पशुओं को खिलाइए ये घास, 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा दूध उत्पादन

Divendra Singh | Dec 21, 2018, 09:51 IST
#हरा चारा
लुधियाना (पंजाब) । सर्दियों में पशुपालक अपने पशुओं को हरे चारे में बरसीम खिलाते हैं, लेकिन अगर किसान सर्दियों में अपने पशुओं को बरसीम की जगह पर मक्खन ग्रास खिलाए तो दूध उत्पादन 20-25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। बरसीम में कीट लगने की समस्या भी होती है, लेकिन मक्खन घास की खास बात होती है इसमें कोई कीट भी नहीं लगते हैं।

बीज कंपनी के अमित महापात्रा बताते हैं, "मक्खन ग्रास सर्दियों का चारा होता है, इसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर महीने में की जाती है। अगर इसे आपने अक्टूबर महीने में बुवाई की है तो 35-40 दिनों में पहली कटाई मिल जाती है। उसके दूसरी कटाई 20-25 दिनों में मिल जाती है, इस तरह मक्खन घास से पांच-छह कटाई मिल जाती है।"

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वो आगे बताते हैं, "मक्खन घास बीज दर एक किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगता है। क्योंकि ये बरसीम के बुवाई के समय में बोया जाता है तो बरसीम की तुलना में अगर आप अपने पशुओं को मक्खन घास खिलाते हैं तो 20-25 प्रतिशत तक दूध का उत्पादन बढ़ जाता है। इसमें 14-15 प्रतिशत प्रोटीन होता है। अगर आप इसका बीज खरीदना चाहते हैं तो किसी भी दुकान पर मक्खन घास के बीज खरीद सकता है।"

पंजाब-हरियाणा के पशुपालकों को भा रही मक्खन ग्रास

चार साल पहले मक्खन घास की शुरूआत पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में हुई थी। दो हजार किलो से शुरू किया था और आज अकेले पंजाब 100 मीट्रिक टन बीज लगते हैं। पंजाब-हरियाणा राज्यों में 150 टन किसानों ने खरीदा है। मक्खन घास पशु की सेहत के लिए बहुत बढ़िया होती है। इसका बीज मार्केट में 400 रुपए किलो मिलता है।

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नहीं लगते हैं कोई कीट

बरसीम में फरवरी में कीट लगने की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन मक्खन घास की खास बात होती है इसमें कोई कीट भी नहीं लगते हैं।

ऐसे करें बुवाई

इसकी खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, जिसका पीएच 6.5 से 7 तक हो। मक्खन ग्रास शीतकालीन चारा फसल है, जिसे घर-घर काटा जा सकता है। यह मैदानी एवं पहाड़ी इलाकों में बुवाई के लिए उपयुक्त है। सभी तरह की मिट्टी में इसकी शीतकालीन बुवाई नवंबर से दिसंबर में की जा सकती है। ग्रीष्मकालीन चारा फसल के लिए इसे मार्च से अप्रैल के बीच बोया जा सकता है।

बुवाई के समय खेत में नमी रहनी चाहिए। 10 से 15 दिनों में अंकूरण होना शुरू हो जाता है। मक्खन ग्रास के बीज वजन में हल्के होते है। वहीं बरसीम के साथ मिलाकर भी इसे बोया जा सकता है। बीजों के अंकुरण के बाद दो-तीन सप्ताह में एक सिंचाई की जरूरत होती है। इसके बाद 20 दिनों के बाद जरूरत के अनुसार पानी दिया जाना जरूरी है।


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