By Divendra Singh
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अगले कुछ दिनों तक घना से अत्यंत घना कोहरा छाया रह सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अगले कुछ दिनों तक घना से अत्यंत घना कोहरा छाया रह सकता है।
By Divendra Singh
उत्तर प्रदेश में सर्दी का असर तेज़ हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अगले कुछ दिनों तक घना से अत्यंत घना कोहरा छाया रह सकता है। तराई जिलों में इसका असर सबसे ज़्यादा रहेगा, जिससे तापमान गिरने के साथ शीत दिवस और भीषण शीत दिवस की स्थिति बन सकती है। मौसम वैज्ञानिकों ने रबी फसलों को लेकर किसानों के लिए विशेष सलाह भी जारी की है।
उत्तर प्रदेश में सर्दी का असर तेज़ हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अगले कुछ दिनों तक घना से अत्यंत घना कोहरा छाया रह सकता है। तराई जिलों में इसका असर सबसे ज़्यादा रहेगा, जिससे तापमान गिरने के साथ शीत दिवस और भीषण शीत दिवस की स्थिति बन सकती है। मौसम वैज्ञानिकों ने रबी फसलों को लेकर किसानों के लिए विशेष सलाह भी जारी की है।
By Divendra Singh
थार रेगिस्तान का गोडावण आज विलुप्ति के कगार पर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश, विशेषज्ञ समितियों की सिफ़ारिशें और ज़मीन पर संघर्ष- यह कहानी सिर्फ़ एक पक्षी की नहीं, बल्कि विकास और प्रकृति के बीच संतुलन की है।
थार रेगिस्तान का गोडावण आज विलुप्ति के कगार पर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश, विशेषज्ञ समितियों की सिफ़ारिशें और ज़मीन पर संघर्ष- यह कहानी सिर्फ़ एक पक्षी की नहीं, बल्कि विकास और प्रकृति के बीच संतुलन की है।
By Divendra Singh
जो फसल कभी बाहर से आती थी, वही अब कश्मीर की खेतों में उग सकती है। यह अरहर की कहानी नहीं, हिमालयी खेती के नए अध्याय की शुरुआत है।
जो फसल कभी बाहर से आती थी, वही अब कश्मीर की खेतों में उग सकती है। यह अरहर की कहानी नहीं, हिमालयी खेती के नए अध्याय की शुरुआत है।
By Divendra Singh
जलवायु परिवर्तन के दौर में कश्मीर को मिल रहा है, फसल विविधीकरण, मिट्टी की बेहतर सेहत, किसानों के लिए नया विकल्प, प्रोटीन सुरक्षा
जलवायु परिवर्तन के दौर में कश्मीर को मिल रहा है, फसल विविधीकरण, मिट्टी की बेहतर सेहत, किसानों के लिए नया विकल्प, प्रोटीन सुरक्षा
By Divendra Singh
जहाँ सामान्य उपज 2 टन/हेक्टेयर होती है, वहीं कश्मीर में 2.5 टन/हेक्टेयर तक उत्पादन मिला। यह सिर्फ़ प्रयोग नहीं, उम्मीद है।
जहाँ सामान्य उपज 2 टन/हेक्टेयर होती है, वहीं कश्मीर में 2.5 टन/हेक्टेयर तक उत्पादन मिला। यह सिर्फ़ प्रयोग नहीं, उम्मीद है।
By Divendra Singh
3-4 महीने में पकने वाली, ठंड सहने की क्षमता और कम समय में भी बेहतर उत्पादन, यानी हिमालय भी अब अरहर उगा सकता है।
3-4 महीने में पकने वाली, ठंड सहने की क्षमता और कम समय में भी बेहतर उत्पादन, यानी हिमालय भी अब अरहर उगा सकता है।
By Divendra Singh
अब विज्ञान ने एक नया रास्ता खोला है। ICRISAT और SKUAST-K ने मिलकर साबित किया है अरहर कश्मीर में उग सकती है।
अब विज्ञान ने एक नया रास्ता खोला है। ICRISAT और SKUAST-K ने मिलकर साबित किया है अरहर कश्मीर में उग सकती है।
By Divendra Singh
लेकिन समय बदला, खानपान बदला, पर्यटन बढ़ा और अरहर की मांग कश्मीर में लगातार बढ़ने लगी।
लेकिन समय बदला, खानपान बदला, पर्यटन बढ़ा और अरहर की मांग कश्मीर में लगातार बढ़ने लगी।
By Divendra Singh
ठंड जल्दी पड़ती है, खेती का मौसम छोटा है, अरहर को लंबी अवधि की फसल माना जाता था। इसलिए कश्मीर में अरहर की खेती की कोई कल्पना नहीं थी।
ठंड जल्दी पड़ती है, खेती का मौसम छोटा है, अरहर को लंबी अवधि की फसल माना जाता था। इसलिए कश्मीर में अरहर की खेती की कोई कल्पना नहीं थी।