कहानी उस किसान की जिसने सिंघाड़ा की खेती से मुनाफा कमाया और अपना कर्ज भी चुकाया
Manish Dubey | Jan 13, 2023, 09:48 IST
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक किसान ने बिना मिट्टी की खेती कर न सिर्फ मुनाफा कमाया, बल्कि उससे अपना कर्ज भी उतारा। मदन कहार ने सिंघाड़े की ऐसी खेती कि अब क्षेत्र में उनकी चर्चा होने लगी है।
चंपतपुर (कानपुर), उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के चंपतपुर गाँव में मदन कहार ने अपनी साइकिल को अपने घर की मिट्टी की दीवार से टिका दिया। वह काम पर जाने से पहले उसके अगले टायर में हवा भरने की तैयारी कर रहे थे।
मदान कहार (45) एक भूमिहीन किसान हैं जिन्होंने अपने ही गाँव के जमींदार लाखन सिंह से छह बीघा (2.40 एकड़) जमीन ली है और उस पर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। चंपतपुर गाँव कानपुर जिले के बाराखेड़ा प्रखंड में आता है।
मदन ने जब गाँव कनेक्शन से बात की तो उनके चेहरे पर राहत की झलक साफ देखी जा सकती है। क्योंकि इस फसल की कमाई की ही बदौलत वे बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपए कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाने में मदद मिली।
“कर्ज मेरे दिमाग में था। क्योंकि एक भूमिहीन किसान के तौर पर यह एक बहुत बड़ी राशि है। मुझे और मेरी पत्नी को तीन अन्य बच्चों की देखभाल करनी है, "मदन ने गाँव कनेक्शन को बताया।
मदन ने जो छह बीघा जमीन लीज पर ली थी, वह भी अच्छी नहीं थी। जमींदार लाखन सिंह ने जमीन की ऊपरी पांच से छह फीट की मिट्टी ईंट भट्ठे को बेच दी थी। लेकिन मदन ने बिना मिट्टी की जमीन लीज पर ले ली।
उनके अनुसार उनकी जमींदार के साथ एक समझ है कि वह अपनी फसलों से जो भी मुनाफा कमाते हैं, उसे किराए के रूप में साझा करते हैं। उन्होंने सिघाड़ा उगाने का फैसला किया।
मदन ने फसल में करीब 50 हजार रुपए खर्च किया। बीज सितंबर में बोए गए और फसल दिसंबर 2022 में हुई। मदन के मुताबिक जमीन में करीब 250 क्विंटल सिंघाड़ा पैदा हुआ, जिससे उन्हें 1.75 लाख रुपए की आमदनी हुई। वह तब कर्ज का एक हिस्सा चुकाने में कामयाब रहे।
“खेती शुरू करने के लिए मुझे हमारे ग्राम प्रधान भूप सिंह से 30,000 रुपए का और कर्ज लेना पड़ा, लेकिन अच्छी फसल ने मुझे अपने दोनों कर्जों का एक बड़ा हिस्सा चुकाने में मदद की” उन्होंने खुशी से कहा। उन्होंने 6 फीसदी ब्याज पर कर्ज लिया था।
मदन ने सिंघाड़े को इसलिए चुना क्योंकि एक बार कटाई के बाद इसे लगभग तुरंत खरीदार मिल जाते थे। उन्होंने कहा कि गेहूं और अन्य फसलों की तरह इसके लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।
“इस क्षेत्र में पहले किसी ने सिंघाड़े की खेती नहीं की थी। और मदन ने इसे उस जमीन पर किया जिसकी ऊपरी मिट्टी को हटा दिया गया था।" अरविंद शुक्ला, एक ग्रामीण और किसान ने गाँव कनेक्शन को बताया।
मदन अब न सिर्फ अपने गाँव बल्कि आस-पास के कई गांवों में चर्चा का विषय बन गये हैं। शुक्ला ने कहा, "पहले किसी ने मदन के बारे में नहीं सुना था, लेकिन अब लोग उनसे मिलना चाहते हैं और उनका पता पूछते हैं।"
मदन ने कहा कि सिंघाड़े की बुवाई और फसल के पहले दौर में बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन उसके बाद यह आसान हो जाता है। जमीन को उर्वरकों से तैयार करना पड़ता है और सिंघाड़ों को उगाने के लिए लगभग चार से पांच फीट पानी की जरूरत होती है।
सिंघाड़े के बीज नर्सरी से खरीदे गए थे। “बीज तैयार करना और यह देखना कि उनमें कोई कीट तो नहीं है, यह एक मेहनत का काम है और मुझे नियमित रूप से निराई करनी है, ” उन्होंने समझाया।
सिंघाड़ा आयोडीन और मैंगनीज युक्त होता है। ये उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता है जिन्हें थायरॉयड की समस्या है। यह खून को साफ करने, खांसी को ठीक करने वाला और एनीमिया को कम करने और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है।
लेखपाल (ग्राम रजिस्ट्रार) हरि कृष्ण गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि जमीन की ऊपरी छह फीट या उससे भी ज्यादा मिट्टी हटा दिए जाने के बाद जमीन पर कुछ भी उग पाएगा।" “लेकिन मदन ने हम सबको गलत साबित कर दिया। उन्होंने न केवल सिंघाड़े को सफलतापूर्वक खेती की, बल्कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए लिए गए कर्ज का अधिकांश हिस्सा भी चुका दिया।, ”हरि कृष्ण ने कहा।
मदान कहार (45) एक भूमिहीन किसान हैं जिन्होंने अपने ही गाँव के जमींदार लाखन सिंह से छह बीघा (2.40 एकड़) जमीन ली है और उस पर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। चंपतपुर गाँव कानपुर जिले के बाराखेड़ा प्रखंड में आता है।
मदन ने जब गाँव कनेक्शन से बात की तो उनके चेहरे पर राहत की झलक साफ देखी जा सकती है। क्योंकि इस फसल की कमाई की ही बदौलत वे बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपए कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाने में मदद मिली।
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“कर्ज मेरे दिमाग में था। क्योंकि एक भूमिहीन किसान के तौर पर यह एक बहुत बड़ी राशि है। मुझे और मेरी पत्नी को तीन अन्य बच्चों की देखभाल करनी है, "मदन ने गाँव कनेक्शन को बताया।
मदन ने जो छह बीघा जमीन लीज पर ली थी, वह भी अच्छी नहीं थी। जमींदार लाखन सिंह ने जमीन की ऊपरी पांच से छह फीट की मिट्टी ईंट भट्ठे को बेच दी थी। लेकिन मदन ने बिना मिट्टी की जमीन लीज पर ले ली।
उनके अनुसार उनकी जमींदार के साथ एक समझ है कि वह अपनी फसलों से जो भी मुनाफा कमाते हैं, उसे किराए के रूप में साझा करते हैं। उन्होंने सिघाड़ा उगाने का फैसला किया।
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मदन ने फसल में करीब 50 हजार रुपए खर्च किया। बीज सितंबर में बोए गए और फसल दिसंबर 2022 में हुई। मदन के मुताबिक जमीन में करीब 250 क्विंटल सिंघाड़ा पैदा हुआ, जिससे उन्हें 1.75 लाख रुपए की आमदनी हुई। वह तब कर्ज का एक हिस्सा चुकाने में कामयाब रहे।
“खेती शुरू करने के लिए मुझे हमारे ग्राम प्रधान भूप सिंह से 30,000 रुपए का और कर्ज लेना पड़ा, लेकिन अच्छी फसल ने मुझे अपने दोनों कर्जों का एक बड़ा हिस्सा चुकाने में मदद की” उन्होंने खुशी से कहा। उन्होंने 6 फीसदी ब्याज पर कर्ज लिया था।
मदन ने सिंघाड़े को इसलिए चुना क्योंकि एक बार कटाई के बाद इसे लगभग तुरंत खरीदार मिल जाते थे। उन्होंने कहा कि गेहूं और अन्य फसलों की तरह इसके लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।
“इस क्षेत्र में पहले किसी ने सिंघाड़े की खेती नहीं की थी। और मदन ने इसे उस जमीन पर किया जिसकी ऊपरी मिट्टी को हटा दिया गया था।" अरविंद शुक्ला, एक ग्रामीण और किसान ने गाँव कनेक्शन को बताया।
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मदन अब न सिर्फ अपने गाँव बल्कि आस-पास के कई गांवों में चर्चा का विषय बन गये हैं। शुक्ला ने कहा, "पहले किसी ने मदन के बारे में नहीं सुना था, लेकिन अब लोग उनसे मिलना चाहते हैं और उनका पता पूछते हैं।"
सिंघाड़े की खेती
सिंघाड़े के बीज नर्सरी से खरीदे गए थे। “बीज तैयार करना और यह देखना कि उनमें कोई कीट तो नहीं है, यह एक मेहनत का काम है और मुझे नियमित रूप से निराई करनी है, ” उन्होंने समझाया।
सिंघाड़ा आयोडीन और मैंगनीज युक्त होता है। ये उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता है जिन्हें थायरॉयड की समस्या है। यह खून को साफ करने, खांसी को ठीक करने वाला और एनीमिया को कम करने और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है।
लेखपाल (ग्राम रजिस्ट्रार) हरि कृष्ण गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि जमीन की ऊपरी छह फीट या उससे भी ज्यादा मिट्टी हटा दिए जाने के बाद जमीन पर कुछ भी उग पाएगा।" “लेकिन मदन ने हम सबको गलत साबित कर दिया। उन्होंने न केवल सिंघाड़े को सफलतापूर्वक खेती की, बल्कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए लिए गए कर्ज का अधिकांश हिस्सा भी चुका दिया।, ”हरि कृष्ण ने कहा।