि किसान पहले से सतर्क हो सकते हैं। समय रहते खेत की निगरानी, छिड़काव या अन्य जरूरी उपाय कर के वे बड़े नुकसान से बच सकते हैं। बदलते मौसम और जलवायु अस्थिरता के दौर में यह सुविधा किसानों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
24×7 AI चैटबॉट और मंडी भाव
ऐप में एक AI-संचालित चैटबॉट भी जोड़ा गया है, जो किसानों के सवालों का जवाब चौबीसों घंटे देता है। खेती से जुड़े सामान्य सवाल, बीमारी-कीट से संबंधित जानकारी या उपयोगी सुझाव—किसान कभी भी चैटबॉट से मदद ले सकते हैं।
इसके साथ ही, ऐप में सोयाबीन की प्रमुख मंडियों के ताज़ा भाव भी लगातार अपडेट होते रहते हैं। इससे किसान यह तय कर सकते हैं कि अपनी उपज कब और कहां बेचना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।
कई भाषाओं में, आसान इस्तेमाल
‘सोयाबीन ज्ञान’ ऐप को किसानों की सुविधा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यह मोबाइल एप्लीकेशन कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और इसे Google Play Store से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐप का इंटरफेस इतना सरल रखा गया है कि स्मार्टफोन का सीमित अनुभव रखने वाले किसान भी इसका उपयोग कर सकें।
सोयाबीन है एक प्रमुख फ़सल
सोयाबीन भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अहम तिलहन फसल है। वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर सोयाबीन का कुल उत्पादन लगभग 371.18 मिलियन टन रहा, जो करीब 136.91 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया गया। उत्पादन के मामले में ब्राज़ील पहले स्थान पर रहा, जहां 152.14 मिलियन टन सोयाबीन पैदा हुई। इसके बाद अमेरिका (113.34 मिलियन टन), अर्जेंटीना (25.04 मिलियन टन), चीन (19.50 मिलियन टन) और भारत (14.98 मिलियन टन) का स्थान रहा। वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 4 प्रतिशत है।
भारत सोयाबीन क्षेत्रफल के मामले में दुनिया में चौथे और उत्पादन के मामले में पांचवें स्थान पर है। देश में करीब 13.08 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की खेती होती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना सोयाबीन उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम
भारत आज भी अपनी खाद्य तेल की लगभग 60 प्रतिशत जरूरतें आयात से पूरी करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनना है, तो सोयाबीन जैसी प्रमुख तिलहन फसलों की उत्पादकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
इस दिशा में ‘सोयाबीन ज्ञान’ जैसे AI-आधारित ऐप किसानों को सही समय पर सही जानकारी देकर अहम भूमिका निभा सकते हैं। बेहतर फसल सुरक्षा, कम नुकसान और बढ़ी हुई पैदावार—इन सबका सीधा असर किसानों की आय और देश की खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।
डिजिटल तकनीक और खेती का यह मेल संकेत देता है कि आने वाले समय में किसान सिर्फ मेहनत के भरोसे नहीं, बल्कि डेटा और विज्ञान की मदद से भी अपनी फसल को मजबूत बना सकेंगे।
राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक खास मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर आधारित है। इस ऐप का नाम है ‘सोयाबीन ज्ञान’, और इसका उद्देश्य है किसानों को समय पर, सटीक और वैज्ञानिक जानकारी देकर फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करना।
फोटो डालिए, बीमारी पहचानिए
संस्थान की प्रधान वैज्ञानिक (कंप्यूटर एप्लीकेशन) डॉ. सविता कोलहे बताती हैं कि यह ऐप पूरी तरह से AI तकनीक पर काम करता है। किसान जब अपनी सोयाबीन की फसल की पत्तियों, तनों या फलियों की फोटो इस ऐप पर अपलोड करते हैं, तो ऐप कुछ ही सेकंड में पहचान लेता है कि फसल में कोई बीमारी है या कीट का प्रकोप।
भारत सोयाबीन क्षेत्रफल के मामले में दुनिया में चौथे और उत्पादन के मामले में पांचवें स्थान पर है।
डॉ. कोलहे के अनुसार, “ऐप सिर्फ यह नहीं बताता कि बीमारी या कीट कौन-सा है, बल्कि यह भी बताता है कि उसका वैज्ञानिक समाधान क्या है। यानी किसान को समस्या की पहचान और इलाज—दोनों एक ही जगह मिल जाते हैं।”
मौसम देखकर पहले ही चेतावनी
इस ऐप की एक बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ मौजूदा समस्या तक सीमित नहीं है। ‘सोयाबीन ज्ञान’ ऐप में मौसम आधारित भविष्यवाणी प्रणाली भी शामिल की गई है। यह स्थानीय मौसम के आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाता है कि आने वाले दिनों में किस बीमारी या कीट का खतरा बढ़ सकता है।
इस ऐप का नाम है ‘सोयाबीन ज्ञान’, और इसका उद्देश्य है किसानों को समय पर, सटीक और वैज्ञानिक जानकारी देकर फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करना।
इसका फायदा यह है कि किसान पहले से सतर्क हो सकते हैं। समय रहते खेत की निगरानी, छिड़काव या अन्य जरूरी उपाय कर के वे बड़े नुकसान से बच सकते हैं। बदलते मौसम और जलवायु अस्थिरता के दौर में यह सुविधा किसानों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
24×7 AI चैटबॉट और मंडी भाव
ऐप में एक AI-संचालित चैटबॉट भी जोड़ा गया है, जो किसानों के सवालों का जवाब चौबीसों घंटे देता है। खेती से जुड़े सामान्य सवाल, बीमारी-कीट से संबंधित जानकारी या उपयोगी सुझाव—किसान कभी भी चैटबॉट से मदद ले सकते हैं।
इसके साथ ही, ऐप में सोयाबीन की प्रमुख मंडियों के ताज़ा भाव भी लगातार अपडेट होते रहते हैं। इससे किसान यह तय कर सकते हैं कि अपनी उपज कब और कहां बेचना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।
कई भाषाओं में, आसान इस्तेमाल
‘सोयाबीन ज्ञान’ ऐप को किसानों की सुविधा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। यह मोबाइल एप्लीकेशन कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और इसे Google Play Store से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐप का इंटरफेस इतना सरल रखा गया है कि स्मार्टफोन का सीमित अनुभव रखने वाले किसान भी इसका उपयोग कर सकें।
सोयाबीन है एक प्रमुख फ़सल
सोयाबीन भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अहम तिलहन फसल है। वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर सोयाबीन का कुल उत्पादन लगभग 371.18 मिलियन टन रहा, जो करीब 136.91 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया गया। उत्पादन के मामले में ब्राज़ील पहले स्थान पर रहा, जहां 152.14 मिलियन टन सोयाबीन पैदा हुई। इसके बाद अमेरिका (113.34 मिलियन टन), अर्जेंटीना (25.04 मिलियन टन), चीन (19.50 मिलियन टन) और भारत (14.98 मिलियन टन) का स्थान रहा। वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 4 प्रतिशत है।
भारत सोयाबीन क्षेत्रफल के मामले में दुनिया में चौथे और उत्पादन के मामले में पांचवें स्थान पर है। देश में करीब 13.08 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की खेती होती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना सोयाबीन उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम
भारत आज भी अपनी खाद्य तेल की लगभग 60 प्रतिशत जरूरतें आयात से पूरी करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनना है, तो सोयाबीन जैसी प्रमुख तिलहन फसलों की उत्पादकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
इस दिशा में ‘सोयाबीन ज्ञान’ जैसे AI-आधारित ऐप किसानों को सही समय पर सही जानकारी देकर अहम भूमिका निभा सकते हैं। बेहतर फसल सुरक्षा, कम नुकसान और बढ़ी हुई पैदावार—इन सबका सीधा असर किसानों की आय और देश की खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।
डिजिटल तकनीक और खेती का यह मेल संकेत देता है कि आने वाले समय में किसान सिर्फ मेहनत के भरोसे नहीं, बल्कि डेटा और विज्ञान की मदद से भी अपनी फसल को मजबूत बना सकेंगे।