पपीता के पौधों को बचाने के लिए इस किसान ने निकाली देसी तरकीब

गाँव कनेक्शन | Feb 17, 2018, 19:01 IST

औरैया। ठंड में पाले और कोहरे से सभी फसलों में नुकसान होता है, ऐसे पपीते के पौधों को पाले और कोहरे से बचाने के लिए किसान ने जिस तकनीकि का इस्तेमाल किया है वो गजब की है। इसमें पैसे तो खर्च नहीं होते, लेकिन पौधे अच्छी पाला और पशुओं से बच जाते हैं।

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर उत्तर दिशा में बसे गाँव लखनपुर के मौजा खेरा पुर्वा गढे निवासी गंधवर सिंह (60 वर्ष) ने इंटर के बाद वर्ष 1984 में आईटीआई की। शिक्षा ग्रहण करने और ग्रहस्थ में बंध जाने के बाद गंधवर सिंह गायत्री परिवार से जुड़ गये। लगातार 20 वर्ष तक गायत्री परिवार में धर्माचार्य का काम किया।

वाराणसी से वापस आकर गाँव में रहने लगे। गाँव में खाली पड़ी खेती में बागवानी करने का मन बना लिया। एक बीघा खेत में पपीते के पौधे लगाये। सर्दी के मौसम में पपीते के पौधे कोहरे और पाले से खराब हो जाते हैं। लेकिन गंधवर सिंह ने पौधे बचाने का नया तरीका निकाला जिसकी सभी तारीफ कर रहे है। पौधों-पौधों पुआल की झोपड़ी बनाकर रख दी। झोपड़ी से पौधे न दबे इसके पौधे के आस-पास चार लकड़ी लगाकर उसी के ऊपर झोपड़ी रख दी, जिससे पौधे पर न तो कोहरे का असर हो रहा है और न ही किसी कीट-पतंग का। जिस खेत में पपीता लगाया है उसमें खाली पड़ी जमीन में प्याज भी लगा रखा है। इससे जब तक पपीता तैयार होगा। तब तक प्याग की फसल लाभ में बच जायेगी। गंधवर सिंह ने धर्माचार्य का काम अपनी पत्नी श्रीदेवी के साथ किया और खेती-किसानी का भी काम श्रीदेवी के साथ मिलकर कर रहे हैं।

पत्नी के सहयोग से कर रहे किसानी

गंधवर सिंह बताते हैं, "धर्माचार्य में मन न लगने के कारण मैंने घर वापसी की, हिस्से में मिला कच्चा घर गिर चुका था। हमारी जमीन पर भाई ने कब्जा कर रखा था। ये समझकर कि मैं बाबा बन गया। मैंने अपने हिस्से की जमीन खाली कराई और बागवानी शुरू कर दी। पत्नी श्रीदेवी का पूर्ण सहयोग रहता है।"

पपीते के बाद आम और अमरूद की तैयारी

गंधवर सिंह की पत्नी श्रीदेवी का कहना है, "धर्माचार्य में लगा हुआ मन एक साथ ही उचट गया। पपीते की बागवानी मेरे पति की पसंद है जब कि मेरी पसंद आम और अमरूद के बाग है। इसलिए खाली पड़ी पांच बीघा जमीन में मैं इलाहाबादी अमरूद और कलमी आम लगाने की तैयारी में हूं।"

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सस्ती और अच्छी तकनीक

जिला उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया, "किसान जिस तकनीक से पौधों को बचाने की कोशिश की है वो बेहतर और सस्ती है। सर्दी के मौसम में पपीते के पौधे कम तैयार हो पाते हैं, लेकिन किसान ने अपनी तकनीक से पौधों को बचा लिया है।"

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