इंजीनियरिंग छोड़ बने किसान, कर रहे हैं नींबू और केले की बागवानी

Diti BajpaiDiti Bajpai   5 Aug 2017 12:34 PM GMT

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इंजीनियरिंग छोड़ बने किसान, कर रहे हैं नींबू और केले की बागवानीपुष्पजीत सिंह।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

पीलीभीत। ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर पलायन के बीच हाल के दिनों में बदलाव की कुछ सुखद खबरें भी आ रही हैं, जब देश के नौजवान महानगरों की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर गाँवों की ओर रुख कर रहे हैं। यही नहीं, ये नौजवान खेती-किसानी और बागवानी में बाकायदा कामयाबी की इबारत लिख रहे हैं। दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी छोड़ नींबू-केले की बागवानी करने वाले पुष्पजीत सिंह (34 वर्ष) भी इन्हीं उत्साही नौजवानों में एक हैं।

पुष्पजीत के पास लगभग 16 एकड़ जमीन है, जिसमें से 12 एकड़ में केले, चार एकड़ में नींबू और कटहल लगा रखे हैं। पीलीभीत जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर पूरनपुर ब्लॉक के पचपेडा प्रहलादपुर में रहने वाले पुष्पजीत बताते हैं, “यहां के ज्यादातर किसान धान, गेहूं और गन्ना की परंपरागत खेती करते चले आ रहे हैं। नींबू की खेती मैंने एक नए मकसद से शुरू की, ताकि लोग जानें की पीलीभीत जैसे तराई इलाके में भी इसकी अच्छी-खासी पैदावार की जा सकती है। मेरे बाद जिले के दो और किसानों ने भी नींबू बागवानी शुरू की है।”

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दो एकड़ खेत में पुष्पजीत ने नींबू की तीन प्रजातियां इडियन सीड लेस, कागजी और इटेलियन लगा रखी है। इडियन सीड लेस से तीन बार फसल ले चुके हैं, जबकि कागजी और इटेलियन से अभी तक दो बार फसल ले चुके हैं। पुष्पजीत बताते हैं, “नीबू को एक बार लगाने से 20 से 25 साल तक इसकी पैदावार ली जा सकती है। मैंने काफी रिसर्च किया है, तभी इसकी बागवानी शुरू की है। मेरठ जिले के एक किसान ने ढ़ेड एकड़ में नींबू का बाग लगा रखा है।”

दूसरे किसान भी समझ सकें, इसके लिए पुष्पजीत बताते हैं, “नींबू के पौधे लगाने का उचित समय जून, जुलाई और अगस्त है। नींबू को लगाने के तीसरे साल से उससे पैदावार ली जा सकती है।” पुष्पजीत बताते हैं, “नींबू के साथ मल्टीक्रोपिंग की जा सकती है। अभी मैं केला, कटहल और ब्रोकली की खेती कर रहा हूं।” नींबू के बाजार के बारे में पुष्पजीत बताते हैं, “प्रदेश में अभी इसका कोई अच्छा बाजार नहीं है। हमारे यहां जो नींबू होगा, वह दिल्ली के बाजार में जाएगा। नींबू के साथ अन्य फसलों-बागावानों को हम जैविक तरीके से उगा रहे हैं। घर में ही खाद बनाकर छिड़काव करते हैं। इससे पैदावार अच्छी मिलती है और रेट भी ठीक मिलते हैं।”

नींबू की बागवानी शुरू करने के बारे में पुष्पजीत बताते हैं, “नींबू की खेती इसलिए शुरू की, क्योंकि अभी जितना भी नींबू उत्तर भारत में आ रहा है, वह पहाड़ों और दक्षिणी भारत से आ रहा है। उत्तर प्रदेश में तो नींबू के बाग कम ही देखने को मिलते हैं।”

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सात लाख रुपए का पैकेज छोड़ चुनी बागवानी

पीलीभीत के पूरनपुर ब्लॉक के रहने वाली पुष्पजीत सिंह दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियर थे, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं खेती-किसानी के प्रति झुकाव था। यही वजह थी कि एक दिन उन्होंने सात लाख रुपए सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर अपने गाँव लौटने का फैसला कर लिया। आज जिले में बागवानी के क्षेत्र में अच्छा-खासा मुकाम बना लिया है। वह कहते हैं, “पीलीभीत जैसे तराई इलाके में लोग बागवानी को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं रहते। नींबू की बागवानी तो सुनी भी नहीं होगी, लेकिन हमने यह फैसला किया। उम्मीद है, अन्य किसान भी नींबू की बागवानी की ओर आगे बढ़ेंगे और अच्छा-खासा मुनाफा कमाएंगे।”

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